IF NO ONE KILLED JESSIKA ...
तो उस रात कहीं कोई बस नहीं चली
कोई हादसा नहीं हुआ
कोई लड़की नहीं मरी !...
अरे कभी नहीं मरी !!!
... क्या नाम था उसका ?
क्या पहचान थी उसकी ?
क्या कहा ? - इस देश की बेटी थी !!!
- तब तो बहस ही खत्म !
यहाँ जातीयता है
धर्म की लड़ाई है
यहाँ जिन महान हस्तियों का शासन है
वे सब उस बस के यात्री हैं
तो बस की शिनाख्त भी मत करो
अँधेरे में बेहोश चेहरे भला गवाही देते हैं
.........
याद रखो - चश्मदीद लोग अंधे होते हैं !
हाँ दी ....अँधेरे ओर बेहोशी ....यही आज की बस को चला रहे है ......फिर किससे क्या पूछे .....कौन क्या बताए ...ओर जो बताए उसकी सच्चाई ....किस छलनी में छनेगी ....उफ्फ्फ............
जवाब देंहटाएंलोग अंधे ही नहीं सवेंदनाविहीन भी होते है ...अभी अभी फेसबुक पे ये कमेन्ट पढ़ के आ रही हूँ
जवाब देंहटाएंMadan Mohan Saxena
रेप के लिए खुद लड़की जिम्मेदारः आसाराम बापू
ये कैसा बापू ,ये कैसा संत ..... घोर कलयुग
और उस पर मेरा ये जवाब रहा .... आसाराम बापू....के लिए लड़की आज भी भोग्या ही लगती है |बेईज्ज़ती,दर्द और पीड़ा क्या है वो नहीं जानते ...इस लिए ऐसा कह रहें है
सच में अपने ही देखते देखते वक्त के साथ लोगों की सोच में कितना बदलाव आ गया है ..हैरान हूँ मैं आज सच में :(
यहाँ जिन महान हस्तियों का शासन है
जवाब देंहटाएंवे उस बस के यात्री हैं
तो बस की शिनाख्त भी मत करो
अँधेरे में बेहोश चेहरे भला गवाही देते हैं
.........
याद रखो - चश्मदीद लोग अंधे होते हैं !
....और इनके पास अपनी कोई जुबान भी तो नहीं होती हैं!!
....कटु यथार्थ है यह आज का ... ... ... जाने कितने चेहरे एक से हैं ... ...कौन करे पहचान !! सवाल ही सवाल खड़े हैं आज सामने ......
Very Sad situation.Hoping for better.
जवाब देंहटाएंVery fine, fine and all meaningful presentation
दिल का दर्द है के कम नहीं होता.....
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ ...
सादर
अनु
दिल का दर्द है के कम नहीं होता.....
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ ...
सादर
अनु
क्या हुआ ,
जवाब देंहटाएंकुछ हुआ था क्या ,
हुआ होगा ,
हमें क्या ,
आज थोडा बिजी हूँ ,
कल वक्त हुआ तो पूरी बात सुनूंगा ,
अपनी राय भी दूँगा ,
क्या सही , क्या गलत ,
ये भी बताऊंगा ,
कुछ देर को दिल दुखा तो ,
एक मोमबत्ती भी जला दूंगा ,
क्या ?
मैं कब सुधरूंगा ?
मैं किसलिए सुधरूं ?
मुझमें क्या खराबी है ?
दुखद है पर ज्यादातर यही आलम है | :(
सादर
हम भी एक ऐसी बस में सवार हैं तो पता नहीं क्या होगा हमारा।
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा,,,
जवाब देंहटाएंयाद रखो-चश्मदीद लोग अंधे होते हैं,,,
अंधे के साथ साथ संवेदनहीन भी होते है,,,
ये अन्धों , बहारों, गूंगों का देश है.जो सिर्फ हाथ जोड़कर बाबाओं को पूजना जानते हैं.
जवाब देंहटाएंजीते जी सड़क पर नंगी बदहवास आधे घंटे हमारी कज-नजरी पाती है मरने पर प्रधानमन्त्री का स्वागत. सच तो यही है....
जवाब देंहटाएं:( ab kuch kahne ki ichcha hi nahi rahi
जवाब देंहटाएंअंधेर नगरी में चौपट राजा का (कु)शासन हो तो चश्मदीद अंधे होते हैं और गवाह बेजुबान.. चश्मदीद कौन?? बनाया हुआ, खरीदा हुआ या डराकर तैयार किया हुआ??
जवाब देंहटाएंबस यही है सच!!
ये कैसा दर्द है जो खत्म नही होता...बार बार मन को छलनी कर जाता है..
जवाब देंहटाएंयहाँ कानून अंधा है....
जवाब देंहटाएंइस देश में अंधों और असंवेदनशील लोगों का बोलबाला है
जवाब देंहटाएंदेश कब होगा संवेदनशील,
जवाब देंहटाएंसच है चश्मदीद अंधे होते है
बहुत ही अच्छा लिखा आपने | सच कहें तो आज बस की बात की ही नहीं बस करने की भी ज़रुरत है | बस करें अत्याचार सहना और चुप रहना | एक विद्रोह की ज़रुरत है आज अंधे और बहरों तक आवाज़ पहुचने के लिए | मुझे सच में आपकी कविता बहुत ही प्रभावित लगी |
जवाब देंहटाएंTamasha-e-zindagi
घर मे एक मै ही हूँ जो, इतनी दूर बैठी , भारत के गुण - गान करते नहीं थकती ...आज जब बेटी ने कहा अच्छा हुआ जो , हम दिल्ली मे नहीं रहते तो मेरी बोलती बंद हो गयी ....
जवाब देंहटाएंसच कितना भयावह है ...
जवाब देंहटाएंबस आक्रोश ही एक किरण है जो सुलग रहा है धीरे धीरे ...
बहुत ख़ूब वाह!
जवाब देंहटाएंमार्मिक और आक्रोश से भरी पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंyahan jab tak andhere me chalti bas ke andhe chashmdid hai desh ki betiyan aise hi badhavas doudati rahengi,,aakrosh ki is chingari se ujala karne ki koshish jari rahna chahiye.
जवाब देंहटाएंmarmik sach bayan karti post.
अति सुंदर कृति
जवाब देंहटाएं---
नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें
अति सुंदर कृति
जवाब देंहटाएं---
नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें
याद रखो - चश्मदीद लोग अंधे होते हैं !ek bhayanak sach.....
जवाब देंहटाएंएक अभूतपूर्व परिवर्तन चाहिए मानसिकता में .. और इतनी बड़ी क्रांति में समय तो लगेगा .. वैसे जेसिका का केस तो सुलझ गया था http://www.youtube.com/watch?v=WzLXheUyWiw
जवाब देंहटाएंऔर 'अमानत'/'दामिनी' के भी सारे गुनाहगार पकडे गए .. इनको सजा मिलनी ही चाहिए, मगर इनकी सजा से कुछ ज्यादा परिवर्तन नहीं होगा .. परिवर्तन तो समाज को करना है, एकदम जड़ से।
.........
जवाब देंहटाएंयाद रखो - चश्मदीद लोग अंधे होते हैं !
कटु सत्य
....
चश्मदीद अंधे होते हैं ....
जवाब देंहटाएंएक वाक्य ही काफी है कई वाकयों के लिए !!
याद रखो - चश्मदीद लोग अंधे होते हैं !
जवाब देंहटाएं...आज की अवस्था पर बहुत सटीक टिप्पणी..सब कुछ देखते हुए भी हम अंधे ही तो हैं..
कोर्ट में केस का क्या हाल होगा पता नहीं ... पर चश्मदीद गवाह की बात पर भी प्रश्न उठाने लगे हैं ... अंधों का देश है ।
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