10 मार्च, 2008

निशान


निशाँ अपने कदमो के छोड़ जाऊंगा,
शहीदों का जज्बा बता जाऊंगा,
तुमने जाना नहीं हमको,
नहीं है गिला...
इन लहरों पे चलना सिखा जाऊंगा....
इन लहरों मे होती कहानी कई है
कोई कितना भी चाहे ये मिटती नहीं है..
निशाँ होते हैं वो हमारे लिए ही,
हम भी देंगे निशाँ अब तुम्हारे लिए...

11 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sahi lehron par ke nishan nahi mitate bahut khub

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  2. dil ke ehsaas ye bhi hain,
    "shaurya"....ki aawaaj ye bhi hain!!
    geet ye sheedi ke jazbe ka hai...
    paigaam ye maa ke sache bete ka hai!!

    ...di bahut badhiya.....!

    ehsaas!

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  3. "इन लहरों पे चलना सिखा जाऊंगा....
    इन लहरों मे होती कहानी कई है
    कोई कितना भी चाहे ये मिटती नहीं है.."
    बहुत ही शशक्त पंक्तियाँ है ...


    अनवरत लिखती है कोई कहानी ,
    इन अदम्य लहरों का नहीं कोई सानी...

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  4. धन्यवाद रश्मि जी, आपकी यह कविता मुझे आत्मिक रूप से बल दे रही है, मैं कलरब्लांईन्डनेस के कारण आर्मी में नहीं जा सका, मेरे एकमात्र पुत्र को आज ही सैनिक स्कूल में डालने के लिए फार्म मंगाया तो मेरी पत्नी की भावनाओं एवं आंतरिक रूदन को देखकर विचलित हो गया था । यद्यपि अभी सिर्फ फार्म आया है, प्रवेश परीक्षा एवं अन्य अनिवार्यता को देखा ही नहीं गया है ।
    आप प्रणम्य हैं । पुत्र के मन की भावनायें तो द्वितियक है, यहां आपकी भावनाये महत्वपूर्ण हैं । धन्यवाद ।

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  5. भावनाओं की खूबसुरत अभिव्यक्ति। बधाई।

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  6. बहुत भाव पूर्ण कविता है ..अच्छा लगी

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  7. एक जज़्बा जो देश प्रेम की भावना को बलवती करता है ... सुंदर

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  8. इन लहरों पे चलना सिखा जाऊंगा....
    इन लहरों मे होती कहानी कई है
    बहुत ही अनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  9. तुमने जाना नहीं हमको,
    नहीं है गिला...
    सच में एक गुमनाम जीवन जीकर यह हमें सुकून और आराम की ज़िन्दगी बक्श जाते हैं ...ऐसे सिपाहियों को नमन !

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  10. बहुत भाव पूर्ण कविता है,सिपाहियों को नमन देश प्रेम की भावना की अनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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