10 सितंबर, 2011

सिर्फ अपना !!!



हकीकत... अक्सर खौफज़दा मोड़ से गुजरती है
क्योंकि उस मोड़ पे सिर्फ हम नहीं होते
बिना हमारे चाहे
नाम अनाम कई लोग
शुभचिंतक की लिबास में
मोड़ का निर्माण करते हैं
खुद को बेहतर बताने के क्रम में
पूरी हकीकत स्तब्द्ध बना देते हैं ...

वजूद के चीथड़े उड़ जाते हैं
सवालों के पोस्टमार्टम से
घर शमशान सा लगता है
घड़ी की टिक टिक इतनी तीव्र हो जाती है
कि और कुछ सुनाई नहीं देता
जो वेदना के सहचर होते हैं
उनका साथ भी उबाऊ लगने लगता है
........
ऐसे में ख्याल आता है -
बेहतर था ख्वाब देखना
झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
यह झूठा वहम तो पलता है
शाम हो या रात
हर वक़्त गुनगुनाने लगती है
नींद में भी चेहरे पर मुस्कान थिरकती है
सुबह का सूरज अपना लगता है ...
सिर्फ अपना !!!

49 टिप्‍पणियां:

  1. True... Sapne , sapne hi hote hai per sapne hi apne hote hai... ILu..!

    जवाब देंहटाएं
  2. दिल में उठने वाले जजबातों को आपने सुंदर शब्दों मे ढाला है!...उत्तम रचना!

    जवाब देंहटाएं
  3. घड़ी की टिक टिक इतनी तीव्र हो जाती है
    कि और कुछ सुनाई नहीं देता
    जो वेदना के सहचर होते हैं
    उनका साथ भी उबाऊ लगने लगता है
    ....मन में गहराई तक उतरती भावप्रवण पंक्तियाँ !

    जवाब देंहटाएं
  4. मन की सच्चाई लिखी है ...तभी तो जीवन के मोड़ कठिन लगते हैं...सपने अपने लगते हैं ...और यही सपने देते हैं ताकत जीवन की सच्चाई से जूझने की ...
    बहुत सार्थक रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है....

    दी , पूरे जीवन में सिर्फ़ यही अपना भी लगता है और सच्चा भी .....सादर !

    जवाब देंहटाएं
  6. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है.................मन में उठे हर भाव अपने और सच्चे होते है. मन की गहराई से निकली सुन्दर रचना..आभार..

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है....

    अक्सर कई बार ये ख्वाब ही जीने का अंतिम संबल बन जाते हैं. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  8. बस खूबसूरत सपनों में जीना ही तो ज़िन्दगी की खूबसूरती है.. :) बाकि सब झूठ और बेमानी

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है....
    बहुत ही प्यारी और सुन्दर पंक्तिया ....

    जवाब देंहटाएं
  10. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है

    सही कहा आपने सपनों का अपनापन क्षणिक ही सही पर सुकून देने वाला होता है।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. घड़ी की टिक टिक इतनी तीव्र हो जाती है
    कि और कुछ सुनाई नहीं देता
    जो वेदना के सहचर होते हैं
    उनका साथ भी उबाऊ लगने लगता है

    ....मन में गहराई तक उतरती भावप्रवण पंक्तियाँ !

    जवाब देंहटाएं
  12. bhaut hi gahri baat kahi apne... risto ke sach se avgat karati rachna....

    जवाब देंहटाएं
  13. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है.... जो हम हमेसा ही करते है.... बहुत ही खुबसूरत रचना....

    जवाब देंहटाएं
  14. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है

    रश्मि जी...वाह...बेहतरीन पंक्तियाँ...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत मर्मस्पर्शी ...बहुत सुन्दर ....

    जवाब देंहटाएं
  16. खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  17. जीवन के यथार्थ को वैसा का वैसा कह देना एक कठिन कला है.इस कला में निपुणता इस रचना में स्पष्ट परिलक्षित है.

    जवाब देंहटाएं
  18. सपने ही तो हैं जो जीने की प्रेरणा देते हैं ... वरना तो हर कठिन मोड़ पर हिम्मत ही हार दें .. अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  19. khvaab khoobsoorat hote hain sach bhi na ho tab bhi khoobsorti barkaar rehti hai ,,,..lekin bharam vo hakikat hai jo kadva kar deti hai jindagi ke ras ko .....khvaab sahi hai jeene k liye magar vaham nahi :)

    aapko padhna ek khoobsoorat anubhooti hai :)

    जवाब देंहटाएं
  20. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है "
    सपने जब टूटने ही हैं
    सपने जब टूटने ही हैं
    क्यों ना
    दिन रात मन पसंद
    सपने ही देखूं
    स्वछन्द आकाश में
    उड़ता फिरूं
    समुद्र की गहराईओं में
    गोता लगाऊँ
    पहाड़ों पर बादलों से
    अठखेलियाँ करूँ
    जंगल की हरयाली को
    शेर चीतों के साथ देखूं
    ब्रम्हांड के
    हर ग्रह को देखूं
    जो बिछड़ गए रोज़
    उनसे मिलूँ
    जिन्हें चाहता उनसे
    दूर ना हूँ
    निरंतर हँसू सबको
    हँसाता रहूँ
    08-09-2011
    1463-35-09-11

    जवाब देंहटाएं
  21. वजूद के चीथड़े उड़ जाते हैं
    सवालों के पोस्टमार्टम से

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  22. ऐसे में खयाल आता है बेहतर था ख्वाब देखना ...
    सच ही !

    जवाब देंहटाएं
  23. नीद , ख्वाबों भरी नीद से अधिक सुकून भरा कुछ भी नहीं होता

    जवाब देंहटाएं
  24. बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है ....

    वाह दी.... बहुत भावप्रवण...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  25. मजा तो तब है कि न झूठ के पास जांय न ख्वाबों में उलझें...वर्तमान में जीयें, हकीकत का सामना करं मगर ऐसा हो नहीं पाता।

    जवाब देंहटाएं
  26. bilkul sahi sunder rachna .....
    subha ka suraj apna lagata hai sirf apna ..

    जवाब देंहटाएं
  27. मन के गहरे समुंद्र से निकले मोती , बेशक कीमती ही होंगे. बेशकीमती.

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत बढ़िया रचना |

    मेरे भी ब्लॉग में पधारें |
    मेरी कविता

    जवाब देंहटाएं
  29. ऐसे में ख्याल आता है -
    बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है

    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  30. बेहतर था ख्वाब देखना
    झूठ ही सही - दिल तो बहलता है
    कभी हकीकत होंगे ये ख्वाब
    यह झूठा वहम तो पलता है....

    यह भी एक सच है ... ।

    जवाब देंहटाएं
  31. sapno mei jeena bhi ak sukhdayi ahsaas hota hai, behad sunder prastuti

    जवाब देंहटाएं
  32. इसीलिए ख़्वाबों को कभी मरने नहीं देना चाहिए ..

    जवाब देंहटाएं
  33. झूठ ही सही - दिल तो बहलता है

    उत्कृष्ट रचना

    आपकी तारीफ़ करना हमेशा ऐसा लगा जैसे रोशनी में दिया जलाना

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...