23 नवंबर, 2018

पुरुष/स्त्री



पुरुष यानी घर,
ठीक उसी तरह-
जैसे एक स्त्री आँगन ।
ऐसा नहीं कि स्त्री ने बाह्य संघर्ष नहीं किया,
पति की सुरक्षा नहीं की,
परन्तु,
पुरुष शरीर से शक्तिशाली था,
मन की कमजोरियों को,
उसने आंखों से बहने नहीं दिया,
तार तार होकर भी,
वह बना रहा ढाल,
ताकि स्त्री बनी रहे अन्नपूर्णा ।
पुरुष ने मिट्टी का दीया बनाया,
कि स्त्री भर सके उसमें रोशनी ,
अंधेरे से लड़ सके ...!
किसी भी बात की अति,
व्यक्ति को अत्याचारी
या निरीह बनाती है,
और वही होने लगा ।
पुरुष आक्रामक हो उठा,
स्त्री असहाय,
जबकि दोनों के भीतर रही जीवनदायिनी शक्ति,
दोनों थे पूरक,
लेकिन दोनों स्वयंसिद्धा बन गए,
एक दूसरे को नकार दिया,
भविष्य का पुरुष,
भविष्य की स्त्री ,
दोनों उग्र हो उठे,
परिवार,समाज से अलग
उनका एकल वर्चस्व हो,
इस कल्पनातीत इच्छा के आगे,
उनकी अद्भुत क्षमताएँ
क्षीण होने लगीं ।
प्रेम दोनों के आगे 
फूट फूटकर रो उठा,
घर का कोना कोना सिहरकर पूछने लगा,
कहाँ गया वह पुरुष
और वह स्त्री,
जिनसे मेरा वजूद था,
बचपन की मासूमियत थी,
बिना किसी तर्क के
पर्व-त्योहार थे, 
मेजबान और मेहमान थे ...
अब तो एक ही सवाल है,
इतना सन्नाटा क्यों है भाई,
या फिर है खीझ,
"ये कौन शोर कर रहा है" 
!!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. शोर नहीं भी हो तब भी :)
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. बहुत सुन्दर !
    वाक़ई स्त्री-पुरुष की आपसी लड़ाई के मूल में ये कमबख्त ईगो ही होता है. वैसे स्त्री-पुरुष में दायित्वों का स्पष्ट विभाजन करने की कोई ज़रुरत ही नहीं है. अपनी सामर्थ्य, अपनी रूचि और अपनी फ़ुर्सत के हिसाब से जिस से जो बन पड़े वो कर ले. स्त्री-पुरुष के आपसी रिश्तों में बस, ईमानदारी होनी चाहिए. फिर न तो तकरार का शोर होगा और न ही उदासी का सन्नाटा !

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 23/11/2018 की बुलेटिन, " टूथपेस्ट, गैस सिलेंडर और हम भारतीय “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-11-2018) को "सन्त और बलवन्त" (चर्चा अंक-3165) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. UNICEF gendar bayas Mina projects me BRAHMAN Hindu BHU GURU MAHA GRAM SANSKRUT Seva BHAKTI me Meri GUIDE DEGREE WITH MORBI TRANSFAR WITH PRAMOSAN jeva GHHANA KAMO KARI DYE E MATE JIVAVA vartava acharavanu kartavya DHARM manani.bharatiygramya PRATHAMIK SIKSAK JIVAN ma a achar vichar sanskarni SATHE charitrya ghhadar namuna rup svayam rahevu svabhavik hota a charcha asthane CHHE.

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