05 अक्तूबर, 2009

तूफ़ान और मंद हवाएँ............




सोच के तूफानों ने कहा
-क्या जीकर करना !
चलो,
इन तूफानों में ही दम तोड़ लें ....
मैं अवाक !
मेरी कलम-
मेरी ऊर्जा,मेरी जिजीविषा बन साथ है....
सुनते ही,
तूफानों ने रुख मोड़ लिया
मंद हवाएँ बहने लगीं !

39 टिप्‍पणियां:

  1. Mom...... bahut achchi kavita ...prernadaayak.... tufaanon ne rukh mod liya ......... bahut achcha lga.....

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  2. सुन्दर, अतिसुन्दर |
    सोच सकारात्मक हों तो विपरीत परिस्थितयों से झूझने और काबू पाने के रास्ते निकाल ही आते है |

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  3. बेहद खूबसूरत रचना। तूफानो ने रुख मोड़ लिया, लाजवाब अभिव्यक्ति.......

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  4. kalam mei shakti hai toofano ko मोड़ देने kee!
    वाह बहुत खूब!

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  5. kalam ki takat hr toofan se takra jaaye,sunder aashapurn kavita.

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  6. जी सही कहा आपने मनुष्य यदि ठान ले तो फिर क्या है....!हर मुसीबत पर पार पाया जा सकता है...

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  7. जी हमें तो कोई संदेह नहीं कि आप तूफ़ानों का रुख मोड सकती हैं...आपके ब्लोग के सौवें अनुसरणकर्ता बनने जा रहे हैं जी...

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  8. तूफानों ने रूख मोड लिया .. मंद हवाएं बहने लगी .. मन में किसी चीज की चाहत हो तो ऐसा ही होता है .. सुंदर रचना के लिए बधाई !!

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  9. kalm hi nirasha ke andhkar se ak nai kirn ki subh lati hai .aapki chand panktiyo ne bhkhubi abhivykt kae diya hai .
    abhar

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  10. सकारात्मक पहलू जीवन जीने के लिए ,आपकी कविता में परिलक्षित है अति सुन्दर

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  11. रश्मि जी
    सादर अभुवंदन.
    आप की अभिव्यक्ति तो सदैव प्रभावित करती रही है.
    वाह , कितना प्रेरक लिखा हैं आपने -------

    मेरी कलम-
    मेरी ऊर्जा,मेरी जिजीविषा बन साथ है....
    - विजय

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  12. ये सोच का तूफ़ान जिस दिन दम तोड़ देगा, हम सब का अस्तित्व भी ख़त्म हो जाएगा... आशावादी अभिव्यक्ति !!

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  13. shobhna ji mere blog par aapki rachana ki tarif ki aur utsukta vash main jhankne chali aai aur itni sundar rachana unki wazah se padhne ko mili .shobhna ji ki aabhari hoon .wo nek dil insaan hai jo unki rachana darshati hai .saath hi achchha likhati bhi hai .

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  14. सोच के तूफानों ने मंद हवाओं का रुख ले लिया ....जिजीविषा का चमत्कार है ये ...कम शब्दों में बहुत शानदार अभियक्ति ...!!

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  15. man shakti ke samaksh sach hee koi nahee tik sakata
    Itanee sunder rachana kee badhai .

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  16. TOOFAN SE DARNE E BAJAY AAPNE USKO JAWAB DIYA... SAKARATMAK SOOCH... SAKARATMAK ABHIVYAKTI !

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  17. kini taqat hai apki kalam me toofano ne muh modh liya..warna toofano me jeena mushkil hai...namumkin nahi....

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  18. क्या खूब लिख दिया आपने
    वाह !!

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  19. रश्मि जी संत जी टिप्पणी चोरी कर रही हूँ......

    सुन्दर, अतिसुन्दर |

    सोच सकारात्मक हों तो विपरीत परिस्थितयों से झूझने और काबू पाने के रास्ते निकाल ही आते है |

    और हाँ पहली बार एक बेटे को माँ के लिए यूँ तारीफ शब्द देख ख़ुशी हुई ....!!

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  20. आपकी सोच, आपकी कल्पना कभी कभी अचम्भित सी कर देती है।
    इस सुंदर भाव को पढकर भी ऐसा ही एहसास हुआ।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  21. waah didi
    kya baat hai
    padhkar aannad aur josh aa gaya
    jeevan ek yuddh hai aur aapki saral abhivyakti ne apne shabdo dwra ek jyot jaga di hai ..

    mera pranaam sweekar kare..

    regards
    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  22. अरे वाह!!!इतने कम शब्दों में इतनी गहरी बात!!

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  23. बहुत गहरे कही जीवन से जुडी है इस कविता की तार ...............तुफान भी इंसानी जज़्बे से हार जाते है .........बहुत ही खुब!

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  24. aapki soch..aapki urja....aapki kalam aur uski jijivisha kabhi ast na ho.....jeevant shabd!

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  25. उर्जा से भरी जिजीविषा और आपके शब्दों का सकारात्मक साथ अच्छे - अच्छे तुफानो को मोड़ सकता है ...ILu..!

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  26. didi .aap bahut achha likhti hai ...
    mai aapki sabhi kavitaye padti hu or aanand leti hu....

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  27. didi,
    aap bahut achha likhti hai mai hamesha aapki rachan padti hu or aanand leti hu ..

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  28. इतनी प्रेरणादायक रचना ...इसी जुझारू प्रवृति की जरूरत है सबको....गागर में सागर समेटे हुए हैं ये पंक्तियाँ

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  29. रश्मी जी,
    आपकी हर रचना बहुत सुन्दर होती है| कम शब्दों में गहरी अभिव्यक्ति... जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को प्रेरित करती रचना केलिए बधाई स्वीकारें|

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  30. superb...... aapke liy kuch bhi kahna .....munasib nhi hamare liy ..... aapki kalam ... bahut umda chalti hai

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  31. वाह! इसे कहते हैं घनघोर आशावाद ।

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  32. तुफ़ानों में कुछ बदल सकने की ताकत होती है.. मंद हवाय़ें सिर्फ़ कुछ पल का सकून दे पाती हैं..
    आपकी रचना के भाव सुन्दर हैं ... परन्तु
    यह पंक्ति
    मेरी ऊर्जा, मेरी जिजीविषा बन साथ है...
    एक विरोधाभास सा प्रकट कर रही है..

    हो सकता है मेरी समझ का ही फ़ेर हो..
    क्योंकि सभी ने.. वाह वाह कही है

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  33. सही कहा है..मन के हारे हार है मन के जीते जीत..सोच अपनी जगह बना लेती है..हवा हो या तूफ़ान.

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...