02 मार्च, 2019

साथ की अहमियत



जब तुम
तुम्हारा मन
तुम्हारा दिमाग
झंझावातों के मध्य रास्ता ढूंढता है,
जब तुम्हारी ही ज़रूरत सबको होती है,
तो धरती का ज़र्रा ज़र्रा तुम्हारे साथ होता है,
उस रास्ते के व्यवधान को
मिटाने की दुआएं लिए,
एक संवेदनशील वर्ग होता है,
तुम पर कोई आंच न आये,
इसके लिए जो साम दाम दंड भेद का
मार्ग अपनाता है,
उसे तुम कभी अनदेखा,
अनसुना मत करो ।
क्रिकेट का मैच हो
या ज़िन्दगी का मैच,
उस समय खिलाड़ी ही उतरता है मैदान में
और उसकी जीत
हमारी जीत होती है,
उसकी हार,
हमारी हार ...!
कोई और बल्ला नहीं उठाता,
ना ही कैच लेता है,
लेकिन थरथराती साँसों के संग
सब उसी पर नज़रें टिकाए रहते हैं ।
कुछ भी कहनेवाला
न कभी सही था,
ना होगा
पर साथ चलनेवाला
हमेशा सही होता है ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (04-03-2019) को "शिव जी की त्रयोदशी" (चर्चा अंक-3264) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    महाशिवरात्रि की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. दुआओं के साथ चली आती हैं अनंत शक्ति की लहरियां..और अदृश्य हाथ सहलाते हैं हर चोट को जो अन्याय का सामना करने में खानी पड़ती है

    जवाब देंहटाएं

  3. पावन शिवरात्री की आप को शुभकामनाएं....
    जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    05/03/2019 को......
    [पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......
    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. जब तुम्हारी ही ज़रूरत सबको होती है,
    तो धरती का ज़र्रा ज़र्रा तुम्हारे साथ होता है,
    उस रास्ते के व्यवधान को
    मिटाने की दुआएं लिए,
    एक संवेदनशील वर्ग होता है,
    तुम पर कोई आंच न आये,
    इसके लिए जो साम दाम दंड भेद का
    मार्ग अपनाता है,
    बहुत सुन्दर सार्थक एवं चिन्तनीय रचना...

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  6. तुम पर कोई आंच न आये,
    इसके लिए जो साम दाम दंड भेद का
    मार्ग अपनाता है,
    उसे तुम कभी अनदेखा,
    अनसुना मत करो ।
    वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...