अपने चारों तरफ
जाने अनजाने
अनगिनत पगडंडियाँ बना
मैं प्रश्नों की भूलभुलैया से गुजरती रही ...
खून रिसने का खौफ नहीं हुआ
ना ही थकी चक्कर लगाते लगाते
चेहरे की रौनक ख़त्म हो गई
पर हौसलों की आग सुलगती रही ...
... धैर्य की एक हद होती है - सुना था
तो हदों से आगे
मैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली
क्योंकि हार मानना मेरी आदत नहीं !
दोस्ती में बड़ी कशिश होती है
पगडंडिया मंजिल तक पहुँचाने लगीं
....
देखते देखते कई कदम अनुसरण करने लगे
और पगडंडियाँ ठोस रास्तों में तब्दील होती गईं ...
..........
कहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
यहाँ तो खुदा साथ चलने लगा
मन के भाव कैसे पढ़ लेतीं है आप ...पढ़कर आशातीत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है .....आपका आशीर्वाद साथ लिए ....जैसे कुछ रस्ते नए बनते चले जा रहे हैं ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है .....कूट कूट कर आत्मविश्वास से भरी रचना ....abhar ...is rachna ke liye .....
कहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
जवाब देंहटाएंयहाँ तो खुदा साथ चलने लगा
......बहुत ही सुन्दर जज्बात
बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
तो हदों से आगे
जवाब देंहटाएंमैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली
......बेमिशाल प्रस्तुति
आपकी तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है माँ .........शानदार लेखन
बहुत सुंदर संदेश,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
चाह की राह।
जवाब देंहटाएंजहाँ चाह है , वहां राह है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर , प्रेरक!
मैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली
जवाब देंहटाएंक्योंकि हार मानना मेरी आदत नहीं !
वाह...लाजवाब...रश्मि जी बधाई स्वीकारें
नीरज
मैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली
जवाब देंहटाएंक्योंकि हार मानना मेरी आदत नहीं !
यह हौसला यूं ही कायम रहे ...अनन्त शुभकामनाएं .. यह रचना एक प्रेरक संदेश भी दे रही है ।
सच बताना
जवाब देंहटाएंवो खुदा क्या उससे मिलता है
सकारात्मक सोच लिए सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंमैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली
जवाब देंहटाएंक्योंकि हार मानना मेरी आदत नहीं !
दोस्ती में बड़ी कशिश होती है
पगडंडिया मंजिल तक पहुँचाने लगीं
आभार....
क्योंकि हार मानना मेरी आदत नहीं !
जवाब देंहटाएंदोस्ती में बड़ी कशिश होती है
पगडंडिया मंजिल तक पहुँचाने लगीं
जिनमें हौसला होता है उनका साथ भगवान भी देता है ... अच्छी प्रस्तुति
आपकी लेखनी को ,सशक्त विचारों को नमन .
जवाब देंहटाएंकहते है जब सब आपका साथ छोड़ जाते है तब वो आपके साथ होता है ...बस जिस पल ये एहसास जन्म लेता है सारे डर और चिंताए समाप्त हो जाते है
जवाब देंहटाएंकहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
जवाब देंहटाएंयहाँ तो खुदा साथ चलने लगा
....बहुत उत्कृष्ट प्रेरक प्रस्तुति...आभार
बिलकुल सही कहा आपने... जहाँ चाह होती है राह भी वहीँ होती है....
जवाब देंहटाएंकुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं.
जवाब देंहटाएंखुद ही को कर बुलंद इतना
कि हर तकदीर से पहले
ख्हुदा बंदे से खुद पूछे
बता तेरी रज़ा क्या है.
aapne pagdandi banayee, aur ham aapke saath pathik ban gaye:)
जवाब देंहटाएंजहाँ चाह है,वहां राह है .........
जवाब देंहटाएंजहाँ चाह वहाँ राह...्बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...वाह!
जवाब देंहटाएंकहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
जवाब देंहटाएंयहाँ तो खुदा साथ चलने लगा.
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति .....
बेमिशाल प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंजहाँ चाह होती है वहाँ राह निकाल ली जाती है , बस अपने इरादे बुलंद होने चाहिए. एक सकारात्मक सोच को जन्म देती रचना. बहुत गहराई से मन को छूती हुई कविता के लिए आभार !
जवाब देंहटाएं... धैर्य की एक हद होती है - सुना था
जवाब देंहटाएंतो हदों से आगे
मैंने पगडंडियों से दोस्ती कर ली....
वाह दी...
खुबसूरत... प्रेरक...
सादर....
वाह !!! आपके लेखन के बारे में कहने के लिए तो जैसे अब मेरे पास शब्द ही नहीं बचे हैं :) अपना फेन बना लिया है आपने मुझे :) हमेशा की तरह इस बार भी गहरे भाव लिए भावपूर्ण शानदार अभियक्ति ... सच आपकी लेखनी और आपकी की गहरी सोच को नमन :)
जवाब देंहटाएंजहां चाह वही राह।
जवाब देंहटाएंbhaavpurn rachna, badhai.
जवाब देंहटाएंवाह...यही नजरिया होना चाहिए जीवन में...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...आकर्षक उदगार !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें आपको !
कहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
जवाब देंहटाएंयहाँ तो खुदा साथ चलने लगा
वाह! क्या बात है,रश्मि जी.
नई पुरानी हलचल से आये थे
यहाँ आकर खुदा मिला ही नहीं,
साथ चल दिया,तो और क्या चाहिये.
मेरे ब्लॉग पर आयीं,इसके लिए
बहुत बहुत आभार आपका.
पर हौसलों की आग सुलगती रही.....वाह !!!!
जवाब देंहटाएंइसी एक पंक्ति ने शायद सारी रचना का सार कह दिया है.
बहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंसाहर स एक कदम उठाना पढता है ... खुदा साथ हो जाता है .. वाह कमाल का लिखा है ...
जवाब देंहटाएंतू ना जाने आस पास है खुदा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दीदी
हौसला रखने वालों की हार नहीं होती ...
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है, बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी की हलचल से यहाँ आकर फिर
आपकी शानदार प्रस्तुति पढ़ने का मौका मिला,
आभार.
बहुत बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास और सकारात्मक सोच से भरपूर ...
आप और आपकी रचना भी...
सादर.
Kamaal ka likha hai apne.
जवाब देंहटाएंjosh bhar gaya .. :)
palchhin-aditya.blogspot.in
कहते हैं - चाह लो तो खुदा मिलता है
जवाब देंहटाएंयहाँ तो खुदा साथ चलने लगा....मुस्किल तो कुछ भी नही..... एक बार फिर आपकी ये रचना पढ़ कर यकीन हो गया......