समय कहता रहा,
हम सुनते रहे
कब शब्द उगे हमारे मन में
जाना नहीं
सुबह जब अपने नाम के पीछे
पड़े हुए निशानों को देखा
तो जाना-
एक पगडण्डी हमने भी बना ली !
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
आदरणीया रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंआपकी कविता छोटी मगर गहरे भावों को समेटे है---
पूनम
ek gagaree me sagar sametatee hai ye rachana badhai
जवाब देंहटाएंek gagaree me sagar sametatee hai ye rachana badhai
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत पगडण्डी बनाया इन निशानो ने
जवाब देंहटाएंछोटी मगर बेहद भावपुर्ण रचना,।
जवाब देंहटाएंयदि यह एक प्रयोग है तो बहुत ख़ूबसूरत .दृश्य एवं भावनाओ को एक साथ लाना एक सफल प्रयाश रहा .जितनी मन को छूनेवाली कबिता है ,उतनी ही अनंत तक फैली हुई शांत ,अकेली पगडण्डी .बधाई .----------डॉ .राजेंद्र प्रसाद यादव .
जवाब देंहटाएंCHAND SHABDO MEIN KAHANI KAH GAYE AAP MAUSI
जवाब देंहटाएंkya bat hai
जवाब देंहटाएंbahut achi likhhi hai ..chalo pagdandi bani to sahi
kya bat hai
जवाब देंहटाएंbahut achi likhhi hai ..chalo pagdandi bani to sahi
rashmi ji.....
जवाब देंहटाएंbass aise to ban jati hain pagdandiyan....aur chalti jati hai zindagi....sundar abhivyakti hai...gahare bhav hain.....badhai
बेहद भावपुर्ण रचना,।
जवाब देंहटाएंआपने समय को सुना, अपने शब्दों से नए नए रास्ते खोज आगे बढ़ी ... पीछे छोडी कुछ पगडंडिया जो हम सबका आदर्श बन गई ..ILu...!
जवाब देंहटाएंबहुत सउंदर लगी आप की यह पगडंडी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
वाह वाह
जवाब देंहटाएंक्या बात है
कमसे कम शब्दों में
पूरी कहानी सी लगी
इसी को कहते हैं काव्यकौशल
http://chokhat.blogspot.com/
कब शब्द उगे हमारे मन में ....जाना नहीं
जवाब देंहटाएंकहाँ जान पाते हैं ..इतनी छोटी कविता ने इतनी लम्बी पगडण्डी बना ली ...!!
jab pgdandi hi itni khubsurat hai to
जवाब देंहटाएंsfar ke kya khne ?khan se lati hai ye khajana aap?
ati sundar bhav .
pagdandi---------log gagar me saager bahrte he lekin aapko bundon me smandar smetne ki mharaht hasil he..aap ki yhi nhi hr poem pdna phaad ke uper khde ho kr khuli hva me saans lene jesa hi he,.....u r pride of india...
जवाब देंहटाएंमैं काफ़ी दिनो से आपकी कविताएँ पड़ रहा हूं, आज इस कविता के माध्यम से मैने भी शायद एक पगडंडी बना ली, आपकी कविटायों को पड़ते रहने की.... बहुत अच्छी कविता है आपकी...
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह कम शब्दों में बहुत सारे एहसास समेट लिए
जवाब देंहटाएंसच कहा रश्मी जी, वक़्त को बस सुनते देखते रह जाते हैं और अपनी पगडण्डी हम कब बना लेते पता भी न चलता| ज़िन्दगी के यथार्थ को बहुत सुन्दर शब्दों में कहा है आपने, शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंgaagar mein saagar samet liya aapne to........kuch hi lafzon mein sare ahsason ko bayan kar diya........badhayi
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत भाव और अब पगडण्डी इतनी सुद्रढ़ हो गयी है कि दूर से ही अपनी उपस्थिति का आभास कराती है...शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात कही.....हमेशा की ही तरह सुन्दर भावुक रचना..
जवाब देंहटाएंआपने जो चित्र लगायी है अपनी रचना के साथ,उसे देख तो मन का क्या हाल हुआ क्या बताऊँ....बिकुल ऐसा ही दृश्य हमारे गाँव में घर के पिछवाडे कतार में लगे आम के पेडों के बगल से गुजर रहे पगडंडी का दीखता था...
बहुत सुन्दर विचारों की पगडण्डी !!
जवाब देंहटाएंपहले बार आपके ब्लॉग पर
जवाब देंहटाएंआया , पसंद आयी आपकी रचना
mere nam ki pagdandi
जवाब देंहटाएंkab ban gyi muzhe pata hi nhi chala .....ab dekhti hu k kai aor raste niakalne lage uske charo aor mere kai dusre namo ki tarah .....
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aapki post k reply mai
आप अपने लेखन से हमेशा मन्त्र मुग्ध कर देती हैं...चंद शब्दों में कितनी गहरी बार कितनी आसानी से...कमाल है..वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
गहरे अर्थ लिए छोटी किन्तु शशक्त रचना है .......... आपकी हर रचना प्रभावी और मन में सीधे उतरती है ........... अभिव्यक्ति को समझना अनूठा आनंद देता है आपकी रचना में ............
जवाब देंहटाएंye pagdandi ab pagdandi nahi rahi setu ho chuki hai......ye bhi aapne jana hi nahi.....:-)
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंहेमन्त कुमार
Bahut Sundar
जवाब देंहटाएंअसाधारण शक्ति का पद्य, बुनावट की सरलता और रेखाचित्रनुमा वक्तव्य सयास बांध लेते हैं, कुतूहल पैदा करते हैं।
जवाब देंहटाएंsundar kavita...sundar bhav...
जवाब देंहटाएंगागर में सागर, वाह!
जवाब देंहटाएंवाह इतने कम शब्दों मे इतनी खूबसूरत बात कहना तो कोई आपसे ही सीखे..और कितनी बड़ी बात..यह पगडंडी हमारा इतिहास भी हो सकती है, वि्ज्ञान भी, सभ्यता भी हो सकती है और हमारा विनाशमार्ग भी..जबर्दस्त..फिर से पढ़ता हूँ.
जवाब देंहटाएंsuperb
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पगडँडी बनाई है आपने। ये तस्वीर तो हमारे शहर की लग रही है बधाई ओस सुन्दर रचना के लिये
जवाब देंहटाएंthooodey mein bahut khey diya aapney[:)]
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
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