'राजा बनने की धुन में उसका बचपन बीता ...'
कहते हुए
उसके अपने और वह खुद
भूल जाता है
कि वह राजकुमार था !
उसके खेल भी असाधारण थे
वह अयोध्या का राम बनता
या गोकुळ का कृष्ण !
शब्दों की बाज़ी हारते हारते
उसने शब्दों की खेती की
अनमोल बीजारोपण किया
जिसकी उर्वरक क्षमता ने
शब्दों के कोरे महारथियों को
घुटनों के बल
खुद तक आने को मजबूर किया !
प्रजा खुश रही
पर घर की दीवारों ने
बगावत किया ........
राजा की तरह मंद मुस्कान लिए
समूह से अलग चलता राजा
अपनी खुद्दारी का
झूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
हीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है
वाह दीदी, क्या बात कही है ...
सच है, पैसा सुख तो दे सकता है पर मन की शांति नहीं, खुशी नहीं ...
ये सब मिलता है रिश्तों से ... अपनापन से ...
राजा ... सबके लिए चलता रहा
जवाब देंहटाएंप्रजा प्राप्य से खुश
पर परिवार बस सबकुछ ले लेना चाहता है
और राजा चुटकी भर नमक यानि प्यार ढूंढता है
जो आसान नहीं होता
चुटकी भर नमक कि तलाश आँखों को बेरंग कर जाती है ..
आभार ...आप जानती ही होंगी क्यों ...:)
yahee ek chutkee namak maanav ko maanav se baandh kar rakhataa hai
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa rashmi jee
राजा की तरह मंद मुस्कान लिए
जवाब देंहटाएंसमूह से अलग चलता राजा
अपनी खुद्दारी का
झूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
वाह चुटकी नमक के माध्यम से क्षणिक सुख की तलाश। बहुत सुन्दर लगी आपकी कविता। बधाई।
बहुत बढ़िया रश्मि जी...
जवाब देंहटाएंकाफी कुछ छुपा है आपकी इस रचना में...
चाहे दुनिया में कितना कुछ ही क्यूँ न मिल जाए प्यार की उम्मीद तो सभी को रहती है..
सच्चा सुख तो अपनेपन में है.. नमक में है... बहुत सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंराजा की तरह मंद मुस्कान लिए
जवाब देंहटाएंसमूह से अलग चलता राजा
अपनी खुद्दारी का
झूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
बचपन की नादानी से उभरती सोच कितनी परिपक्व बन गयी है... ! बहुत सुन्दर !
एक चुटकी नमक ...हर चीज़ को स्वादिष्ट बना देती है ..चाहे वो भोजन हो या रिश्ते ...
जवाब देंहटाएंसच है नमक बहुत ज़रूरी है ...बहुत सारगर्भित रचना ..
राजा की तरह मंद मुस्कान लिए
जवाब देंहटाएंसमूह से अलग चलता राजा
अपनी खुद्दारी का
झूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
भावपूर्ण रचना प्रस्तुति.... आभार
बहुत खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंहर भाव में बहुत गहराई है
सच मे दुनिया में अपनेपन के सिवा कुछ नही है
आभार
इस एक चुटकी नमक की चाह मे ही खुद तबाह हो जाता है इंसान मगर हर किसी का नसीब कहाँ होता है………बेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंहीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है
सच है पैसे की चकाचोंध असली सुख नहीं दे सकती ... अकेला इंसान छोटी छोटी खुशियों से महरूम रह जाता है ..
मैम, आपकी ये कविता पढ़कर एक कहानी याद आ गयी, पापा हमेशा सुनते थे, उसमे भी एक नमक की कीमत को बाते जाता है... राजकुमारी की बेटी थी उस कहानी में...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
हम्म नमक तो बहुत जरुरी है.
जवाब देंहटाएंकभी जीवन की चाह चुटकी भर नमक में ही सिमट जाती है। बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंkahan kahan se soch ko jeete ho rashmi di........:)
जवाब देंहटाएंchutki bhar namak me bhi dhundh liya aapne apne soch ko....superb!!
"हीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है"
दीदी,
आखिरी समय में "KING LEAR" को चुटकी-भर नमक का प्यार आखिर मिल ही गया.
बेहद सुंदर .
हीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है
अपनापन रूपी चुटकी भर नमक ही जीवन की सच्ची खुशी है, पर पैसों के चकाचौंध में खोई जिंदगियां इसे जीवन भर तलाशती ही रह जाती है, जो उनके दंभ भरे हाथों से पारे सा छिटकता रहता है. गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
अपनी खुद्दारी का
जवाब देंहटाएंझूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है ।
इसके बिना जीवन में कोई रस भी तो नहीं ...आभार इस भावमय प्रस्तुति के लिये ।
हीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है...
jise ek chutki namak mil jaae wahi sach mein raja hai.... bahut sunder rachna!
अपनी खुद्दारी का
जवाब देंहटाएंझूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है ।
बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना! वह भी इतने अच्छे उदाहरण के साथ.
... bahut badhiyaa ... behatreen rachanaa !!!
जवाब देंहटाएंwah .behad sunder.
जवाब देंहटाएंराजा का दर्द निचोड़ दिया आपने. अमेजिंग.
जवाब देंहटाएंShayad ham kavita ko alag tareeke se samajh raheh hai...aaj ke bihaar ke chunavi parinamo se jodu to saty hi to hai...raja banane ke lalsa bhi poori hui, aur satta ka shukh bhi...sukh milte hi...bhrast, anaitik aachrana aur kriyakalaap ....aaj samarthan ka namak bhi nahi...mera nazariya zuda ho shayad ..lekin padh kar dimaag mein yahi click kiya
जवाब देंहटाएंकाश उसकी आँख में ही होता वो नमक..:)
जवाब देंहटाएंकितना सच लिखा है आपने..
इस रचना में गज़ब की मारक क्षमता है। कहीं-कहीं व्यंग्य है तो कहीं विषाद... अगर समाज ऐसे उदाहरणों से सीख ले ले, तो दुनिया रहने के लिए और अच्छी जगह बन जाएगी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,
विश्व दीपक
नमक स्नेह का ... अपनापन का...
जवाब देंहटाएंयही तो वास्तविक पूँजी है!
राजा की तरह मंद मुस्कान लिए
जवाब देंहटाएंसमूह से अलग चलता राजा
अपनी खुद्दारी का
झूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
.....
बहुत ही सारगर्भित अभिव्यक्ति
aakhiri do panktiya behad sateek... dambh ke bhitar chhupi huvi aik haqiqat... apnapan talaaste huve ...bahut sundar rachnaa..
जवाब देंहटाएंaakhiri do panktiya behad sateek... dambh ke bhitar chhupi huvi aik haqiqat... apnapan talaaste huve ...bahut sundar rachnaa..
जवाब देंहटाएं"हीरे जवाहरातों में
जवाब देंहटाएंएक चुटकी नमक ढूंढता है" !!!
बहुत सटीक और मार्मिक मिथक चुना है आपने ! कौन नही जनता नमक की महिमा को ! बधाई स्वीकारें !
सुख के लिए एक चुटकी नमक ही तो चाहिए होता है। वह नमक पसीने से भी आता है। और पसीना परिश्रम से।
जवाब देंहटाएंकितनी ख्वाहिशें यहाँ हैं...
जवाब देंहटाएंअपनी खुद्दारी का
जवाब देंहटाएंझूठा दंभ भरता है
हीरे जवाहरातों में
एक चुटकी नमक ढूंढता है
कविता मार्मिक बन पड़ी है .....इन शब्दों से
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
बहुत सुंदर रचना 'एक चुटकी नमक'
जवाब देंहटाएंb'ful di
जवाब देंहटाएंbahut achi hai
iski tareef mere papa ne b bahut ki
unki taraf se b "shubhkamnayen"
are waah कितने सलीके से कह दी बड़ी बात
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