27 मई, 2012

खुद को पाना आसान नहीं !



खुद की तलाश
खुद के लिए होती है
क्योंकि प्रश्न खुद में होते हैं
ये बात और है
कि इस तलाश यात्रा में
कई चेहरे खुद को पा लेते हैं
................
अबोध आकृति
जब माँ की बाहों के घेरे में होती है
तब वही उसका संसार होता है
वही प्राप्य
और वही संतोष .... !
पर जब अक्षरों की शुरुआत होती है
साथ में कोई और होता है
प्रथम द्वितीय ..... का दृश्य होता है
तो ज्ञान में हम कहाँ हैं
इसकी तलाश होती है !
अजीब बात है -
सबसे कम अंक अज्ञानी हो - ज़रूरी तो नहीं
यह तो उस क्षण विशेष का सच है
प्रथम रटनतू हो सकता है
जो फेल है
वह उस वक़्त इस जीत हार से उदासीन हो
इसकी पूरी संभावना हो सकती है ...
अंक देने वाले की निष्पक्षता
और मनःस्थिति भी मायने रखती है
साथ ही उसका ज्ञान भी !
सीधे रास्ते ही हमेशा सही नहीं होते
राम के बदले मरा कहने में भी भक्ति है
असीम भक्ति -
फिर तलाश किस तरह निर्धारित हो !
अपने बारे में स्वयं से अधिक
कोई कैसे जान सकता है
पर अक्सर कोई और निर्धारित करने लगता है ...

किसी को
किसी को भी ...
और खुद को जानने के लिए
आत्मा की आँखें चाहिए !
जो जीकर भी मृत है
उसे किसी के लिए कुछ कहने का अधिकार नहीं
पर यह आखिर कैसे तय हो !
मैं सही
वो गलत - आखिर कैसे !
नहीं कह सकते .....
तो खुद को ही सही गलत मानकर
खुद के विचार से चलो
दूसरों को कारण मत बनाओ
मुझे भी मुक्त करो
खुद भी मुक्त हो जाओ ...
पर - यदि बढाते हो हाथ
तो विश्वास करना सीखो
असुर को देवता
देवता को असुर मान
जितने भी मंथन कर लो
न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !

30 टिप्‍पणियां:

  1. यदि बढाते हो हाथ
    तो विश्वास करना सीखो
    असुर को देवता
    देवता को असुर मान
    जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !


    सारगर्भित..

    जवाब देंहटाएं
  2. तो खुद को ही सही गलत मानकर
    खुद के विचार से चलो
    दूसरों को कारण मत बनाओ
    मुझे भी मुक्त करो
    खुद भी मुक्त हो जाओ ...
    पर - यदि बढाते हो हाथ
    तो विश्वास करना सीखो...........bahut sundar.Rashmi ji..

    जवाब देंहटाएं
  3. ज्ञान में हम कहाँ हैं .... ??

    सबसे कम अंक अज्ञानी हो - ज़रूरी तो नहीं*,बिल्कुल भी नहीं !

    अपने बारे में स्वयं से अधिक
    कोई कैसे जान सकता है .... सच
    जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !
    खुद को पाना आसान नहीं .... !!

    जवाब देंहटाएं
  4. ज्ञान में हम कहाँ हैं .... ??

    सबसे कम अंक अज्ञानी हो - ज़रूरी तो नहीं*,बिल्कुल भी नहीं !

    अपने बारे में स्वयं से अधिक
    कोई कैसे जान सकता है .... सच
    जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !
    खुद को पाना आसान नहीं .... !!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर दी.....
    आसान नहीं खुद को पाना......
    मुक्त होना बहुत कठिन है.....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  6. खुद को ही सही गलत मानकर
    खुद के विचार से चलो
    दूसरों को कारण मत बनाओ

    यह बात सही है...काम बिगड़ने पर अक्सर दूसरों को दोष दे देते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  7. बिल्कुल सही
    अगर आज सबसे मुश्किल कुछ है तो वो खुद को तलाश करना। जब खुद की तलाश ही मुश्किल हो तो खुद को पाना तो लगभग असंभव सा लगता है।
    बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  8. भाव अभिव्यंजना को पंख लग गए हैं .खुद बा खुद खुद से निकला मुख से वाह . बढ़िया प्रस्तुति है .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
    रविवार, 27 मई 2012
    ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
    .
    ram ram bhai
    को सूली पर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    तथा यहाँ भी -
    चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  9. सच यही है कि अपने बारे में स्वयं से अधिक कोई कैसे जान सकता है, फिर भी खुद को पाना आसान नहीं... सारगर्भित रचना. सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. अपने को पहचानने और जानने की प्रक्रिया प्रारम्भ करना बहुत ही हिम्मत का कार्य है।

    जवाब देंहटाएं
  11. खुद को पाना आसान नहीं !बिलकुल सच्ची बात.....

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सच्ची बात कही है आपने
    खुद को पाना आसान नहीं...
    हम कहा सही है कहा गलत है इसी में उलझ कर रह जाते है...
    और अंत में दूसरो की करनी पर अपनी प्रतिक्रिया को ही
    सही मानकर खुद को सही मानते चले जाते है..
    आसान नहीं है खुद को पाना खुद को पहचानना ...
    बहुत ही बेहतरीन रचना...
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  14. अबोध आकृति
    जब माँ की बाहों के घेरे में होती है
    तब वही उसका संसार होता है
    वही प्राप्य
    और वही संतोष .... !

    प्राप्य लक्ष्य बदलता रहता है .. शायद इसीलिये खुद को जानना भी दुष्कर है

    जवाब देंहटाएं
  15. आत्म बोध सभी संशय को समाप्त करता है...पर उसे पाना निश्चय ही कठिन है...

    जवाब देंहटाएं
  16. khud ko pahchaanNa bhi koi aasan kaam nahi...lekin shuruaat kar hi di hai to isme imandar rahna bhi bahut mushkil hai.

    जवाब देंहटाएं
  17. खुद को पाना तो सबसे मुश्किल है.

    जवाब देंहटाएं
  18. असुर को देवता
    देवता को असुर मान
    जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !

    बहुत सही लिखा है दी ...!!हम जान कर भी स्वयम से अंजान बने रहते हैं ....

    जवाब देंहटाएं
  19. सबसे कम अंक अज्ञानी हो - ज़रूरी तो नहीं
    अंक देने वाले की निष्पक्षता
    और मनःस्थिति भी मायने रखती है
    साथ ही उसका ज्ञान भी !
    जिंदगी की पाठशाल में भी तो यही दृष्टिकोण हार पराजय को भूला कर फिर से खड़ा होने का सामर्थ्य देता है !
    असुर को देवता
    देवता को असुर मान
    जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष !
    दिक्कत यही है कि कलियुग में ना सुर की पहचान ना असुर की !

    जवाब देंहटाएं
  20. किसी को
    किसी को भी ...
    और खुद को जानने के लिए
    आत्मा की आँखें चाहिए !
    जो जीकर भी मृत है
    उसे किसी के लिए कुछ कहने का अधिकार नहीं...

    सही है खुद को जाने बिना दूसरों को जानने का दावा तो कोर भ्रम ही है

    जवाब देंहटाएं
  21. खुद की तलाश
    खुद के लिए होती है
    क्योंकि प्रश्न खुद में होते हैं
    ये बात और है
    कि इस तलाश यात्रा में
    कई चेहरे खुद को पा लेते हैं
    ................सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  22. खुद को पाना आसान नहीं बल्कि मैं तो यह कहूँगी नामुमकिन है इसलिए शायद कबीर दस जी ने कहा होगा।

    "बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलया कोए जो मन खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय"

    जवाब देंहटाएं
  23. खुद में ही खोती तलाश..पर मिलता भी खुद ही...

    जवाब देंहटाएं
  24. मैं सही
    वो गलत - आखिर कैसे !
    नहीं कह सकते .....
    तो खुद को ही सही गलत मानकर
    खुद के विचार से चलो
    दूसरों को कारण मत बनाओ
    मुझे भी मुक्त करो
    खुद भी मुक्त हो जाओ ...

    बेहतरीन और लाजवाब ।

    जवाब देंहटाएं
  25. जितने भी मंथन कर लो
    न अमृत मिलेगा न विष ....... खुद को पाना आसान नहीं !..............


    खुद की तलाश ...क्या कभी पूर्ण होगी ???

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...