02 मार्च, 2011

भूमिका कैसी !



तुम्हारे माथे पर उभरे स्वेद कण
तुम्हारी आवाज़ का कम्पन
तुम्हारी लम्बी साँसें
और इर्द गिर्द मकड़ी के जाले
और ......
इस और के मध्य कई एहसास हैं
कुछ कहे कुछ अनकहे
पर जो भी है
पसीनों की बूंदों संग बह रहा है !
मैं चाहती हूँ इन कणों को आँचल में भरना
सच की मौन दृष्टि से साँसों को थामना
लेकिन इस जाल को हटाना तुम्हारे ऊपर है
जब तक इसे हटाओगे नहीं
प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे नहीं
और सबकुछ करके भी
नगण्य कहे जाओगे !
हाँ हाँ आसान है कहना ,
कि 'सब ठीक है '
भूलो मत गुरु की वाणी
.... गुरु ने कभी नहीं कहा
कि सबकुछ समय पर छोड़ दो
और खुद को बीमार कर लो !
.... पौधों को दीर्घायु बनाने की खातिर
कीटनाशक दवा भी देनी होती है
तेज धूप , गर्म हवा , आँधी तूफ़ान से
बचाना होता है
याद रखो ...
सकारात्मक सुबह के लिए
अक्सर सकारात्मक कदम ही उठाने होते हैं
ज़बरदस्ती भूखे रहकर तो हम
भगवान् की आराधना भी मन से नहीं कर पाते
फिर जिस जीवन चक्र को ईश्वर ने बारीकी से बनाया है
उसे झूठी हँसी से सकारात्मक बनाना मुमकिन नहीं
.....
भूमिका तो वे बनाते हैं जिन्हें ज़मीन खींचनी होती है
जिनकी ज़मीन है
उनके लिए भूमिका कैसी !

32 टिप्‍पणियां:

  1. मैं चाहती हूँ इन कणों को आँचल में भरना
    सच की मौन दृष्टि से साँसों को थामना
    लेकिन इस जाल को हटाना तुम्हारे ऊपर है
    जब तक इसे हटाओगे नहीं
    प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे नहीं
    और सबकुछ करके भी
    नगण्य कहे जाओगे !

    गहन भावों के साथ विचारात्‍मक प्रस्‍तुति ....।

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  2. सच कहा आपने, जिनकी जमीन है उन्हें भूमिका की आवश्यकता नहीं।

    जवाब देंहटाएं
  3. भूलो मत गुरु की वाणी
    .... गुरु ने कभी नहीं कहा
    कि सबकुछ समय पर छोड़ दो
    और खुद को बीमार कर लो !
    .... पौधों को दीर्घायु बनाने की खातिर
    कीटनाशक दवा भी देनी होती है
    तेज धूप , गर्म हवा , आँधी तूफ़ान से
    बचाना होता है |
    फिर से वेसी ही रचना जैसे हमारे जीवन से हमी को अवगत करवा रही हो |
    और कह रही अब तो आँखे खोलो उठो और देखो अभी भी समय है जाग जाओ
    खुद को पहचान लो और एक सकारात्मक विचार के साथ जीवन को जीना शुरू कर दो
    खुद भी जिओ और हमे भी जीने दो |
    बहुत खुबसूरत रचना |

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  4. सारी जिन्‍दगी भूमिका की तलाश ही तो है। किसी को जल्‍दी मिल जाती है,किसी को देर से, तो कोई तलाशता ही रहता है।

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  5. बहुत ही सुन्दर लगे आपके विचार! आभार

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  6. ज़बरदस्ती भूखे रहकर तो हम
    भगवान् की आराधना भी मन से नहीं कर पाते

    fir bhi didi sau pratishat nariyan vrat rakh kar bhagwan ko khush karne ki koshish karti hai..:)

    waise kavita ke liye kya kahun, wo to ham jaiso ke comment ka mohtaz hai hi nahi...:D

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  7. बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !

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  8. आखिरी पंक्तियों में बहुत वजन है...शानदार.

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  9. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. मैं चाहती हूँ इन कणों को आँचल में भरना
    सच की मौन दृष्टि से साँसों को थामना
    लेकिन इस जाल को हटाना तुम्हारे ऊपर है
    जब तक इसे हटाओगे नहीं
    प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे नहीं
    और सबकुछ करके भी
    नगण्य कहे जाओगे !

    kab tak sirf ek tarfa koshishen ek rishte ko sehatmand zindagi de sakti hain? na jaane kabhi prashno ke uttar milenge ya nahi....

    hamesha ki tarah dil ko chhooti rachna!

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  11. bahut sunder ....
    aap apni rachna post karte vakt mujhe mail kare please..

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  12. भूमिका तो वे बनाते हैं जिन्हें ज़मीन खींचनी होती है
    जिनकी ज़मीन है
    उनके लिए भूमिका कैसी !

    ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगीं .

    सादर

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  13. सकारात्मक सुबह के लिए
    अक्सर सकारात्मक कदम ही उठाने होते हैं--

    Bahut hi sundar Rashmi ji

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  14. बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.

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  15. भूमिका वे बनाते हैं , जिन्हें जमीन खींचनी होती है
    जिनकी भूमि है उनकी भूमिका कैसे ...
    सकारात्मक सुबह के लिए सकारात्मक कदम ही उहने पड़ते हैं ....
    बहुत सही !

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  16. इस और के मध्य कई एहसास हैं
    कुछ कहे कुछ अनकहे
    पर जो भी है
    पसीनों की बूंदों संग बह रहा है !
    मैं चाहती हूँ इन कणों को आँचल में भरना
    सच की मौन दृष्टि से साँसों को थामना

    बहुत सुन्दर विचार और तदोपरी सुन्दर पंक्तियाँ !

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
    महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  18. हौसला बढ़ाती पंक्तियां ....बहुत सुन्दर ।

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  19. सकारात्मक सुबह के लिए
    अक्सर सकारात्मक कदम ही उठाने होते हैं
    बहुत सुन्दर सन्देश देती पँक्तियाँ। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  20. मैं चाहती हूँ इन कणों को आँचल में भरना
    सच की मौन दृष्टि से साँसों को थामना
    लेकिन इस जाल को हटाना तुम्हारे ऊपर है
    जब तक इसे हटाओगे नहीं
    प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे नहीं
    और सबकुछ करके भी
    नगण्य कहे जाओगे !

    बहुत खुबसूरत

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  21. बहुत कुछ है इस कविता में... कुछ विरोध, कुछ अहसास, कुछ अनकही बातें, कोई अजीब-सी चुप्प, और एक जिद...
    पता नहीं की मै इसे समझ पाई या नहीं, पर जितना समझा वो ये की शब्दों से भी गहरे भाव हैं इसमें... और बहुत कुछ है जो पंक्तियों के बीच में लिखा है... जो दिख नहीं रहा...

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  22. सकारात्मक सुबह के लिए
    अक्सर सकारात्मक कदम ही उठाने होते हैं

    sahmat.

    जवाब देंहटाएं
  23. पौधों को दीर्घायु बनाने की खातिर
    कीटनाशक दवा भी देनी होती है
    तेज धूप , गर्म हवा , आँधी तूफ़ान से
    बचाना होता है..

    सकारात्मक सोच को देती सुन्दर अभिव्यक्ति ....रचना की तारीफ के लिए भी भूमिका कैसी ...बहुत सुन्दर आपकी बात मन तक पहुंची

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  24. याद रखो ...
    सकारात्मक सुबह के लिए
    अक्सर सकारात्मक कदम ही उठाने होते हैं
    ज़बरदस्ती भूखे रहकर तो हम
    भगवान् की आराधना भी मन से नहीं कर पाते
    फिर जिस जीवन चक्र को ईश्वर ने बारीकी से बनाया है
    उसे झूठी हँसी से सकारात्मक बनाना मुमकिन नहीं
    .....
    sach me aisa asar kar gai hai ye line ki puchhiye na didi.
    bahut-2 badhai.

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  25. आपके भाव अति उत्तम और हृदयग्राही हैं जो सकारात्मक सोच का परिणाम हैं.आपकी इस सुंदर पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार .'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका हार्दिक स्वागत है .

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  26. बहुत गहरे भाव, उत्तम प्रस्तुति केलिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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