प्रेम विवाह हो
या तय की गई शादी
या कोई भी रिश्ता,
अनबन की वजहें प्रायः वह नहीं होतीं,
जो उनकी लड़ाई में दिखाई देती हैं,
या शब्दों में सुनाई देती हैं !
विशेषकर तब ,
जब कोई एक पक्ष आत्महत्या कर ले !!
मुमकिन है वे वजहें उनके द्वारा नहीं उठाई गई हों,
बल्कि सौगात में मिली हो ।
जैसे,
मज़ाक करनेवाले
ठहाके लगाते,
लड़की या लड़के को कहते हैं
"तुमने उसको कैसे पसन्द किया,
वह तो तुम्हारे आगे कुछ नहीं "
यह एक मज़ाक,
हर बार आईने के आगे आता है ...
बुद्धिजीवी की तरह यह कहना आसान है,
कि मज़ाक को मज़ाक की तरह लेना चाहिए,
या-
अर्रे इसे दिल पर लेने की क्या ज़रूरत !"
आपकी समझदारी ने आपसे कभी कहा
कि ऐसा हल्का मज़ाक नहीं करना चाहिए !!
हमारा एक मज़ाक,
या हमारा शुभचिंतक होना,
किसी की ज़िन्दगी में ज़हर घोल सकता है,
आपसी रिश्तों को बिगाड़ने का सबब बन सकता है ...
कभी गौर कीजियेगा ।
अनबन किसी भी वजह से हो..अपनी या दूसरों की वजह से, उसको झट सुलझा लेना चाहिए, देर तक कहीं रखी हुई हल्की सी आंच भी सारे घर को जला देती है, कोई भी बात देर तक मन में रह गयी तो जीवन से उल्लास खो जाता है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
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