28 जून, 2008

पैगाम ......



विश्वास की ज़मीन

रंगोली से सजी है,

विजय ध्वज लहराता सूरज

आँगन उतरा है,

पक्षियों के खोए कलरव

वाद्य-यंत्रों से गूंज उठे हैं,

आंखों से खुशियों की बरसात हुई है,

ह्रदय आशीर्वचनों से मुखर हुआ है,

संगम के तीरे आज मेला लगा है.......

मेरे सपने साकार हुए,

मेरे अपने निहाल हुए,

मेरी जिंदगी में खुशियों के फूल खिले हैं,

मेघराज की गर्जना नगाडों - सी हुई है,

बूंदें नई जिंदगी के पैगाम लायी है...........

13 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे सपने साकार हुए,

    मेरे अपने निहाल हुए,

    मेरी जिंदगी में खुशियों के फूल खिले हैं,

    मेघराज की गर्जना नगाडों - सी हुई है,

    बूंदें नई जिंदगी के पैगाम लायी है...........
    bahut khubsurat,badhai

    जवाब देंहटाएं
  2. Rashmiji bhut sundar likha rhi hai. jari rhe.

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी खुशियों में और चार चाँद लगे....

    जवाब देंहटाएं
  4. "मेघराज की गर्जना नगाडों - सी हुई है,

    बूंदें नई जिंदगी के पैगाम लायी है...........
    "
    ek aur khubsurat kavita

    ...Ehsaas!

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut achee panktiyan aur shubhkamana hai man men ye basant bana rahe khushiyan aur vijay saths ath chale sada

    Anil

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति है खुशियों की दीदी........

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...