13 मार्च, 2019

बरगद होने के बाद तुम समझोगे



जब तुम्हारी आंखें रोने रोने होती हैं,
जब तुम्हारे होठ थरथराते हैं,
मेरे अंदर प्रसव पीड़ा होती है !
मुझमें घृणा,नफ़रत जैसी कोई स्थिति नहीं,
लेकिन मेरे मस्तिष्क में स्थित त्रिनेत्र,
स्वतः,
उन सारी स्थितियों को स्वाहा करने लगता है,
जो तुमको रुलाते हैं,
कमज़ोर बनाते हैं !
तुम समझोगे इस स्थिति को एक दिन,
जब प्रसव पीड़ा जैसी पीड़ा,
तुम्हारे भीतर होगी
और उस दिन "माँ" के शांत चेहरे के पीछे छुपे दावानल का अर्थ
तुम पंक्ति दर पंक्ति समझ लोगे ।
मैं तुम्हारे सत्य के साथ हूँ,
तुम्हारी ख्वाहिशों के तने पर
मेरी दुआएं बंधी हैं,
लेकिन , आँधियों की चेतावनी मैं हमेशा दूँगी,
शायद वह चेतावनी तुम्हें मेरा रौद्र रूप लगे,
पर, जिन यत्नों से
मैंने तुम्हें वृक्ष बनाया है,
उतनी ही जतन से,
तुम्हारे अस्तित्व से
पक्षियों का कलरव नहीं जाने दूँगी,
मैं तुम्हारी जड़ों में
दीमक नहीं लगने दूँगी
..
बरगद होने के बाद
तुम समझोगे प्रकृति और माँ को :)

15 टिप्‍पणियां:

  1. बरगद होने के बाद
    तुम समझोगे प्रकृति और माँ को :)
    ध्रुव सत्य..
    आभार..
    सादर नमन...

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  2. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २३५० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...

    तेरा, तेरह, अंधविश्वास और ब्लॉग-बुलेटिन " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. बहुत बहुत दमदार प्रस्तुति सार्थकता और गहराई लिये।

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  4. बहुत सुन्दर !
    प्रकृति और माँ का आंचल सबको चाहिए लेकिन उनकी भावनाओं और उनकी संवेदनाओं को समझने का किसी के पास समय कहाँ है? बरगद होकर भी कोई इन्हें कहाँ समझ पाता है? लेकिन मसीबत में फिर हर कोई इन्हीं की शरण में जाता है.

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  5. बहुत सुंदर और सारगर्भित प्रस्तुति...

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  6. बहुत बढ़िया।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  7. माँ और प्रकृति दोनों उसी परम का विस्तार हैं..जिसने इन्हें समझ लिया वह मुक्त हो गया..

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  8. बरगद होने के बाद ही समझ आता है कि मां क्या होती है। बधाई।

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  12. Nice article thank you for sharing with us really it helps me a lot. Anyone tell me how to login into American eagle credit card

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