11 दिसंबर, 2009

ज़िन्दगी


ज़िन्दगी कभी समतल ज़मीं पर नहीं चलती
उस के मायने खो जाते हैं
तूफानों की तोड़फोड़
ज़िन्दगी की दिशा बनती है
रिश्तों के गुमनाम अनजाने पलों से
आत्मविश्वास की लौ निकलती है

40 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा आपने "रिश्तों के गुमनाम अनजाने पलों से, आत्मविश्वास की लौ निकलती है" |

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  2. तूफानों के तोड़ फोड़ से आत्मविश्वास की लौ निकलती है ...
    फिर जयशंकर प्रसाद ये क्यों कह गए ...
    तुम पियूष स्त्रोत सी बहा करो ...जीवन के सुन्दर समतल में
    जब जीवन समतल ही नहीं ...!!

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  3. हर व्यक्ति अपनी भावनाओं के गर्भ से ख्याल लेकर आता है......

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  4. rishto ke gumnaam anjaan palo se ...

    kitni sundar baat kahi hai aapne
    jivan ka vistaar
    samgr rup se aese hi ho pata hai

    bahut hi achchha rashmi prabha ji ..

    kishor

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  5. इस कविता में अनुभूति की सघनता एवं संवेदना का संश्लिष्ट प्रभाव स्पष्ट है।

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  6. ज़िन्दगी का यूँ समतल ज़मी पर ना चलना ही उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है... हर नए पल में नया एहसास, नयी खोज, नया रिश्ता...

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  7. जिंदगी का रास्ता ऊबड़खाबड़ है , सहमत हूं

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  8. ज़िन्दगी में रिश्ते बहुत अहम् भूमिका निबाहते हैं...अच्छी पेशकश .

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  9. zindagi samtal hoti to uske mayne hi kho jate..........bilkul sahi kaha zindagi ke ubad khabad raston se gujrkar ha rtoofan se ladne ke baad hi aatmvishwas badhta hai........chand shabdon mein hi zindagi ko bayan kar diya........badhayi.

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  10. kuch shabdo main bahut si ankahi baat samjha jana koi aap se seekhe....ILu...!

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  11. रश्मि दी ! वाह क्या बात कही है ...एकदम सच्चाई की धरातल पर सुंदर भावनाए.

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  12. मम्मी जी.... बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति के साथ ....बहुत सुंदर रचना...

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  13. Jindgi ki dagar jitni muskil hoti hai, insan use utni hi shiddat se asan banane mein jut jata hai.kafi prernadayak hai aapki yah prastuti.Prakriti aur manushya ke rishto aur usse upja atmwishwas.Behad kubsurat hai.

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  14. रिश्तों के गुमनाम अनजाने पलों से,
    आत्मविश्वास की लौ निकलती है|


    -सटीक व्याख्या....बहुत बढ़िया!!

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  15. तूफानों की तोड़ फोड़ और ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद...सही कहा आपने इनसे ही आत्मविश्वास की लौ निकलती है

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  16. आपने जो लिखा वह सत्य है
    मगर लगा कि कविता तो अभी शुरू हुई थी....!

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  17. shayad rasta samtal ho jaye to zindgi zine ka maja bhi khatam ho jayega.....

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  18. आपकी क्षणिकाएँ सीधे दिल में उतर जाती हैं।।

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  19. कम शब्दों में बेहतरीन अभिव्यक्ति।
    हेमन्त कुमार

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  20. जीवन की उथल-पुथल और उससे प्राप्त होते आत्मविश्वास, प्रतिभाषित करते हैं आपके लेखन को ............
    उथल-पुथल और आत्मविश्वास....एक विरोधाभास का समन्वय ...

    प्रणाम के साथ शुभकामनायें.........

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  21. आपके चिंतन में नये अर्थ हैं .......
    ये सच है जीवन में नये रिश्ते बनते हैं और उनसे आत्मविश्वास भी आता है ...... पर कभी कभी रिश्तों से आत्मविश्वास डगमगाने भी लगता है .....
    आपकी रचना उद्वेलित करती है मन को ......

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  22. jo samtal hoti zindgi ki dagar to shayad itna accha na lagta ye safar... fir zindgi gujar jaati bas....

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  23. कम शब्दों में बहुत ही अच्छी रचना...बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  24. सच कहा आपने "रिश्तों के गुमनाम अनजाने पलों से, आत्मविश्वास की लौ निकलती है" |

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