25 सितंबर, 2011

देवदार



देवदार कहूँ तुम्हें
तो अतिशयोक्ति नहीं होगी
बड़ी से बड़ी आँधियाँ भी
तुम्हारे व्यक्तित्व को धूमिल नहीं कर पातीं ...

पर तुम्हारे सामर्थ्य से परे
तुम्हारे खड़े होने के दर्द को
मैंने अपने पैरों में महसूस किया है
तुम्हारे उन्नत मस्तक के आगे नत
सूर्य के तेज के आगे
तुम्हारी अविचल छवि की गरिमा से अभिभूत
मैंने जीवन को जीवन बनाया है
तुम्हारी हर शाखाओं से प्रेरणा ली है ...

' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
बनना वही होता है
वही चाहिए
जो आसान नहीं होता
सरल सीधे रास्ते
व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
.............
देवदार को खुद में समाहित कर
देवदार में खुद समाहित होकर
तुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया
तुम्हारी दृष्टि में तपस्वियों सा तेज
और 'एकला चलो' सा भाव
अनुकरणीय हैं ...
तुम्हारे पैरों के निशां
बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
जो देवदार बनना चाहते हैं
और उनके लिए भी
जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!

41 टिप्‍पणियां:

  1. ' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
    bahut achchi vyakhya kar di......'devdar bano'ki....wah.

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  2. बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
    जो देवदार बनना चाहते हैं
    और उनके लिए भी
    जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
    अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!

    देवदार की विशेषताओं से सीख देती अच्छी अभिव्यक्ति

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  3. "' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
    बनना वही होता है
    वही चाहिए
    जो आसान नहीं होता
    सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
    आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
    विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं "

    यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।

    सादर

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  4. हाँ बहुत मुश्किल होता है 'देवदार' हो के जीना.
    जिनकी जड़े गहरी होगी वो ही तो बन पायेगा देवदार.
    अच्छी रचना है देवदार जीवन दर्शन का प्रतीक बन गया.

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  5. ' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
    बनना वही होता है
    वही चाहिए
    जो आसान नहीं होता

    देवदार को खुद में समाहित कर
    देवदार में खुद समाहित होकर
    तुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया

    Aabhar....

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  6. सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
    आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
    विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं ....

    वाह दी! कमाल की रचना है.... अत्यंत प्रेरक...
    सादर...

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  7. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  8. बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
    जो देवदार बनना चाहते हैं
    सुंदर भावाव्यक्ति बधाई

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  9. देवदार वृक्ष .....सुन्दर प्रतीक ... संवेदनशील रचना ...

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  10. समय के न जाने कितने थपेड़े सह कर भी खड़ा देवदार।

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  11. sochti hu kabhi-kabhi
    ki kyon na khud hi chal padu
    yunhi
    aviral-si
    fir kuch anjana sa vichar aat ahai
    aur mera pair wahi ruk jaat hai...
    aaj is devdaar ko dekh...
    mil gaya wo raasta bhi,
    jaha chalne se koi vichar nahi rok paega ab mujhe...

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  12. भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार

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  13. तुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया
    तुम्हारी दृष्टि में तपस्वियों सा तेज
    और 'एकला चलो' सा भाव
    अनुकरणीय हैं ...
    बढ़िया है .

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  14. बनना वही होता है
    वही चाहिए
    जो आसान नहीं होता
    सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते

    ....सार्थक सोच दर्शाती बहुत प्रेरक प्रस्तुति..

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  15. बेहद गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।

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  16. बहुत बढिया रचना है बधाई स्वीकारे।

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  17. सच देवदार बनो...यूँ ही नहीं कहते सब..
    इतने सारे gun samaavisht हैं....dvdaar me

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  18. आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
    विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
    बहुत अच्छी और सच्ची बात बताई है.

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  19. सच देवदार बनो...यूँ ही नहीं कहते सब..सशक्त रचना....

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  20. सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते

    उत्तम प्रस्तुति!

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  21. सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते

    उत्तम प्रस्तुति!

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  22. जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
    अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!
    bahut sahee vyakhyaa ,bhaavpoorn
    kuchh logon kee fitrat hee kadvee hotee

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  23. कवि अपनी प्रेरणा का स्रोत निरंतर खोजता रहता है...देवदार पर ये पहली रचना पढ़ी है...मैंने...

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  24. देवदार बनने की कला आ जाए तो क्या कहना...प्रेरणादायक कविता

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  25. सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
    आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
    विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं

    So true!

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  26. सुन्दर विचार ..
    शुभकामनायें आपको !

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  27. "' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब

    एक सच कहा है ... इस अभिव्‍यक्ति में ।

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  28. सच..बहुत मुश्किल है देवदार बनना .सही कहा आपने ...आसान नहीं है विषम परिस्थितियों से गुज़रना और अडिग रहना

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  29. देवदार के बिम्ब पर गहन विचारों वाली बहुत सुन्दर अभिव्‍यक्ति...

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  30. देवदार बनना कम मुश्किल नही फिर भी जो है ,वह तो है ही ...
    और सबका प्रेरणास्त्रोत भी!
    आभार!

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  31. आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  32. आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.

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  33. देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
    बनना वही होता है
    वही चाहिए
    जो आसान नहीं होता
    सरल सीधे रास्ते
    व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
    आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
    विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
    hamesha yaad rakhungi mausi ji....aabhar

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  34. सच, बहुत सुंदर भाव और संदेश देती रचना

    तुम्हारे पैरों के निशां
    बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
    जो देवदार बनना चाहते हैं
    और उनके लिए भी
    जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
    अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!

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  35. बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...