आपने 'गोलमाल' फिल्म देखी है? उत्पल दत्त का इरीटेशन याद है? नहीं?- तो फिर देखिये ........हाँ,हाँ जिसके नायक अमोल पालेकर थे.
फिल्म बहुत अच्छी है,आपका भरपूर मनोरंजन करेगी,लेकिन इस लेख के द्बारा मैं इस फिल्म को प्रमोट नहीं कर रही हूँ, बल्कि उत्पल दत्त के ऐक्शन को याद कर रही हूँ......उनका " ईईईईईईईईईईईईईईईईईईई " करना आजकल मेरे दिमाग में चलने लगा है.
हम,आप, वे, वो लिखते हैं, बदले में प्रतिक्रया यानि 'टिप्पणी' पाते हैं........बहुत अच्छा लगता है यह देखना कि हमें इतने लोग पढ़ते हैं !!!!!!!!!!!!
पर कई टिप्पणियों को देखकर प्रतीत होता है( जो सच भी है) कि खानापूर्ति की गयी है ..........
'बहुत सुन्दर-बधाई'- बधाई !? इस बधाई ने मुझे हताश कर दिया , इस नज़्म के लिए बधाई क्यूँ? ........मेरी बेटी ने कहा ' दिमाग अभी भी चल रहा है, इसकी बधाई' !
'उम्दा', 'सुन्दर', 'नाइस '.............माना वक़्त कम है,माना सारी रचनाएँ दिल तक नहीं जातीं,पर जिन रचनाओं में दम होता है,संजीदगी होती है, समय की गहरी नाजुकता होती है-उस पर अपनी सहज अभिव्यक्ति को कैसे रोक सकते हैं ! अरे भाई, ईश्वर ने कलम की ताकत दी है, शब्दों की थाती दी है,
कंजूसी कैसी??????????