19 सितंबर, 2021

स्त्री लिपि


 

मनुस्मृति के पन्नों पर
एक श्रद्धा थी स्त्री लिपि
जो मनु की ताकत बन पहुंची थी
उसके उद्विग्न मन के आगे,
 थमाई थी उसे अपनी जीवनदायिनी उंगली
और प्रकृति के कण कण में मातृरूप लिए
 हवाओं की छुवन को आत्मसात किया था ।

विश्वास था उसे,
अब कोई प्रलय नहीं आएगा
तभी उसने युगों का आह्वान किया
यज्ञ कुंड बनी
वृंदा बन हर आंगन पहुंची ... 
पर नियति निर्धारित झंझावात में
वह प्रश्न बनकर प्रवाहित होने लगी,
एक नहीं,दो नहीं
जाने कितने कटघरे बन गए
और स्त्री लिपि वर्जित हो गई ।

उसे विध्वंस का कारण बना दिया गया
उसके शुभ कदमों को रोकने,जलाने के उपाय होने लगे,
कन्या पूजन के नाम पर
माँ दुर्गा को छला जाने लगा
कन्या के जन्म से पूर्व ही
उसे मृत्युदंड दिया जाने लगा ...

अनगिनत घरों से दुर्गंध आने लगी
तब पुनः स्त्रियों ने अपने अस्तित्व को संवारा
खुद को मशाल बना 
खुद को खुद में लिपिबद्ध करने लगी
स्पष्ट शब्दों में लिखा,
नारी तुम केवल श्रद्धा नहीं हो
मनु को जीवन देनेवाली
उसे अर्थ देनेवाली संजीवनी हो ।

परोक्ष का मौन,
तुम्हें कमज़ोर बनाता गया है
उस मौन की कारा से बाहर निकलो,
अपना पूजन स्वयं करो
अपनी शक्ति से अपना अभिषेक करो
और चण्डमुण्ड,रक्तबीज,महिषासुर का
वध करो,
किसी भी युग के आह्वान से पहले
खुद का आह्वान करो ...



8 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-9-21) को "बचपन की सैर पर हैं आप"(चर्चा अंक-4194) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा




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  2. जिस दिन स्त्री खुद का आह्वान करना सीख जाएगी टैब ये महिषासुर पैदा ही नहीं होंगे ।
    झकझोर देने वाली रचना ।

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  3. वाह बहुत ही अच्छी बातें लिखी है आपने। धन्यवाद।   Zee Talwara

    जवाब देंहटाएं
  4. उसे विध्वंस का कारण बना दिया गया
    उसके शुभ कदमों को रोकने,जलाने के उपाय होने लगे,
    कन्या पूजन के नाम पर
    माँ दुर्गा को छला जाने लगा
    कन्या के जन्म से पूर्व ही
    उसे मृत्युदंड दिया जाने लगा ..
    वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो

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