21 दिसंबर, 2011

समंदर सा इमरोज़ , सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !



अमृता -
एक टीनएजर की आँखों में उतरी
तो उतरती ही चली गई ...
वक़्त की नाजुकता
रक्त के उबाल को
किशोर ने समय दिया
फिर क्या था
समय अमृता को ले आया ....

अमृता के पास शब्द थे
इमरोज़ के पास सुकून का जादू
जिससे मिला उसे दिया
निःसंदेह अमृता ख़ास थी
तो उसके घर का कोना कोना
महक उठा इस सुकून से ...

समाज ने उम्र के अंतराल को इन्गित किया
खुद अमृता ने भी
पर इमरोज़ ने हर तरफ रंग भर दिए
दीवारों पर
अमृता की हथेलियों पर
आँखों में
चेहरे पर
रिश्ते दर रिश्तों पर
यूँ कहें इश्क बनाम इमरोज़
अमृता के घर में जज़्ब हो गया ...

घर हौज़ ख़ास नहीं
ग्रेटर कैलाश नहीं
न दिल्ली, न मुंबई - कोई शहर नहीं
घर -
बस अमृता का वह पोस्टर
जिससे इमरोज़ की चाहत जुड़ गई
एक कमरे का वह मकान
जहाँ अमृता जीने को आती रही
एक स्कूटर
जिसकी रफ़्तार में
अमृता इमरोज़ हो गई
और अतीत -
खुरचनों की तरह जमीन पर गिर गया !
बड़ी बात थी पर सहज था
क्योंकि अतीत ने सिर्फ अमृता को देखा था
इमरोज़ ने अमृता की आत्मा को
....
यहाँ तो साथ चलते रिश्तों से नाम गुम हो जाते हैं
पर इमरोज़ हर सुबह
सूरज की पहली किरण से लेकर
रात सोने तक
एक ही नाम कहता है - अमृता !
इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
समंदर सा इमरोज़
सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !

40 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद खूबसूरत और रूमानी रचना...
    दिल को छू गयी..
    सादर.

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  2. bahut sundar likha hai aap ne Amrita and Imroz ke bare me.....jo pyar unka tha ek dusre k liye...aap ki rachna me saaf saaf najar aa raha hai....hope Imroz Ji ne jarur pasand kiya hoga aapki is sunder rachna ko....

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  3. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
    समंदर सा इमरोज़
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !

    अविस्मरनीय जीवन का अद्भुत लेखन ....

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  4. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
    समंदर सा इमरोज़ ,
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था....!
    बेहद खूबसूरत रूप दिया है आपने....

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  5. पूरी कहानी जितनी विलक्षण है उसी विलक्षणता से आपने कहा है!
    सुन्दर!

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  6. समंदर सा इमरोज़
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !

    अद्भुत अभिव्यक्ति...

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  7. बहुत खूबसूरत प्रेममयी अभिव्यक्ति...आभार

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  8. सच्चे प्रेम को समझना बड़ा मुश्किल होता है ।

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  9. बहुत सुंदर कवितामयी कहानी रूमानी रचना,..
    प्रेममयी खुबशुरत प्रस्तुति,...

    मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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  10. सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !
    प्रेम यक़ीनन जीवन को गहराई देता है .....

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  11. प्रेम कि गहराई को दर्शाती बेहतरीन रचना है...

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  12. क्या यही प्यार है .....हाँ हाँ यही प्यार है.

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  13. Log hain marte bhale par...
    Pyaar hai marta nahi....
    Koi vish bhi pyaar ko nashwar kabhi karta nahi...

    'Amruta', 'emroz' ka jo..
    Pyaar hai us lok ka....
    Jo junoon es pyaar main...
    Naata lage parlok ka...

    Koi shiddat se agar...
    Karta kisi se pyaar hai...
    Uski baaton main jhalakta..
    Usko kis se pyaar hai...

    Do dilon ki daastan main...
    Pyaar ka etna asar..
    Duniya ko 'Emroz' ke sang...
    'Amruta' aati nazar...

    Deh hi chahe nahi hai...
    'Amruta' ahsaas main...
    Hai Wo Emroz-e-tassavur...
    Unki bhukh aur pyaas main..

    Amruta...Emroz ke sang, hamesha jeevit thi,. Hai aur rahegi.....kyonki ahsaas aur pyaar kabhi nahi marta....

    Sahaj, saral, Amruta-Emroz ke premaras main bheega hua aalekh...

    Shubhkamnayen...

    Deepak Shukla..




    ..

    '

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  14. और अतीत -
    खुरचनों की तरह जमीन पर गिर गया !
    बड़ी बात थी पर सहज था
    क्योंकि अतीत ने सिर्फ अमृता को देखा था
    इमरोज़ ने अमृता की आत्मा को

    खूबसूरत रचना में ये पंक्तियाँ आपकी शैली को हाईलाइट करती हुई.

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  15. इमरोज समंदर को छूकर भिगोने वाली लहर सीप में ढली तो मोती बनना ही था ...
    प्रेम सुघड़ बना देता है !

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  16. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
    समंदर सा इमरोज़ ,
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था....!

    जहाँ मोहब्बत शब्दो की मोहताज़ नही थी ……………।

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  17. अमृता और इमरोज के प्रेम को हीर-राँझा और सोहनी-महिवाल की तरह अमर बनाती हुई आपकी यह कालजयी रचना लोगों को इश्क के मायने बताने में कामयाब होगी...

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  18. प्यार का अंदाज़े-बयाँ
    जिसका हमेशा मूक था
    आँखे थी जिसकी बंध
    पर निशाना अचूक था |

    एक मसीहा .....

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  19. वाह...! लाजवाब !
    एक एक शब्द भीतर और भीतर उतरते गए !

    आभार !!

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  20. बहुत सुन्दर अमृता इमरोज का अमर प्रेम ...

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  21. अमृता के पास शब्द थे
    इमरोज़ के पास सुकून का जादू
    जिससे मिला उसे दिया
    निःसंदेह अमृता ख़ास थी
    तो उसके घर का कोना कोना
    महक उठा इस सुकून से ...सीधे दिल में उतरता है हर एक शब्द..... एक तस्वीर सी बन जाती है......

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  22. बहुत सुन्दर अंदाज में एक खुबसूरत रचना फिर रच डाली..क्या कहने...?

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  23. क्योंकि अतीत ने सिर्फ अमृता को देखा था
    इमरोज़ ने अमृता की आत्मा को

    ऐसा प्रेम परिभाषा से परे होता है और शायद इसीलिये एक मिसाल भी

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  24. अमृता इमरोज़ की जीवनी की संजीदा अभिव्यक्ति. आज भी जब इमरोज़ से मिलती हूँ अमृता को सदा उनके साथ पाती हूँ. मकान भले बदल गया लेकिन इमरोज़ के रूह में रहती हैं अमृता. अमृता इमरोज़ को नमन.

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  25. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
    समंदर सा इमरोज़
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !

    आलौकिक प्रेम... समय से परे, दुनिया से परे... आभार

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  26. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है

    जैसे आपके लेखन से इस अभिव्‍यक्ति में दो नाम जीवंत हो उठे हों ...आभार ।

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  27. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  28. prem ke charmotkarsh par kuch bhee ho sakta hai..saccha pyar..rachna lajabab..sadar badhayee ke sath

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  29. वाह!!अमृता प्रीतम और इमरोज़ के बारे में तो मैं कभी भी पढ़ सकता हूँ..
    दोनों मुझे बहुत पसंद हैं!!

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  30. इतनी शिद्दत से चाहा इमरोज़ ने
    कि शिद्दत भी खुद पे इतराती है
    समंदर सा इमरोज़
    सीप सा इमरोज़ - अमृता को मोती बनना ही था !
    वाह क्या बात है बेहतरीन...जज़्बात और बात

    जवाब देंहटाएं
  31. पर इमरोज़ ने हर तरफ रंग भर दिए
    दीवारों पर
    अमृता की हथेलियों पर
    आँखों में
    चेहरे पर
    रिश्ते दर रिश्तों पर
    यूँ कहें इश्क बनाम इमरोज़
    अमृता के घर में जज़्ब हो गया ...
    ......
    hamesha se hi yeh prem kahani meri adarsh rahi hai !

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  32. hmne aapki rachna padhi aur itni khubsurat lgi ki tareef nai kr pa rhe! just keep it up! pyar ka itna pyaraa roop???


    love sms

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  33. There is also a man sometimes behind the success of a woman...a man like Imroz...selfless, almost divine.
    Thank you for this remarkable poem mam.
    Regards.

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