बात सिर्फ नज़रिए की है
कौन किस नज़रिए से क्या कहता है ,करता है
कौन किस नज़रिए से उसे सुनता,और देखता है
और इन सबके बीच
एक तीसरा नज़रिया
उसे क्या से क्या प्रस्तुत कर देता है,
जाने क्या मायने रखता है सबके लिए !!!
ईमानदारी बहुत कम है दोस्तों,
कुतर्कों की अमर बेल तेजी से फैल रही है...
आलीशान घर हो या फुटपाथ
सबके पास एक मोबाइल है
और मोबाइल पर - क्या नहीं है !
गली गली, हर मोड़ पर
अजीब अजीब विचार और व्यवहार तैर रहे हैं,
जो नहीं तैर पाया उनके साथ
वह डूब गया ।
कोई डूबना नहीं चाहता
ऊपर रहने के लिए बगैर कपड़ों के भी आना पड़े
तो यह उनका नज़रिया है,
व्यक्तिगत मामला है ।
... मैं सोचती रहती हूं
डुबो या तैरो
आखिर कब तक !!!
एक दिन वही शमशान होगा
वही चिता होगी
या कोई अनजान जगह ...
जहां खोकर पता भी नहीं चलेगा !
कभी कभार चर्चा होगी,
जब तक कोई जाननेवाला है
उसके बाद कहानी
कब, कैसे कैसे मोड़ लेगी
अनुमानों की चपेट में आएगी
कौन जाने !!!
ओह , आज का यथार्थ ।
जवाब देंहटाएंसोशल मीडिया पर जब तक सक्रिय हैं ठीक वरना लोग बहुत जल्दी ही भूल भी जाते हैं । और फिर मृत्यु तो शाश्वत है ही ।
आत्मचिंतन सा करती रचना 👌👌👌
शुभकामनाएं हिंदी दिवस की| सुन्दर सृजन|
जवाब देंहटाएंइसलिए जो जन्म में भी साथ है और मृत्यु में भी साथ नहीं छोड़ता उसी को अपना हमराज़ बनाना होगा
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंईमानदारी बहुत कम है दोस्तों,
जवाब देंहटाएंकुतर्कों की अमर बेल तेजी से फैल रही है...
बहुत सटीक....
चिंतनपरक लाजवाब सृजन।
सटीक सार्थक।
जवाब देंहटाएंपुनः पढ़ना अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंआज तो पठान भी शामिल हो गया इस नजरिए में ।
आज के यथार्थ पर गहन चिन्तन ।अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंमैं सोचती रहती हूं
जवाब देंहटाएंडुबो या तैरो
आखिर कब तक !!!
एक दिन वही शमशान होगा
वही चिता होगी
जीवन यथार्थ तो बस यही है, बहुत ही सुन्दर सृजन 🙏
किसी भी विषय पर
जवाब देंहटाएंपरिभाषा गढ़ना और
परिभाषित करना,
वैचारिक स्तर और
दृष्टिकोण पर
निर्भर करता है।
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बेहतरीन भावाभिव्यक्ति ।ः
सादर।
आज की कड़वी सच्चाई को बड़ी सरलता से इंगित करती रचना।सादर 🙏
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