अपनी डायरी के वे पन्ने
जो मेरे सपनों में फड़फड़ाते हुए
पृष्ठ दर पृष्ठ मुझे डराते थे
उन्हें मैंने तुम्हारे सुरक्षा के घेरे में रख दिया है
और खुद लौट गई हूँ
परी लोक में ..
मेरे नए पंख मुझसे कह रहे हैं
'एक लम्बी उड़ान
आज तुम्हारे हाथ है'
सम्पूर्ण आकाश, चाँद
आज फिर मेरे दोस्त हैं
आज फिर
मेरी आँखों की झील में
मासूम नन्हें नन्हें ख्याल हैं
किसी बच्चे के हाथों बनी
कागज़ की नाव जैसे
आज
इस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
आँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
rashmi ji,
जवाब देंहटाएंbahut sahajta se behad gahri bhaawnaayen vyakt karti hain aap...
इस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
आँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
bahut sundar, badhai sweekaren.
आज फिर
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के झील में
मासूम नन्हें नन्हें ख्याल हैं
किसी बच्चे के हाथों बनी
कागज़ की नाव जैसे
वाह...बस नव यूँ ही तैरती रहे और महाकाव्य की रचना हो जाये.....बहुत खूबसूरत ख़याल ..
आस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं। जो स्वयं को हर परिस्थितियों के अनुसार ढालना जानता है, उसे जीवन जीने की कला आ जाती है।
जवाब देंहटाएंमैंने जो बात दो कविताओं में कही वो आपने १ में ही लिख दी.. तभी ना आप मम्मी हैं.. :)
जवाब देंहटाएंsunder bhav..ham us mahakavya ko padna chahenge jarur
जवाब देंहटाएंरश्मि जी आप हर कविता सकारात्मक सोच के साथ आ रही है यह बहुत प्रेरक बात है। आपकी कविता पढ़कर ऊर्जा मिलती है।
जवाब देंहटाएंइस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
जवाब देंहटाएंआँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
bahut bahut ,bahut hi sundar rachna ,ek adbhut ahsaas hai .
कविता तो माध्यम है, जीवन के प्रति आपके सकारात्मक दृष्टिकोण का....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव...
प्रणाम के साथ शुभकामनाएं....
कोई पास बैठा लिख रहा है
जवाब देंहटाएंएक महाकाव्य -- मेरे नाम
:)
:)
:)
ये मन जो है ना पता नहीं क्या क्या सोचता रहता है और फिर से जो उभर आता है वो कुछ ऐसा होता है जैसा आपके शब्दों में .................
जवाब देंहटाएंaapkee soch kee udaan barkarar rahe isee duaa ke sath hum sabhee bloggers.........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंऊर्जावान और सकारात्मक सोच वाली कविता ।
जवाब देंहटाएंआज
जवाब देंहटाएंइस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
आँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
Sundar sakaratmak Rachna.
कविता ऐसी लगी मानो कॉपी के पन्नो से शब्द निकल कर खुद ब खुद जुड़ गए हो
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना
Great positive mood!
जवाब देंहटाएंSo well put in words.
वाह रश्मि जी !
जवाब देंहटाएंनए पंखों की नयी उड़ान !
नए दोस्त और आँखों में नए ख्याल ! ना कोई खतरा ना कोई भय
बस अब चलते जाना है ! बेहद सकारात्मक प्रस्तुति और सुन्दर भाव ! :):)
बहुत बहुत सुन्दर ! बधाइयाँ आपको :)
कोई पास बैठा लिख रहा है
जवाब देंहटाएंएक महाकाव्य -- मेरे नाम
वाह्…………कल्पना की उडान गज़ब की है………………बेहतरीन नज़रिया।
इस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
जवाब देंहटाएंआँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
Wo Mahakavya..jab poora ho to share kariyega....akhirkaar ham bhi to dekhe kya likha hai :-)
यह पंख हमेशा उड़ान भरते रहे, साथ चलते रहे ...
जवाब देंहटाएंसच कहते हो - आंधिया रुख बदल रही है, उसे बदलना ही था, एक इतिहास बन ना ही है...जीत होनी ही है... ILu..!
रेशमी जी आप की कविता हमेशा की तरह लाजवाब है जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
जवाब देंहटाएंआँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम ....laajabaab, sundar rachna.
bhaw mamsparshi hain.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत ख्याल .
जवाब देंहटाएंइस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
जवाब देंहटाएंआँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
सादर प्रणाम !
ये पंक्तियाँ बहुत सुंदर लगी ,अभिव्यक्ति behad achchi ,
sadhuwad
इस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
जवाब देंहटाएंआँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
कितना ख़ूबसूरत अहसास है ...
keya khoob kaha rasmi ji
जवाब देंहटाएंआपने नहीं छोड़ा है उम्मीद का दामन। यही खास बात है रचना में। यही वक्त की जरूरत भी है।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना के लिए बधाई।
kalpnasheelta se bhari rachna.. sunder abhivyakti, naya vimb... khas taur par antim pankitya.."कोई पास बैठा लिख रहा है
जवाब देंहटाएंएक महाकाव्य -- मेरे नाम"
शब्दों से नया संसार गढ़ लेती हैं आप... नए बिम्ब, नया संयोजन.. नई संवेदना... अद्भुद !
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों की झील में
जवाब देंहटाएंमासूम नन्हें नन्हें ख्याल हैं
किसी बच्चे के हाथों बनी
कागज़ की नाव जैसे
आज
इस नाव के डूबने का कोई खतरा नहीं
आँधियों ने रुख बदल लिया है
कोई पास बैठा लिख रहा है
एक महाकाव्य -- मेरे नाम
बड़ी सहजता से इतनी गंभीर बात कह गयीं आप
एक महाकाव्य -- मेरे नाम !!!!!!!
अपनी डायरी के वे पन्ने
जवाब देंहटाएंजो मेरे सपनों में फड़फड़ाते हुए
पृष्ठ दर पृष्ठ मुझे डराते थे
उन्हें मैंने तुम्हारे सुरक्षा के घेरे में रख दिया है
और खुद लौट गई हूँ
परी लोक में ..
बहुत खूब .. अपने दर को परे कर मुक्त उड़ान की और जाना ही जीवन है ....