27 मार्च, 2012

हाँ मैं कृष्ण ----



हाँ मैं कृष्ण ----
मैं तो कुछ कहता ही नहीं
कह चुका जो कहना था
गुन चुका जो गुनना था
पर तुम सब अपने बंधन में आज भी हो ...

कभी धृतराष्ट्र कभी दुर्योधन
कभी शकुनी ....
कभी कर्ण कभी अर्जुन कभी युद्धिष्ठिर !
एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
न प्रश्न न संशय न हार न जीत
बस ------ माखन और बांसुरी की धुन

.... पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
आश्चर्य !
फंसते भी खुद ही हो
और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !

मेरी ख़ामोशी को तुम मेरी हार समझते हो
यह तुम्हारी बेवकूफी नहीं अतिरिक्त समझदारी है
तुम चाहते हो मैं डर जाऊँ उन बन्द रास्तों से
जिसके ज़िम्मेदार तुम हो
पर मुझे बनाना चाहते हो !
....
कलयुग में तुम कितने मुखौटे बनाओगे
यह मुझे पूर्व से ज्ञात था
तुम जानबूझकर भ्रमित हो सकते हो
पर मैं भ्रमित नहीं ..
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
न मथुरा
न हस्तिनापुर

.... तुम नाहक मुझे लेकर
कुछ का कुछ सोच रहे
बेशक छल शह मात का खेल खेलो
पर मुझे मत घसीटो
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे

40 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !
    न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
    न मथुरा
    न हस्तिनापुर

    बहुत ही उत्कृष्ट रचना.....कृष्ण की बेला में हर शब्द को में पिरोया है ,बांसुरी की ये धुन बहुत मधुर थी

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  2. पर मुझे मत घसीटो
    मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
    वाह.....बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति

    MY RESENT POST...काव्यान्जलि.....तुम्हारा चेहरा.

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  3. मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे

    सच कहते हैं श्रीकृष्ण जी...छल प्रपंच के साथ उनकी आराधना बेमानी है|

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  4. बहुत सुन्दर दी .....

    .... पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
    आश्चर्य !
    फंसते भी खुद ही हो
    और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
    तो - मेरी गुहार लगाते हो !

    वाकई उलझा है आज आदमी...हम तुम भी...

    सादर.

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  5. आपकी यह कविता महानायक कृष्ण के चरित्र भूत से वर्त्तमान तक नए रूप में व्याख्यायित लार्ती है.. कृष्ण, जो एक ओर गोपियों के चीर-हरण करता है - वहीं द्रौपदी की लाज भी बचाता है... मुकुट में मोर पंख लगाए गोपियों के साथ नृत्य करता है - और अर्जुन को रणभूमि में उसके कर्म का बोध कराता हुआ युद्ध को प्रेरित करता है..
    आपकी यह कविता उस महानायक के महाचारित्र को एक नया आयाम प्रदान करती है!!

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  6. बहुत सुंदर रश्मि दी ......सच यही है ...../इंसान अपनी गलतियां साथ वालों पर और दुःख का ज़िम्मेदार उसे ठहरता है ...पर कभी भी स्वयंम के भीतर नही देखता ..../दूसरों को पढ़ने , टटोलने में सारा वक्त ...और खुद को कभी नही ..../

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  7. मिलन का सीधा सा रास्ता बता दिया,आपने.

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  8. Krishna ke Saath krishnmay ho jaaye insaan to use krishn ki Bhi jaroorat nahi hogi ... Vo swayam Krishn ban jayga ... Sundar bhaav poorn rachna ....

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  9. मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे

    :) Wah ... Bahut Sunder

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  10. एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
    न प्रश्न न संशय न हार न जीत
    बस ------ माखन और बांसुरी की धुन

    वाह ....

    मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !

    यह सर्वोपरि स्थान ही तो भूलते जा रहे हैं ... बहुत सुंदर रचना

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  11. तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे...

    बहुत सुन्दर

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  12. कृष्ण जब भीतर प्रकट होते हैं तो ये आप्त वाणी प्रस्फुटित होती है..अति सुन्दर..

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  13. पर तुम सब अपने बंधन में आज भी हो ...

    कभी धृतराष्ट्र कभी दुर्योधन
    कभी शकुनी ....
    कभी कर्ण कभी अर्जुन कभी युद्धिष्ठिर !
    एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
    न प्रश्न न संशय न हार न जीत

    Bahut sundar !

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  14. आध्यात्मिकता की ओर जाती यह कविता दरअसल आज की सच्चाई है.. जिसने समझ लिया, उसने कृष्ण को पा लिया, खुद को पा लिया।

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  15. गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
    wah....bahot achchi pangti.

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  16. मेरे कण कण का अध्ययन करो
    यही सत्य है ....

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  17. कृष्ण की व्यथा और कृष्ण के अस्तिस्त्व को क्या खूब उभारा है..
    "मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे" !!
    बहुत खूब..

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  18. भगवान बनने के अपने ही नुकसान हैं. अपनी हर गलती का ठीकरा उनकी मर्जी पर फोड़ दो.
    बहुत बढ़िया रचना.

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  19. . पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
    आश्चर्य !
    फंसते भी खुद ही हो
    और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
    तो - मेरी गुहार लगाते हो !


    सत्य वचन

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  20. मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे

    sarthak ...sunder rachna ...di ...!!

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  21. मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !....
    जय श्रीकृष्ण

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  22. यथार्थ परक अद्भुत चिंतन दी...
    सादर।

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  23. द्वारका और वृन्दावन के बीच उलझा कृष्ण का मन।

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  24. सत्यम शिवम् सुंदरम ......
    शुभकामनायें आपको !

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  25. सर्वोपरि है वह कर्तव्य...
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण...

    मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो

    सारगर्भित!
    सादर

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  26. आज तक भक्त ही पुकारते नज़र आये
    आज यहाँ ईश्वर की फुँकार सुनाई दी हैं ....

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  27. जीवन जीते हुए अपनी प्राथमिकताओं का मान रखते हुए अपने जीवन के उदेश्यों को पूरा करना ही हमारा धेय होना चाहिए .....
    मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !
    ......सुरीली रचना !

    जवाब देंहटाएं
  28. मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
    शब्‍द-शब्‍द ऐसे जैसे मुरली की मीठी धुन कानों में रस घोल रही हो ... नि:शब्‍द कर दिया आपने ...आभार

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  29. फंसते भी खुद ही हो
    और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
    तो - मेरी गुहार लगाते हो !
    aur

    मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !
    .....hmm... kuchh uttar milta hua lagata hai...dhanyavaad is rachna ke lie !

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  30. .... तुम नाहक मुझे लेकर
    कुछ का कुछ सोच रहे
    बेशक छल शह मात का खेल खेलो
    पर मुझे मत घसीटो
    मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
    PRANAM MAHABHARAT KE KALJAYI PATRON KA ADBHUT ANKAN.

    जवाब देंहटाएं
  31. मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
    सर्वोपरि है वह कर्तव्य
    जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
    सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
    जो मैंने राधा को
    और राधा ने मुझे दिए !
    न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
    न मथुरा
    न हस्तिनापुर

    .....अनेक संशयों का समाधान करती एक उत्कृष्ट प्रस्तुति..आभार

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  32. यशोदा का स्थान सर्वोपरि है ...
    यकीनन

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  33. नए संदर्भों में उपयुक्‍त व्‍याख्‍या।

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  34. कृष्णमय' करती सारगर्भित और सुन्दर रचना....

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  35. aapki rachna sirf ek kavita nahi par pravachan hoti hain, ishwar ka sandesh hoti hain, jeevan ke liye margdarshan hoti hain, aapki rachanayen phir se Kabeer ko zindagi deti hain… in khayalon ko hum sab se bantne ke liye shukriya arz hai, Rashmi ji. Saadar

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  36. तुम नाहक मुझे लेकर
    कुछ का कुछ सोच रहे
    बेशक छल शह मात का खेल खेलो
    पर मुझे मत घसीटो
    मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
    मेरे कण कण का अध्ययन करो
    गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
    तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे.... कुछ कहने को बाकी ही नही रहा अब......

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