कभी कभी स्थितियाँ बड़ी गम्भीर होती हैं,
इतनी कि जीवन की जगह मृत्यु खड़ी होती है,
मृत्यु अर्थात पूरे वजूद में
श्मशान की लपटें होती हैं !
अदृश्य कफ़न में लिपटा शरीर,
बार-बार,
लगातार,
... अपनी चिता खुद बनाता है,
लेकिन,
आत्महत्या नहीं कर पाता !
आसान नहीं होता मर जाना,
साँसों में जिम्मेदारियां होती हैं,
जो आखिरी सांस से पहले पूछ बैठती हैं
"मेरा क्या होगा?"
अनेकों बार यही सवाल
जीने का कारण बनते हैं,
और यही "कारण"
उन रहस्यों के द्वार खोलते हैं,
जिसे हम "अद्भुत ज्ञान" कहते हैं ।
दर्द का मारा ही
सुख के असली मायने बताता है,
बाकी सब
झूठ है,
सिर्फ झूठ,
बस झूठ !!!
ना जीना आसान है ना मरना आसान है
जवाब देंहटाएंबैचेन आदमी देख कर खुदा परेशान है।
सुन्दर ।
Behtreen
जवाब देंहटाएंदर्द का मारा ही
जवाब देंहटाएंसुख के असली मायने बताता है,
बाकी सब
झूठ है,
सिर्फ झूठ,
बस झूठ
बहुत खूब ....
बहुत ही लाजवाब...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-03-2019) को "सबके मन में भेद" (चर्चा अंक-3284) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/03/2019 की बुलेटिन, " नेगेटिव और पॉज़िटिव राजनीति - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसच है की सुख के मायने दुःख में ही समझ आते हैं ... जीवन यही है ...
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ बस यही कि अनुभूति का मृत होना ...जीवन मृतप्राय होना त्रासदी ही तो है
जवाब देंहटाएंसुख के बीजों से ही वे वृक्ष पनपते हैं जिन्हें दुःख कहते हैं..और इसका विपरीत भी उतना ही सत्य है...
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