सोच रही हूं...
कृष्ण के हिस्से,
उनके जीवन में क्या नहीं था !
दहशत भरा अतीत,
वहां से निकलने का रास्ता,
माता पिता से दूर जाने का विकल्प,
घनघोर अंधेरा,
मूसलाधार बारिश,
शेषनाग की सुरक्षा,
यमुना का स्पर्श,
गोकुल की धरती,
मां यशोदा का सामीप्य
नंदबाबा का घर
बलराम का साथ
राक्षसी का सामना,
कालिया मर्दन
माखन, राधा,
गोपिकाएं,
सुदामा,
गोवर्धन
वृंदावन....
मथुरा ।
वियोग, कर्तव्य
कंस मामा का वध
उद्धव के ज्ञान को प्रेम तक पहुंचाना,
द्वारकाधीश बनना,
कुरुक्षेत्र में गीता सुनाना,
साम दाम दण्ड भेद -
सबको एक अर्थ देना ।
कपटी' सुनने की क्षमता,
सबकुछ जानते समझते हुए भी
सही समय की प्रतीक्षा !
.....
रोम रोम अश्रुसिक्त
उनके जन्मोत्सव के आगे नतमस्तक रहता है,
तभी तो हर बार
मैं खुद में
मां देवकी, यशोदा,
यमुना,राधा की गरिमा महसूस करती हूं,
माखन बनकर
उनके द्वारा चुराए जाने का सुख पाती हूं ।
उनकी बांसुरी की तान बनकर
हवाओं में घुल-मिल जाती हूं
गोवर्धन बनकर
उनकी हथेली पर होती हूं
सुदर्शन चक्र बन
उनकी शक्ति में ढल जाती हूं
इससे अधिक अब मैं और क्या पूजा करुंगी ।
रश्मि प्रभा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन ! कृष्ण भारत की माटी में ऐसे घुलमिल गए हैं कि हर कोई उनसे जुड़ जाता है
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंअहा , कृष्ण के जीवन से आत्मसात् करके कृष्णमय हो जाना एक दुर्लभ अनुभूति ही कुछ ऐसा रच पाती है दीदी।
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