22 मार्च, 2011

सत्य की जीत



पायल उतार दबे पाँव
तुम हर रोज मेरे घर आती हो
हर कमरे का मुआयना करती हो
और आखिरी सूई निकालने के क्रम में
मेरी डायरी के पन्नों से
कुछ शब्दों की चोरी करती हो
और कुछ अल्फाज़ आईने से ...
मैंने एक कैमरा लगा रखा है
अपनी दहलीज़ पर
न भी लगाऊं तो भी
तुम जो एहसास उकेरती हो
उसके पैरों के निशान
मेरे कमरे में मिल जाते हैं
जो हर राज़ खोलते हैं !
ना ना
आश्चर्य से आँखें ना बड़ी करो
घबराओ भी मत -
मैं तुम्हारी तरह
पीछे से वार नहीं करुँगी
ना ही कोई छद्म रूप लूँगी ...
तुम्हें एक बात बताऊँ ,
यह घर मेरा है
इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
बस भावनाओं की दीवारें हैं
...
इन दीवारों को खुरचकर
तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
सच्चाई सामने होगी ...
भूलना नहीं
बाज़ी अंग्रेजों की नहीं
भारतीयों की दृढ़ता ही काम आती है
जीत सत्य की ही होती है !

36 टिप्‍पणियां:

  1. "....यह घर मेरा है
    इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
    बस भावनाओं की दीवारें हैं ...."

    ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आश्चर्य से आँखें ना बड़ी करो
    घबराओ भी मत -
    मैं तुम्हारी तरह
    पीछे से वार नहीं करुँगी
    ना ही कोई छद्म रूप लूँगी ...
    तुम्हें एक बात बताऊँ ,
    यह घर मेरा है
    इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
    बस भावनाओं की दीवारें हैं...!

    इन पक्तियों ने तो निहाल कर दिया प्रभा जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. Har pankti bhawporn hai didi.

    इन दीवारों को खुरचकर
    तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
    क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    सच्चाई सामने होगी ...
    भूलना नहीं
    बाज़ी अंग्रेजों की नहीं
    भारतीयों की दृढ़ता ही काम आती है
    जीत सत्य की ही होती है !

    par isane dil ko chhu liya
    badhai swikare .

    जवाब देंहटाएं
  4. 'भूलना नहीं

    बाज़ी अंग्रेजी की नहीं

    भारतियों की दृढ़ता ही काम आती है

    जीत सत्य की होती है '

    ************************

    गहन भावों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति दर्शनीय है ..

    जवाब देंहटाएं
  5. अंग्रेजों की चालें और भारतियों की दृढ़ता बखानती एक सार्थक कविता ! बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  6. antim do panktiyo ka abhipray nahee samajh paee kis sandarbh me hai ye prakash daliyega ....
    Aabhar
    anytha na le.
    kuch seekhane kee lalak hee yanha latee hai.

    जवाब देंहटाएं
  7. apki har kavita me kuch naya hi sikhne ko milta hai.. har lies apne me bhut arth liye hoti hai... ek baar phir bhut accha aap likhti hai...

    जवाब देंहटाएं
  8. apki har kavita me kuch naya hi sikhne ko milta hai.. har lies apne me bhut arth liye hoti hai... ek baar phir bhut accha aap likhti hai...

    जवाब देंहटाएं
  9. आप जैसे हैं, वैसे स्वयं को व्यक्त कर पाने में कितना सुकून है।

    जवाब देंहटाएं
  10. इन दीवारों को खुरचकर
    तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
    क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    सच्चाई सामने होगी ...

    बहुत भावपूर्ण रचना...बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  11. क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    सच्चाई सामने होगी ...
    भूलना नहीं
    बाज़ी अंग्रेजों की नहीं
    भारतीयों की दृढ़ता ही काम आती है
    जीत सत्य की ही होती है !

    बेहद प्रभावी पंक्तियाँ.....

    जवाब देंहटाएं
  12. आप अपनी बात खूबसूरती से व्यक्त करने में कामयाब हैं , शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  13. बस भावनाओं की दीवारें हैं
    ...और जो इन दीवारों को कोई खुरचे तो पता तो चलना ही हुआ ...जीत सत्य की ही होती है ...आज की रचना में कुछ ऐसा है जो रहस्य मयी लग रहा है ..

    जवाब देंहटाएं
  14. भारतीय और अंग्रेज प्रतीकात्मक हैं , सन्दर्भ भावों का हो , व्यवहार का हो, आदान-प्रदान का हो सहजता और छल का अंतर होता है न

    जवाब देंहटाएं
  15. "जीत सत्य की ही होती है" लाजबाब ढंग से इस सुन्दर अभिव्यक्ति का समापन किया है आपने .
    मेरी पोस्ट 'बिनु सत्संग बिबेक न होई' पर आपका इंतजार है.

    जवाब देंहटाएं
  16. इन दीवारों को खुरचकर
    तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
    क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    कितनी सजगता से भावनाओं को अभिव्यक्त किया है ....आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सहजता से गहन बातों को अभिव्यक्त किया है आपने |सुंदर रचना बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सहजता से गहन बातों को अभिव्यक्त किया है आपने |सुंदर रचना बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  20. आश्चर्य से आँखें ना बड़ी करो
    घबराओ भी मत -
    मैं तुम्हारी तरह
    पीछे से वार नहीं करुँगी
    ना ही कोई छद्म रूप लूँगी ..
    जीतने के लिए छल छद्म कहाँ ज़रूरी है ...उससे क्षणिक ही तो ख़ुशी मिलती है और अस्थिर सफलता ..
    दृढ़ता भारतीयों की ही काम आती है ...प्रतीकार्थ में अपनी बात पर दृढ रहने वालों की बात की है ...सत्य कभी हारता- सा प्रतीत होता है , मगर अंततः जीत उसी की होती है , होनी चाहिए ...

    सकारत्मक भावों से लबरेज़ कविता !

    जवाब देंहटाएं
  21. तुम जो एहसास उकेरती हो
    उसके पैरों के निशान
    मेरे कमरे में मिल जाते हैं
    जो हर राज़ खोलते हैं !

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !

    जवाब देंहटाएं
  22. har shabd se bhaw mahak rahe hain..:)
    waise mujhe to ye kavita copy-paste karne walo ke liye dedicate karti hui lag rahi hai...:D

    kahi aisa to nahi di...:)

    जवाब देंहटाएं
  23. तुम्हें एक बात बताऊँ ,
    यह घर मेरा है
    इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
    बस भावनाओं की दीवारें हैं
    ...
    इन दीवारों को खुरचकर
    तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
    क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    सच्चाई सामने होगी ...

    वाह ...बिल्‍कुल सही कहा है आपने ...किसी के विचारों को हम अपने शब्‍द दें या किसी के शब्‍दों को अपने विचार दें तो सामने वाले को तो पता चल ही जाता है ...सच क्‍या है ...।।

    जवाब देंहटाएं
  24. यह घर मेरा है
    इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
    बस भावनाओं की दीवारें हैं
    dil se nikli hui ek madhur awaz jaisi lagi....har pangti

    जवाब देंहटाएं
  25. जीत सत्य की ही होती है !

    shashvat ka ehsas karati rachna, aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  26. जीवन की सच्‍चाई को बडी सहजता से बयां कर दिया आपने।

    होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
    धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
    समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।

    जवाब देंहटाएं
  27. कविता के आरम्भ में लगा कि श्रृंगार की कविता होगी लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गया कविता रूख बदलते हुए लगी और जब अंत तक पहुंचा तो मन में यह खयाल आया कि गुगली गेंदबाजी की तरह कविता में भी गुगली होती है बस इसी अंदाज़ पर मन वाह! कर उठा।

    जवाब देंहटाएं
  28. इन दीवारों को खुरचकर
    तुम भावनाओं की नाव नहीं चला सकती
    क्योंकि जब भी तुम खुद चलोगी
    सच्चाई सामने होगी ...
    भूलना नहीं
    बाज़ी अंग्रेजों की नहीं
    भारतीयों की दृढ़ता ही काम आती है
    जीत सत्य की ही होती है !
    waah waah waah ,ati sundar ,kuchh kahna nahi sirf shabdo me doobna hai tatha bhavo ko samjhna hai .

    जवाब देंहटाएं
  29. सच्चाई को बाखूबी उजागर किया है आपने.

    जवाब देंहटाएं
  30. भूलना नहीं
    बाज़ी अंग्रेजों की नहीं
    भारतीयों की दृढ़ता ही काम आती है
    जीत सत्य की ही होती है !

    बहुत सार्थक सन्देश !

    जवाब देंहटाएं
  31. jisse bhi yeh sab kaha hai aapne, uski to khair nahi :-) kash baat samajh mein aa jaae...
    satya ki hamesh jeet hoti hai!!! yeh khayal dil ko hamesha khush karta hai! is rachna ke liye dhanyawaad!

    जवाब देंहटाएं
  32. यह घर मेरा है
    इसमें झाड़फानूस नहीं लगे हैं
    बस भावनाओं की दीवारें हैं

    शब्द शब्द बहुत भावपूर्ण, बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  33. सच कहा जीत सत्य की ही होती है .... बेहतरीन रचना ..

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...