मिट्टी के चूल्हे पर
शर्मीली आँखों का तवा रख
ख़्वाबों की रोटियाँ सेंक ली है
लरज़ते ख्यालों की सब्जी में
प्यार का तड़का लगाया है
उसके आने की खुशबू
हवाओं में फैली है
इंतज़ार की अवधि को
जायकेदार नमक के साथ
कुरमुरा बनाया है
मनुहार की चाशनी
उसे रोक ही लेगी ...
bahut badiya..!:)
जवाब देंहटाएंoye hoye ...gazab di gazab ...kya dish banai hai.
जवाब देंहटाएंप्रिय के आगमन में विकल ह्रदय का सुन्दर चित्रण ..अगर आप चित्र ना भी लगाती तब भी आपके शब्दों ने रेखाचित्र बना दिया था
जवाब देंहटाएंये तडका और चाशनी बहुत बढ़िया लगी....बहुत खूबसूरत शब्द दिए हैं....
जवाब देंहटाएंGazab ki abhivyakti ... har shabd jaise chaasni mein dooba .. angeethi ki khusbhoo deta huva ...Rasoi ki makah pyaar ki makah ke saath mil kar sachmein kaaynaat mein fail jaayegi ... bahut hi lajawaab ...
जवाब देंहटाएंwaah bade kareene sesajaya bhavon ko...
जवाब देंहटाएंचाशनी और प्यार का तड़का हो तो --
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
Wow !
जवाब देंहटाएंपाकशाला से सम्बद्ध बिम्ब में कविता का रचाव
जवाब देंहटाएंसुन्दर है | शब्दों से बना हुआ चित्र आपके द्वारा
लगाये हुए चित्र से कम खूबसूरत नहीं है | आभार !
Hi..
जवाब देंहटाएंEtne prem ko jo paa lega..
Kahan wo jaa payega..
Priyatam ke dar par hi apni..
Parn kuty wo chhayega..
Nahi wo ja payega..
Hamesha ki tarah bhavpurn kavita..
DEEPAK..
बेहद खूबसूरत कविता है रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस का एक नवीन रूपक .
ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
क्या उनको रसोई मेँ बुलाया है और पकवान बनाया है! इजहारे इश्क रसोईमय हो गया ! गृहिणी इस से बढ़िया क्या चित्र उकेर सकती थी?काम का काम हो गया और अपने 'उनको' याद भी कर लिया।मैँ तो इस कविता मेँ उलझ ही गया।वाकई शानदार कविता!बेहतरीन मनौभाव!बधाई
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत कविता है
जवाब देंहटाएंbehad kubsurat ..me to manuhaar kee chasnee me dub gai hun ...!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा ।
जवाब देंहटाएंrashmi ji,
जवाब देंहटाएंummid par dunia kaayam hai, shayad manuhaar ki chaashni rok le...sundar rachna, badhai.
waah...
जवाब देंहटाएंbahut khub chitran...
premi ka swagat.....
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावनाओं की अभिव्यक्ति
ख्यालों के साथ प्यार का तडका, नमकीन इंतज़ार के साथ कुरामुराहट..... ज़रूर रोक लेगी मनुहार की चाशनी...
जवाब देंहटाएंप्रणाम के साथ शुभकामनाएं......
ऐसा कुछ होगा तो कौन न रुकेगा भला???? :) प्रतीकों ने मन मोह लिया.
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंचित्र और कविता दोनों पूरक है एक दूसरे के
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता,खाना बायकिया बहुत स्वाद होगा
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवाद
बहुत बहुत ख़ूबसूरत ! हम तो निशब्द हो गए ! जितनी सुंदरा तस्वीर उतनी ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंमनुहार की चाशनी ...
जवाब देंहटाएंइसकी मिठास से सराबोर कर दिया आपकी लेखनी ने। अमोल रचना!
अद्भुत!
उत्तम!!
वाह! बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंएक विनम्र अपील:
कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें.
शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
पंत जी की आत्मा को खुशी मिलती होगी आपके शब्दों के चित्रण को पढ़ कर।
जवाब देंहटाएंसही में ऐसी रोटी नहीं खाई हमने..लगता है अभागे हैं....
लाजवाब प्रस्तुती ......
जवाब देंहटाएं...बेहद स्वादिष्ट!!!
जवाब देंहटाएंरसोईघर से भी ईतनी परिपक्व कविता पाक सकती है, यह तो कोई आपसे ही जाने | मैं भला क्या शाबाशी देने के काबिल ! मगर मीठास बहुत है शब्दों के व्यंजन में...
जवाब देंहटाएंएक बात नहीं समझ में आ रही है कि कविता लिख कर चित्र ढूँढा या चित्र देख कर कविता लिखी..?
जवाब देंहटाएं...कविता इतनी अच्छी है कि पढ़कर भूख लग गयी.
wah awasya rukega eisa mera bhi biswas hai
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंभावनाओ को परोसना(प्रस्तुत करना) तो कोई यहाँ से सीखे...
कुंवर जी,
'"मनुहार की चाशनी उसे रोक ही लेगी"... बहुत सुंदर विम्ब रचना... अदभुद !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भावाभिव्यक्तियाँ....बधाई !!
जवाब देंहटाएंये शायद पहले भी पढी है।
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार भाव भरे हैं…………गज़ब्।
Waah, waah....bahut jyada pasand aayi ye raasoi...kaun nahi rukega :)
जवाब देंहटाएंदीदी प्रणाम
जवाब देंहटाएंनए रूप में एक विरहनी की मनो व्यथा को दर्शाया है ,नए र्रोप नए बिम्ब के लिए आप का आभार ,
साधुवाद
चुल्हे-चौके जैसे सामान्य एवं आम क्रिया-कलापो को आधार बनाकर प्यार की जो छवी और समर्पण का जो भाव आपने अभिव्यक्त किया है ,बहुत ही मखमली और मोहक बन पडा है .
जवाब देंहटाएंस्नेह का स्वाद ऐसा ही होता है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
shbd kam pad rahe hai! :)
जवाब देंहटाएंलरजते ख्यालों में ..प्यार का तडका..!
जवाब देंहटाएंवाह!बड़े सुन्दर और अनूठे बिम्ब हैं!
कविता तो बहुत अच्छी है ही साथ दिया चित्र भी क्या खूब चुना है.वाह!
ख्वाबों की रोटियां ,
जवाब देंहटाएंप्यार का तड़का ,
चाशनी की मनुहार ....
कोई क्यों ना, कैसे ना रुकेगा भला ...
बड़ी प्यारी सौंधी नमकीन मीठी सी कविता ...!!
आपकी ये रेसिपी अच्छी रही, पहले बना के देखूं फिर स्वाद का पता चले
जवाब देंहटाएंऐसी रचना की प्रशंशा शब्दों में की ही नहीं जा सकती...शब्द बने ही नहीं हैं जो दिल के भाव प्रगट कर सकें...बार बार पढ़ रहा हूँ और आप की लेखनी को नमन कर रहा हूँ...बस...
जवाब देंहटाएंनीरज
maa maa is baar aapka new look to wow so sweet..maa sachi templete bahut bahut hi acha hai....maa kavita ko read kerke feel kerne ke baad sach me ma Ashu ko ashu aa gaye..ma...sachi bahut bahut hi achi kavita hai..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंPREM KI SUNDAR AVIVAYKTI,MAA'M!!!!!!!
जवाब देंहटाएंBAHUT ACCHA LAGA PADHKAR.
REGARDS-
#ROHIT
मिट्टी के चूल्हे पर
जवाब देंहटाएंशर्मीली आँखों का तवा रख
ख़्वाबों की रोटियाँ सेंक ली है
लरज़ते ख्यालों की सब्जी में
प्यार का तड़का लगाया है.........बहुत सुन्दर....
मिट्टी के चूल्हे पर
जवाब देंहटाएंशर्मीली आँखों का तवा रख
ख़्वाबों की रोटियाँ सेंक ली है
kya baat kah di...bilkul hi alag si abhiyakti
shubh no 51 is mine....recipe tasty hain....to kab aaon khane par:-)
जवाब देंहटाएंउसके आने की खुशबू
जवाब देंहटाएंहवाओं में फैली है
इंतज़ार की अवधि को
जायकेदार नमक के साथ
कुरमुरा बनाया है
मनुहार की चाशनी
उसे रोक ही लेगी ...
रश्मि जी....तस्वीर जैसी ही सुन्दर रचना.
दिल को छू गई.
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंkya baat hai.. bahut khoobsurat
जवाब देंहटाएंwah!!!!!!!!!!! kya bat hai ...... sakhi ri piya milan ko aaye ... .... barbas y gana yaad aa gya ...... abke sal poonam mai jab tu aayega milne ...... ham nigah se teri aarti utarenge .. .....
जवाब देंहटाएंishq ka tadka !
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