देवदार कहूँ तुम्हें
तो अतिशयोक्ति नहीं होगी
बड़ी से बड़ी आँधियाँ भी
तुम्हारे व्यक्तित्व को धूमिल नहीं कर पातीं ...
पर तुम्हारे सामर्थ्य से परे
तुम्हारे खड़े होने के दर्द को
मैंने अपने पैरों में महसूस किया है
तुम्हारे उन्नत मस्तक के आगे नत
सूर्य के तेज के आगे
तुम्हारी अविचल छवि की गरिमा से अभिभूत
मैंने जीवन को जीवन बनाया है
तुम्हारी हर शाखाओं से प्रेरणा ली है ...
' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
बनना वही होता है
वही चाहिए
जो आसान नहीं होता
सरल सीधे रास्ते
व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
.............
देवदार को खुद में समाहित कर
देवदार में खुद समाहित होकर
तुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया
तुम्हारी दृष्टि में तपस्वियों सा तेज
और 'एकला चलो' सा भाव
अनुकरणीय हैं ...
तुम्हारे पैरों के निशां
बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
जो देवदार बनना चाहते हैं
और उनके लिए भी
जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!
' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
जवाब देंहटाएंbahut achchi vyakhya kar di......'devdar bano'ki....wah.
बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
जवाब देंहटाएंजो देवदार बनना चाहते हैं
और उनके लिए भी
जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!
देवदार की विशेषताओं से सीख देती अच्छी अभिव्यक्ति
"' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
जवाब देंहटाएंबनना वही होता है
वही चाहिए
जो आसान नहीं होता
सरल सीधे रास्ते
व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं "
यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।
सादर
हाँ बहुत मुश्किल होता है 'देवदार' हो के जीना.
जवाब देंहटाएंजिनकी जड़े गहरी होगी वो ही तो बन पायेगा देवदार.
अच्छी रचना है देवदार जीवन दर्शन का प्रतीक बन गया.
' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
जवाब देंहटाएंबनना वही होता है
वही चाहिए
जो आसान नहीं होता
देवदार को खुद में समाहित कर
देवदार में खुद समाहित होकर
तुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया
Aabhar....
सरल सीधे रास्ते
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं ....
वाह दी! कमाल की रचना है.... अत्यंत प्रेरक...
सादर...
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
जवाब देंहटाएंजो देवदार बनना चाहते हैं
सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
देवदार वृक्ष .....सुन्दर प्रतीक ... संवेदनशील रचना ...
जवाब देंहटाएंसमय के न जाने कितने थपेड़े सह कर भी खड़ा देवदार।
जवाब देंहटाएंsochti hu kabhi-kabhi
जवाब देंहटाएंki kyon na khud hi chal padu
yunhi
aviral-si
fir kuch anjana sa vichar aat ahai
aur mera pair wahi ruk jaat hai...
aaj is devdaar ko dekh...
mil gaya wo raasta bhi,
jaha chalne se koi vichar nahi rok paega ab mujhe...
अनुपम रचना
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंतुमने ऋषि मुनियों के तप का अर्थ बताया
जवाब देंहटाएंतुम्हारी दृष्टि में तपस्वियों सा तेज
और 'एकला चलो' सा भाव
अनुकरणीय हैं ...
बढ़िया है .
बनना वही होता है
जवाब देंहटाएंवही चाहिए
जो आसान नहीं होता
सरल सीधे रास्ते
व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
....सार्थक सोच दर्शाती बहुत प्रेरक प्रस्तुति..
बेहद गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना है बधाई स्वीकारे।
जवाब देंहटाएंसच देवदार बनो...यूँ ही नहीं कहते सब..
जवाब देंहटाएंइतने सारे gun samaavisht हैं....dvdaar me
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
जवाब देंहटाएंविषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
बहुत अच्छी और सच्ची बात बताई है.
सच देवदार बनो...यूँ ही नहीं कहते सब..सशक्त रचना....
जवाब देंहटाएंसरल सीधे रास्ते
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
उत्तम प्रस्तुति!
सरल सीधे रास्ते
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
उत्तम प्रस्तुति!
जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
जवाब देंहटाएंअपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!
bahut sahee vyakhyaa ,bhaavpoorn
kuchh logon kee fitrat hee kadvee hotee
कवि अपनी प्रेरणा का स्रोत निरंतर खोजता रहता है...देवदार पर ये पहली रचना पढ़ी है...मैंने...
जवाब देंहटाएंदेवदार बनने की कला आ जाए तो क्या कहना...प्रेरणादायक कविता
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा...आभार
जवाब देंहटाएंसरल सीधे रास्ते
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
So true!
सुन्दर विचार ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
"' देवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
जवाब देंहटाएंएक सच कहा है ... इस अभिव्यक्ति में ।
सच..बहुत मुश्किल है देवदार बनना .सही कहा आपने ...आसान नहीं है विषम परिस्थितियों से गुज़रना और अडिग रहना
जवाब देंहटाएंदेवदार के बिम्ब पर गहन विचारों वाली बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंदेवदार की ही तरह खूबसूरत और आलीशान रचना।
जवाब देंहटाएं________
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
देवदार बनना कम मुश्किल नही फिर भी जो है ,वह तो है ही ...
जवाब देंहटाएंऔर सबका प्रेरणास्त्रोत भी!
आभार!
सुन्दर प्रस्तुति, आभार,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
hamesha ki tarah aapki lekhni ne kmaal kar diya..
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंदेवदार बनो ' - यूँ ही नहीं कहते सब
जवाब देंहटाएंबनना वही होता है
वही चाहिए
जो आसान नहीं होता
सरल सीधे रास्ते
व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर पाते
आँधियों से गुजरकर ही अडिग रहना आता है
विषम परिस्थितियाँ ही अनुकूल होना सिखाती हैं
hamesha yaad rakhungi mausi ji....aabhar
सच, बहुत सुंदर भाव और संदेश देती रचना
जवाब देंहटाएंतुम्हारे पैरों के निशां
बहुत अहमियत रखते हैं उनके लिए
जो देवदार बनना चाहते हैं
और उनके लिए भी
जो कडवी ज़िन्दगी , कड़वे बोल को
अपनी पूर्णता मान लेते हैं !!!
बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.
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