12 सितंबर, 2012

शब्द



भावनाओं की सरगोशियाँ आज भी हैं
कविताओं की सरगोशियाँ आज भी हैं
आसमां से विस्तृत पन्नों के धरातल
- मशीनी भी
सजीव फड़फडाते भी
कभी कोई चिड़ियाँ चोंच में उठा लाती है शब्द
तो कभी बादलों की पालकी पर उड़ते हैं शब्द
थके चेहरे को हवाएँ अपनी हथेलियों में भर लेती हैं
तो आँखों के आगे मुस्कुराने लगते हैं कई शब्द
बिखरे बालों को कान के पीछे कर
कानों में प्रेम रस घोलते हैं शब्द ....
प्रेम !
सिर्फ हीर रांझे
शीरी फ़रहाद .... जैसे ही नहीं होते
कृष्ण यशोदा
राहुल यशोधरा से भी होते हैं !
प्रेम जब शिशु बन माँ कहता है
माँ की नींद शिशु की नींद से जुड़ जाती है
तब पालने में झूलते हैं शब्द
दुआओं के बोल
काजल का टीका बन जाते हैं शब्द ...
बच्चे की तोतली ज़ुबान से लेकर
युवा उड़ान तक माँ के आँचल की गांठ में
चाभी के गुच्छे जैसे बंधते हैं शब्द !
बच्चों का बाहर जाना
माँ की आँखों में चिंता जैसे तैरते हैं शब्द
बच्चों की छुट्टियां
रसोई की खुशबू से आते हैं शब्द
.....
शब्द कभी नहीं विलीन होते
प्रेम हो , इंतज़ार हो, दुआ हो, मनुहार हो
वियोग हो , त्यौहार हो ....
शब्द साथ साथ चलते रहते हैं
कभी सिर्फ खिलखिलाते हैं शब्द
कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
शब्द ............
जीवन के कई रंग होते हैं शब्द

39 टिप्‍पणियां:

  1. कभी सिर्फ खिलखिलाते हैं शब्द
    कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
    आँखों में आंसू लाते हैं शब्द कभी सिर्फ रुलाते हैं शब्द !!

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  2. वाकई जीवन के रंग हैं शब्द... बेहतरीन कविता...

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  3. शब्द सदा ही संग रहे हैं,
    कर्मनिरत हैं, अंग रहे हैं।

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  4. शब्द ही शब्द है...
    हर सू कविता ही कविता.....
    वाह...
    क्या जीवन है..

    बहुत सुन्दर दी...
    सादर
    अनु

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  5. बिन साँस जीवन नहीं
    बिन शब्द अभिव्यक्ति नहीं
    जित देखूँ उत शब्द ही शब्द
    कहीं गंगा-सी पावन
    कहीं गंदले जल सा अपशब्द
    कहीं सच के परिधान में लिपटा
    कहीं झूठ की चाशनी में डूबा
    शब्द! शब्द ! शब्द!

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  6. बच्चे की तोतली ज़ुबान से लेकर
    युवा उड़ान तक माँ के आँचल की गांठ में
    चाभी के गुच्छे जैसे बंधते हैं शब्द !

    आज कल मेरे शब्द भी तोतली ज़ुबान में रहते हैं :):) बहुत सुंदर भाव

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  7. शब्द कभी नहीं विलीन होते
    प्रेम हो , इंतज़ार हो, दुआ हो, मनुहार हो
    वियोग हो , त्यौहार हो ....
    शब्द साथ साथ चलते रहते हैं
    कभी सिर्फ खिलखिलाते हैं शब्द
    कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
    शब्द ............
    जीवन के कई रंग होते हैं शब्द

    सच कहा ,आपने.शब्द के अनेकानेक रंग होते हैं .

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  8. रंग रंग के शब्द खिले हैं ..सब भाते हैं..
    सुन्दर कविता.

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  9. शब्द शक्ति है,शब्द भाव है.
    शब्द सदा अनमोल,
    शब्द बनाये शब्द बिगाडे.
    तोल मोल के बोल,,,,,,,

    बहुत बेहतरीन रचना,,,

    RECENT POST -मेरे सपनो का भारत

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  10. कौन सा भाग बताऊँ रश्मि दीदी...
    पूरी की पूरी कविता ही भा गई मन को.. छू गयी अन्दर तक...

    बहुत ही सुन्दर रचना.. और उसके साथ जो चित्र लगाया है आपने वो मुझे बहुत अच्छा लगा...

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. कौन सा भाग बताऊँ रश्मि दीदी...
    पूरी की पूरी कविता ही भा गई मन को.. छू गयी अन्दर तक...

    बहुत ही सुन्दर रचना.. और उसके साथ जो चित्र लगाया है आपने वो मुझे बहुत अच्छा लगा...

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. शब्द कभी नहीं विलीन होते
    प्रेम हो , इंतज़ार हो, दुआ हो, मनुहार हो
    वियोग हो , त्यौहार हो ....
    शब्द साथ साथ चलते रहते हैं

    बहुत सुन्दर रचना.

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  13. शब्द ही जीवन है , कहे लिखे गये या अनकहे , अनलिखे भी !

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  14. हमारे भी आस पास भी घूमते रहते है शब्द..

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  15. कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
    शब्द ............
    जीवन के कई रंग होते हैं शब्द
    पूरी की पूरी पोटली ले आये ये शब्‍द
    जहाँ माँ का आंचल हो
    वहॉं इनका अनूठा संगम होता है

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  16. जीवन के कई रंग होते हैं शब्द

    प्रणव का नाद होते हैं शब्द

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  17. प्रेम जब शिशु बन माँ कहता है
    माँ की नींद शिशु की नींद से जुड़ जाती है
    तब पालने में झूलते हैं शब्द
    दुआओं के बोल
    काजल का टीका बन जाते हैं शब्द-bahut sundar

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रेम जब शिशु बन माँ कहता है
    माँ की नींद शिशु की नींद से जुड़ जाती है
    तब पालने में झूलते हैं शब्द
    दुआओं के बोल
    काजल का टीका बन जाते हैं शब्द-bahut sundar

    जवाब देंहटाएं
  19. बच्चे की तोतली ज़ुबान से लेकर
    युवा उड़ान तक माँ के आँचल की गांठ में
    चाभी के गुच्छे जैसे बंधते हैं शब्द !
    बच्चों का बाहर जाना
    माँ की आँखों में चिंता जैसे तैरते हैं शब्द
    बच्चों की छुट्टियां
    रसोई की खुशबू से आते हैं शब्द

    बहुत सुंदर अहसास..आपकी कविता एक शब्दचित्र बन क्र सामने आ गयी...

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  20. शब्द की तारीफ के लिए शब्द नहीं है :-)

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  21. शब्द ही हमारी जान है और पहचान भी..बहुत अच्छी लगी आपकी सुन्दर शब्द-कृति..

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  22. शब्दों का क्या खुबसूरत वर्णन किया है...
    आपकी तो हर एक रचना लाजबाब होती है..
    किसी एक की क्या तारीफ करुं

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  23. शब्दों का क्या खुबसूरत वर्णन किया है...
    आपकी तो हर एक रचना लाजबाब होती है..
    किसी एक की क्या तारीफ करुं

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  24. निशब्द है जी शब्द महीमा पढ़कर....
    लाजवाब!
    मेरे साथ तो इन्होने कबड्डी भी खेली है!खूब पटखनिया दी,खायी भी!
    कुँवर जी,

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  25. जीवन के कई रंग होते हैं शब्द....jo jeevan men rang bharte hain......

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  26. साथ चलते चलते मुखर हो ही jate hai shbd
    behtrin

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  27. जीवन के कई रंग होते हैं शब्द
    vastav me ...
    shabd hi to bharte hain rang jeevan me ...

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  28. मैं तो शब्दों के साथ खूब खेलता हूँ, कहीं साथ छोड़ गए तो गूंगा न हो जाऊं..
    बहुत ही प्रभावशाली रचना!!

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  29. Gehre shabd... :)

    come and join the group...it would be pleasure to see you there...

    http://www.facebook.com/#!/groups/424971574219946/

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  30. जीवन के कई रंग होते हैं शब्द.....

    सही कहा..बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  31. बच्चों का बाहर जाना
    माँ की आँखों में चिंता जैसे तैरते हैं शब्द
    बच्चों की छुट्टियां
    रसोई की खुशबू से आते हैं शब्द
    behtrin rachna vakai sundar ...

    जवाब देंहटाएं
  32. कभी सिर्फ खिलखिलाते हैं शब्द
    कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द
    शब्द ..
    जीवन के कई रंग होते हैं शब्द ...

    सच है शब्द ही अभिव्यक्ति है ... शब्द ही अनुभूति है ... सब्द ही आदि है शंड ही अंत है ...

    जवाब देंहटाएं
  33. शब्द ..शब्द ..शब्द
    मुझे निशब्द करते ये शब्द ...

    जवाब देंहटाएं
  34. "कभी बालों में घूमती माँ की उँगलियों से निकलते हैं शब्द"
    इस पंक्ति ने एक बार फिर सारा अतीत आँखों के सामने ला दिया, बहुत करीब है ये हमारे मन के, आज भी ऐसे ही महसूस करती हूँ माँ को...

    जवाब देंहटाएं
  35. शब्द ही शब्द को पुकारते हैं

    जवाब देंहटाएं
  36. सभी एहसासों का दूसरा नाम है शब्द जो कभी शब्द बनकर बोलते हैं तो कभी मन के एहसास बन आँखों से छलक़ते हैं शब्द....बेहतरीन भावभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  37. बेहतारीब रश्मि जी. कितने सुन्दर "शब्द" है आप्नकी इस रचना में.

    निहार रंजन

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...