29 मई, 2010

भय और सच


सुबह आँखें मलते
सूरज को देखते
मैं सच को टटोलती हूँ
ये मैं , मेरे बच्चे और मेरी ज़िन्दगी
फिर एक लम्बी सांस लेती हूँ
सारे सच अपनी जगह हैं

अविश्वास नहीं
एक अनजाना भय कहो इसे
हाँ भय
उन्हीं आँधियों का
जिसने मेरा घरौंदा ही नहीं तोड़ा
मुझे तिनके-तिनके में बिखराया

तिनकों को मैंने समेटा
मन्त्रों से सुवासित किया
होठों पर हँसी दी
पर एक अनजाने भय से दूर नहीं हो सकी
न इन तिनकों को कर पायी...

अब इसे लेकर ही यात्रा करनी होगी
क्योंकि
आँधियों से लड़ने के लिए इस भय का होना ज़रूरी है
भय ही सांकलों को बन्द करता है
भय ही कहता है चौकन्ने रहो
भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
आहट कोई भी हो
हमें सजग करता है
सुबह सूरज को भी गौर से देखकर ही मानती हूँ
यह वही अपना सूरज है
वही सुबह है
और चेहरों को टटोलकर
विश्वास से दिन की यात्रा करती हूँ


39 टिप्‍पणियां:

  1. भय ही सांकलों को बन्द करता है
    भय ही कहता है चौकन्ने रहो
    भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता है
    सुबह सूरज को भी गौर से देखकर ही मानती हूँ
    यह वही अपना सूरज है
    वही सुबह है
    .....................बहुत सुन्दर, अद्भुत रचना......! भय....सचमुच जीवन को बंधन से जकड लेता है.......! जीने का दर्शन स्पष्ट है इस कविता में....!

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  2. bahut khb


    shubah shubah assi kavitaye padne ko mil jaye to din gajab ka nikalta he

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  3. बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

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  4. Mummy ji
    तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  5. आँधियों से लड़ने के लिए इस भय का होना ज़रूरी है'
    भय को सार्थक अर्थ आप ही दे सकती हैं. वाकई लड़ने की ताकत और इच्छाशक्ति हमें भय से भी मिलती है.
    बहुत सुन्दर

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  6. बहुत सुन्दर ,बेमिशाल,और खूबसूरत ....

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  7. भय सुरक्षा की पहली सीढ़ी है.
    बड़े प्रभावी अंदाज़ में आपने यह कविता कही है.
    आपकी शैली वाकई तारीफे काबिल है.
    बधाई.

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  8. serv pratham ek sunder blog ke liye apko badhayee. apka blog bhaut sunder hai. kavitayen to sub adbhut hai .

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  9. kya kahoon...
    shabd kam pad gaye hain shayad...
    bahut hi behtareen rachna.....

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  10. यह वही अपना सूरज है
    वही सुबह है
    और चेहरों को टटोलकर
    विश्वास से दिन की यात्रा करती हूँ

    सुन्दर अभिव्यक्ति...बस ये विश्वास ही है जो सबको जोड़े रखता है...

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  11. So easy to relate...I have been there.

    Thanks for putting it in words.

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  12. सबके भय अलग अलग तरह क होते है और अनेक रूपों में जीवन जीने की प्रेरणा देते है |

    भय ही सांकलों को बन्द करता है
    भय ही कहता है चौकन्ने रहो
    भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता हैबहुत बढिया अभिव्यक्ति है
    कुछ मैंने भी लिखा था
    उन्होंने तो दी थी
    हमें घने दरख्तों की छाया
    जिसमे हम भरपूर
    फले भी फुले भी
    हम है अभी से आतंकित ,आशंकित
    क्योकि हमने तो दी है
    इन्हें
    मनी प्लांट और बोगन बलिया की छाया |

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  13. अब इतनी सुन्दर रचना के लिए शब्द कहाँ से लाऊ, सिर्फ एक ही शब्द याद आ रहा है' बेहतरीन'

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  14. खूबसूरत बेमिशाल और हिम्मत जगाती रचना, धन्यवाद

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  15. कविता में दर्शन का स्पर्श अच्छा लगा..

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  16. bhagwan kare ye bhay bana rahe....:)
    aur aap apno ko samete rho.......:)

    bhawuk rachna...........di!!

    जवाब देंहटाएं
  17. bhagwan kare ye bhay bana rahe....:)
    aur aap apno ko samete rho.......:)

    bhawuk rachna...........di!!

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर रचना ....आपका तो जवाब नहीं //// आपके लिए कुछ यहाँ है http://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_28.html

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  19. didi pranam
    aasha aur nirasa ke beech naya vishwas liye apni oodan bharna apne path pe chalna hi hosla hota hai kuch sabak liye . BHOOR , SURAJ ,TUTEA GOUSLA , NAYA SACH , NAYA VISHWAS .. sab kuch hai insaan ke paas bas hosle ki zarurat hai .. ek naya bimb liye kavita achchi lagi ,
    sadhuwad

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  20. " और चेहरों को टटोलकर
    विश्वास से दिन की यात्रा करती हूँ "

    ye do lines bahut achi hain
    hum b to roz yahi karte hain
    vishwas k saath din ki shuruat :)

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  21. आँधियों से लड़ने के लिए भय का होना जरुरी है ...भय सजग करता है ...
    और सूरज पर विश्वास करना भी सिखाता है ... चौकन्ना रखता है , पकड़ मजबूत रखता है
    आपने भय का एक सकारात्मक पहलू भी ढूंढ लिया ...

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  22. Rashmi ji..

    Sajag sabhi ko rakhta beshak..
    Par 'BHAY' dar sang lata hai..
    Anjaane dar se jab darte..
    'BHAY' tab aur darata hai..

    Aandhi gam ki aayen kitni..
    Bas 'BHAYHEEN' rahen hardam..
    Nidar samna kare koi to..
    Har aandhi ka nikle dam..

    Ab tak ke jeevan main chahe..
    Kitne jhanjhawat rahe..
    Bachchon ke sang shabd bhi tere..
    Sada tumhare sath rahe..

    Jeevan jatil visham tera par..
    Hothon par muskaan rahe..
    Har 'BHAY' se tum door raho..
    Eshwar ka dil main sthaan rahe..

    Dua humari tere sang main..
    Sada tumhare sath rahe..
    Surya sang 'RASHMI' ki aabha..
    Khushion ka prabhat rahe..

    Man ke bhay sa har le Eshwar..
    Man dekar ek umang..
    Kavita ke bhawon si tere..
    Faile chahun oor sugandh..

    DEEPAK..

    www.deepakjyoti.blogspot.com

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  23. 'भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता है '
    -अच्छी और सच्ची कविता!

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  24. भय ही सांकलों को बन्द करता है
    भय ही कहता है चौकन्ने रहो
    भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता है
    सुबह सूरज को भी गौर से देखकर ही मानती हूँ
    यह वही अपना सूरज है

    बहुत ईमानदारी से लिखी रचना ... सच है की भय होता है हर किसी के अंदर ... बस उसको मानना नही चाहता कोई ...

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  25. भय....सचमुच जीवन को बंधन से जकड लेता है.......! जीने का दर्शन स्पष्ट है इस कविता में....!

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  26. बेशक भय स्वाभाविक भी है..
    मुनासिब भी..
    और रक्षक भी,
    चिपका लूँ मगर इसे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह तो नादानी न होगी.....??

    साहस भी तो स्वाभाविक है..
    मुनासिब भी..
    और रक्षक भी,
    कूद पडूँ हिमालय से फकत इसके ही दम पर तो क्या परेशानी न होगी.....??
    -
    manish badkas

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  27. rashmi ji,
    bahut gahre aur sachche jazbaat...

    आँधियों से लड़ने के लिए इस भय का होना ज़रूरी है
    भय ही सांकलों को बन्द करता है
    भय ही कहता है चौकन्ने रहो
    भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता है
    bahut badhai aapko.

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  28. जीवन में एक नई प्रेरणा देती प्रस्तुती.सुन्दर भाव बेहतरीन शब्द संयोजन.जीवन के सत्य का एक पहलू. बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  29. और नारे हैं भय-मुक्त समाज के।
    भय भी शक्ति दे सकता है, विश्वास में और दृढ़ता भी।

    जवाब देंहटाएं
  30. आँधियों से लड़ने के लिए इस भय का होना ज़रूरी है
    भय ही सांकलों को बन्द करता है
    भय ही कहता है चौकन्ने रहो
    भय ही हमारी पकड़ को मजबूत करता है
    आहट कोई भी हो
    हमें सजग करता है
    सुबह सूरज को भी गौर से देखकर ही मानती हूँ
    यह वही अपना सूरज है
    वही सुबह है
    और चेहरों को टटोलकर
    विश्वास से दिन की यात्रा करती हूँ |

    Sach kaha, yeh bhay bhi jaruri hai hamesha chaukanna rahne ke liye. Sundar kavita.

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...