14 जुलाई, 2010

कुछ तो है


मुझे नहीं मालूम
नशीली आँखों का राज़
पानी भी मयस्सर नहीं था जिसे
उसे नशे की क्या पहचान !
मुझे नहीं पता
आज सूरज क्यूँ निकला है
चर्चा तो यही थी कि
अँधेरे का साम्राज्य होगा
इस तरह अचानक
सूरज दोस्त बनेगा
गुमां न था ....
सात घोड़े के रथ पे सवार
भाग्य का शंखनाद करता सूरज
परिक्रमा कर रहा है
एक ही धुन , एक ही राग-
अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा ... !

मुझे नहीं मालूम
मेरे रोम-रोम में
इन आँखों ने क्या जादू किया है
पर कुछ तो है ..
जिसने सुरक्षा कवच की तरह
मेरा हाथ थामा है
कुछ है,
जिसने बिना स्पर्श के
मुझे रोमांचित किया है

नहीं जानती - सत्य और असत्य
सही और गलत
स्वप्न और यथार्थ
पर कुछ तो है
जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
कुछ तो है
तभी तो
आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है

36 टिप्‍पणियां:

  1. वोव्व्व एकदम नया अंदाज ...पर बहुत खूबसूरत है.

    जवाब देंहटाएं
  2. यही तो आत्मबोध है………………बेहद गहन प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.

    जवाब देंहटाएं
  5. दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. एक ही धुन , एक ही राग-
    अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा ... !

    bahut oj hai in shabdon me :)

    जवाब देंहटाएं
  8. पर कुछ तो है
    जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है /
    ....... यह रचना दिल को छू गई.....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर लगी आप की आज की यह रचना. धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  10. आप अपने हृदय की धड़कनें सुन पा रही हैं, यही प्रारम्भ है स्वयं से जी पाने का।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही लाजवाब है आपकी कविता सारा का सारा जीवन दर्शन मिल गया इसी में अच्छा लगा पढ़ कर
    इस तरह अचानक
    सूरज दोस्त बनेगा
    गुमां न था ....
    सात घोड़े के रथ पे सवार
    भाग्य का शंखनाद करता सूरज
    परिक्रमा कर रहा है
    एक ही धुन , एक ही राग-
    अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा ... काश ये बात सच हो जाये और कहीं भी कोई भी सूरज अस्त न हो

    जवाब देंहटाएं
  12. पहली बार यहां आना हुआ अच्छा लगा वैसे भी कविताओं का बहुत शौक है मुझे

    जवाब देंहटाएं
  13. एक ही धुन , एक ही राग-
    अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा ... !
    सत्‍य के सूर्य को कभी असत्‍य के बादल ढक नहीं सकते।

    जवाब देंहटाएं
  14. जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है

    सूरज सात घोड़ों के रथ पर सवार....एक नयी उर्जा देता हुआ....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  15. जिसने बिना स्पर्श के
    मुझे रोमांचित किया है
    बिना स्पर्श का रोमांच शायद स्पर्श के रोमांच से ज्यादा रोमांचक होगा
    रूई के फाहे सी नर्म रचना

    जवाब देंहटाएं
  16. पानी भी मयस्सर नहीं था जिसे
    उसे नशे की क्या पहचान !

    These eyes are drunk with nectar of life.

    Excellent piece.

    जवाब देंहटाएं
  17. पढने वाले के दिल के भाव अपने आप ढाल लेगी ये रचना .. मुझ जैसे प्रेमी दिल को भीतर तक गुदगुदा गई
    मुझे नहीं मालूम
    मेरे रोम-रोम में
    इन आँखों ने क्या जादू किया है
    पर कुछ तो है

    जवाब देंहटाएं
  18. नहीं जानती - सत्य और असत्य
    सही और गलत
    स्वप्न और यथार्थ
    पर कुछ तो है
    जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है.
    bahut gahare bhav liye rahati hain
    aapki saari rachnaayen.
    har rachana ek naveenta pradan karti hai.
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  19. सूरज दोस्त बनेगा गुमां न था , मगर जब बन ही गया है तो खुद पर इतराए क्यों ना ...

    पर कुछ तो है ..
    जिसने सुरक्षा कवच की तरह
    मेरा हाथ थामा है
    कुछ है,
    जिसने बिना स्पर्श के
    मुझे रोमांचित किया है

    प्रेम की सर्वोत्तम अनुभूति ...
    सचमुच अब सूरज अस्त नहीं होगा ...!

    जवाब देंहटाएं
  20. जिस रचना में आत्मा भी हो और परमात्मा भी..
    भला उस कविता में क्या केवल कुछ ही रहेगा..
    नहीं..... उसमें तो बहुत कुछ रहेगा
    आपको बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  21. अंत में जीवन का परम सत्य घटित होना ही है.. मन खुश हो गया..

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत ही सुन्दर आशावादी रचना है ... खासकर ये पंक्तियाँ मन को उर्जा देती है ...

    सात घोड़े के रथ पे सवार
    भाग्य का शंखनाद करता सूरज
    परिक्रमा कर रहा है
    एक ही धुन , एक ही राग-
    अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा .

    जवाब देंहटाएं
  23. अब सूरज कभी अस्त नहीं होगा .nice

    जवाब देंहटाएं
  24. रश्मि जी,
    आपकी रचना संसार के विस्तार से निकल मन में समा जाती है| भौतिक जगत और आध्यात्मिक जगत दोनों को बहुत सुन्दरता से शब्द दिया है आपने...

    ''नहीं जानती - सत्य और असत्य
    सही और गलत
    स्वप्न और यथार्थ
    पर कुछ तो है
    जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है''

    दार्शनिक सोच के साथ मनोरम प्रस्तुती, कुछ तो है...
    बधाई स्वीकारें!

    जवाब देंहटाएं
  25. Ham kuch kah nahi paayenge.....but really I love this one....Copy kar liya :-)

    जवाब देंहटाएं
  26. तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है''
    दीदी प्रणाम !
    ये पंक्तिया बहुत कुछ कह जाती है'' जाने क्या बात है जो नज़रे रह रह उठती है उनकी तरफ ,''
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  27. कुछ तो है .... बहुत खूब लिखा है ... कभी कभी नशीली आँखें आशा का संचार भनी करती हैं ... दुनिया बदल देती हैं ....

    जवाब देंहटाएं
  28. पर कुछ तो है
    जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है

    अद्भुत रचना..एकदम नई सोच लिए...

    जवाब देंहटाएं
  29. एक सूफियाना अन्दाज़ है इस कविता में

    जवाब देंहटाएं
  30. Hi..

    Kuchh to hai jisne dikhlaye..
    Swapn bhari teri aankhen..
    Kuchh to hai jo huin madhur..
    Teri ye swapnil baatain..

    Jo bhi ho, ye rup tumhaara..
    Humko sundar lagta hai..
    Aasha ki bhasha padhkar ke..
    Man ko nirmal karta hai..

    Yun hi tum muskaate rahna..
    Kavita hamen sunate rahna..
    Apne mradu vyaktitva se humko..
    Jeevan bhar harshate rahna..

    Asha bhari sundar kavita..

    Deepak..

    जवाब देंहटाएं
  31. हाँ..कुछ तो है
    क्या है, क्यूँ है
    जानना भी नहीं चाहता
    बस..
    कुछ तो है..
    ये एहसास काफी है
    अब कहने को कोई भी नाम दे दो
    क्या फर्क पड़ता है..
    कुल जमा हासिल बस ये
    की
    कुछ तो है..

    जवाब देंहटाएं
  32. नहीं जानती - सत्य और असत्य
    सही और गलत
    स्वप्न और यथार्थ
    पर कुछ तो है
    जो मेरी धडकनें सुनाई देने लगी हैं
    कुछ तो है
    तभी तो
    आत्मा परमात्मा को छू लेने को व्याकुल है |
    जिंदगी वास्तविकता यही है जिसे हम सारी उम्र नहीं जान पाते |
    सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...