20 नवंबर, 2010

गुजारिश ... (एक काव्यात्मक समीक्षा )




गुजारिश है.. एक छोटी सी गुजारिश
गुजारिश देखिये
औरों के नज़रिए से नहीं
अपना नज़रिया जानने के लिए ..
इथेन का दर्द
सोफिया की सेवा
देवयानी की दोस्ती
ओमार की निष्ठा और प्रायश्चित
डॉक्टर का अपनत्व
माँ के प्रेम की स्पष्टता
स्टेला की आतंरिक समझ...
कहीं भी आँखों से आंसू नहीं बहे
बस मन इथेन को जीता गया
अलग अलग हिस्सों में ...
लीक से अलग एक सच
शोर से परे कुछ जज्बाती गीत
जो गुजारिश करते हैं
प्यार को समझने की !

32 टिप्‍पणियां:

  1. मगर समझता कोई नहीं.... बेहतरीन रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !!

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  2. बेहतरीन कविता रुपी समीक्षा ...अभी देखी नहीं है ..बस पढ़ा ही है इस गुज़ारिश के बारे में ...

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  3. फिल्म को समझने के लिए नई दृष्टि.. नई समझ.. बहुत सुन्दर..

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  4. are waah aapne dekh li kya film ????
    mujhe bhi dekhni hai...
    wakayi mein achhi film होगी..बिलकुल आपकी samiksha ki tarah....

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  5. रचना बेहद सुन्दर है …. उम्दा … शुभकामनाएं

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  6. kal hi dekhenge ................
    agli tippni uske baad rashmi ji .

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  7. देखें तो जाने...समीक्षा कितनी सटीक है. :)

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  8. अलग अलग हिस्सों में ...
    लीक से अलग एक सच
    प्रयोग अच्छा है।

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  9. अरे वाह दीदी, आप तो एक नई तरह का प्रयोग की है, अब तो मुझे ये मूभी देखना ही है ... वैसे यहाँ हिंदी फिल्में आती नहीं है ... देखते हैं कहीं से जुगाड हो सकता है या नहीं ...

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  10. Abhi ek dost se bhi suna ki film nahi kavita hai... Lagta hai ki aaj dekhni hi padegi... :)

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  11. ये अन्दाज़ भी बढिया लगा समीक्षा का…………अभी देखी तोनही है।

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  12. देखी है ये फिल्म मैंने ... सच में इस रचना में आपने पूरी पिक्चर का सार उतार दिया है ....
    बहुत ही अच्छी पिक्चर है ... उतनी ही अच्छी रचना ..

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  13. कविता के माध्यम से सुन्दर समीक्षा!

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  14. Thanks for being Ethan..
    & also sanjay leela bhansaali..
    going to see it tonite.. :-)

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  15. आदरणीय दीदी,
    शायद जीवन में पहली बार किसी फिल्म की इतनी सारगर्भित काव्यात्मक समीक्षा
    पढने को मिली है.

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  16. रश्मि जी, अभी देख नहीं सके...
    लेकिन आपने रचना के माध्यम से जिस प्रकार पात्रों का हवाला और उनकी विशेषता बयान की है, उससे बेहद उत्सुकता जाग गई है.

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  17. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ........

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  18. वाह बहुत सुंदर समीक्षा ... अब तो फिल्म देखने का मन है.......

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  19. सारगर्भित काव्यात्मक समीक्षा एक अच्छा प्रयोग....

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  20. बहुत ही सुन्‍दरता से आपने की है समीक्षा गुजारिश ...अब तो जल्‍दी ही इसे देखना पड़ेगा ।

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  21. वाह... बहुत खूब...
    मूवी देखते वक़्त यही लाइंस याद आयेंगी...

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  22. आपके भावुक मन ने जो देखा वही सच है...इन्हीं पात्रों ने ही तो फिल्म मे जान डाल दी है..

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  23. MAN GAYE AAPKI NAZAR KO.....JAHA NA PAHUCHE RAVI WAHA PAHUCHE KAVI

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  24. ये फ़िल्म देखी तो नहीं है मौका मिला तो जरुर देखूंगी

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...