26 मार्च, 2019

परिचय

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जीवन की आपाधापी में मैंने सपनो का मूल्य जाना, और टूटे फूटे शब्दों में उसे अर्थ देने को आतुर हुई। खामोशियों के रेगिस....

2 टिप्‍पणियां:

गंगा

गंगा ! तुम परंपरा से बंधकर बहती,  स्त्री तो हो किंतु परंपरा से अलग जाकर  अबला अर्थ नहीं वहन करती  वो रुपवती धारा हो जिसका वेग  कभी लुप्त नही...