शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
24 दिसंबर, 2011
शिखर सम्मान
जब हम शरुआत करते हैं कुछ कहने की
तो शब्दों को नापतौल कर उठाते हैं
किसी भी नापतौल में शुद्धता नहीं होती
यानि डंडी मार ही लेते हैं हम
भावनाओं में फेर बदल करके
हम कलम को कमज़ोर बना देते हैं !
पर जिस दिन हम सत्य पर आते हैं
हमारा साहस, हमारे हौसले
नए पदचिन्हों का निर्माण करते हैं ...
पलायनवादी कहते हैं - 'न ब्रूयात सत्यम अप्रियम'
हम भी मानते हैं
अप्रिय सत्य कहने में कटु होता है
पर जब तक यह कटु घटित होता रहता है
सब खामोश रहते हैं
तो जब उस कटुता को कहने से लोग रोकें
तो हमें खामोश रहना चाहिए
और कहने की दिशा से
भटकना नहीं चाहिए ....
याद रखो -
निर्माण सशक्त हो
सत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बल्कि निर्माता की पुख्ता पहचान होती है
शिखर उसकी प्रतीक्षा में
अपना सर झुकाता है
फिर जहाँ शिखर सम्मान हो
वहाँ किसी और सम्मान की क्या ज़रूरत ! ...
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मेरा तो धंधा ही कड़वे बोलों का है सो, पढ़ कर अच्छा लगा कि चलो किसी ने तो मेरा साथ दिया :)
जवाब देंहटाएंsaty baat....
जवाब देंहटाएंडंडी मार , शिखर सम्मान ,अप्रिय सत्य..कितना सुन्दर बिम्ब समेट लेती है आप .
जवाब देंहटाएंशिखर उसकी प्रतीक्षा में
जवाब देंहटाएंअपना सर झुकाता है
फिर जहाँ शिखर सम्मान हो
वहाँ किसी और सम्मान की क्या ज़रूरत.... !
आज वास्तव में शिखर ,
आपके सम्मान में ,
आपके कदमो में है.... !!
याद रखो -
जवाब देंहटाएंनिर्माण सशक्त हो ,
सत्य अटल हो ,
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती ,
हौसला बढ़ाती पंक्तियाँ.... :):)
सही बात कहती कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
निर्माण सशक्त हो
जवाब देंहटाएंसत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
प्रेरणात्मक पंक्तियां ... आभार ।
याद रखो -
जवाब देंहटाएंनिर्माण सशक्त हो
सत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बहुत सशक्त रचना है ...लेखन का मार्गदर्शन करती हुई ....!!
बहुत बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना रश्मि जी .
सादर.
याद रखो -
जवाब देंहटाएंनिर्माण सशक्त हो
सत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बल्कि निर्माता की पुख्ता पहचान होती है
बहुत सही, निर्माण सत्य और सशक्त हो
तो अपनी पहचान बना लेता है...
सत्य वचन.
जवाब देंहटाएंशिखर पूज्य हो,
जवाब देंहटाएंअनजानों से क्या टकराना..
फिर एक प्रेरणादायक रचना ...!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा !
आभार !
सत्य ही तो है .. निर्माण सशक्त हो और सत्य अटल हो .... तो निर्माण की आलोचना नहीं होती .. क्यूंकि तब हमारी आत्मा हमारे साथ होती है ... और इससे बड़ा स्वयं में सम्मान और क्या होगा भला
जवाब देंहटाएंसांच को आंच नहीं , यही सत्य है ।
जवाब देंहटाएंसच में,फिर किसी और सम्मान की ज़रूरत नहीं होती
जवाब देंहटाएंबढ़िया भावों के साथ कटु सत्य भी , आत्म गौरव भी.
जवाब देंहटाएंसत्य अटल हो
जवाब देंहटाएंतो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बल्कि निर्माता की पुख्ता पहचान होती है !
क्या बात है ! सुंदर रचना !
आभार !!
मेरी नई रचना ( अनमने से ख़याल )
अप्रिय सत्य कहने में कटु होता है
जवाब देंहटाएंपर जब तक यह कटु घटित होता रहता है
सब खामोश रहते हैं
तो जब उस कटुता को कहने से लोग रोकें
तो हमें खामोश रहना चाहिए
और कहने की दिशा से
भटकना नहीं चाहिए ....
bilkul sahee
किसी प्रश्न के उत्तर में
या विषय पर
मौन रहना,सहमती माना जा
सकता है
असहमत हो तो,मौन ना रहे
अपने विचार
अवश्य प्रकट करने चाहिए
वो भी इस तरह से कि
जिससे आप सहमत ना हो
उसे बुरा नहीं लगे
27-11-2011-40
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”
याद रखो -
जवाब देंहटाएंनिर्माण सशक्त हो
सत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
सुन्दर कोटेशन, बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत सच कहा है...आभार
जवाब देंहटाएंशब्दों की नाप-तौल तो सही है जी, कतर-ब्यौंत नहीं होनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंविलकुल सही कहा..सत्य वचन..
जवाब देंहटाएंजब उस कटुता को कहने से लोग रोकें
जवाब देंहटाएंतो हमें खामोश रहना चाहिए
और कहने की दिशा से
भटकना नहीं चाहिए ....
सार्थक चर्चा करती हुई सशक्त रचना दी....
सादर.
लाख टके की बात कही आपने..वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सच्ची सच्ची भावनाये पर सत्य का पंथ हमेशा कंटकों से भरा होता है ..तब अंत में जा कर कही सिखर सम्मान की प्राप्ति हो पाती है
जवाब देंहटाएंसारगर्भित पोस्ट आभार
जब उस कटुता को कहने से लोग रोकें
जवाब देंहटाएंतो हमें खामोश रहना चाहिए
और कहने की दिशा से
भटकना नहीं चाहिए ....यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....
खूबसूरत सार्थक सशक्त रचना,..कमाल की लेखनी..
जवाब देंहटाएं"काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"--
दी ,आप इतना कड़वा सच इतनी सहजता से कैसे लिख देतीं हैं ...... सादर !
जवाब देंहटाएंसत्य अटल हो
जवाब देंहटाएंतो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बल्कि निर्माता की पुख्ता पहचान होती है
शिखर उसकी प्रतीक्षा में
अपना सर झुकाता है
हम भी इस भावना के सामने सर झुकाते हैं
एक यथार्थ, प्रेरक.
जवाब देंहटाएंसाधु-साधु
Bahut gahra bhav
जवाब देंहटाएंनिर्माण सशक्त हो
जवाब देंहटाएंसत्य अटल हो
तो निर्माण की आलोचना नहीं होती
बल्कि निर्माता की पुख्ता पहचान होती है
शिखर उसकी प्रतीक्षा में
अपना सर झुकाता है
फिर जहाँ शिखर सम्मान हो
वहाँ किसी और सम्मान की क्या ज़रूरत ! ...
yathaarth ko chitrit karti rachana.....aabhar...
शिखर झुकता हो जहाँ ,वहाँ सम्मान तो बहुत छोटी चीज़ है !
जवाब देंहटाएंसही है सत्य वचन ....
जवाब देंहटाएंपलायनवादी कहते हैं - 'न ब्रूयात सत्यम अप्रियम'
जवाब देंहटाएंहम भी मानते हैं
अप्रिय सत्य कहने में कटु होता है
पर जब तक यह कटु घटित होता रहता है
सब खामोश रहते हैं
.....
आपका साहस हम सबको भी साहसी बनाता है दी ...
मैं जनता हूँ कि मैं एक पुख्ता बुनियाद वाले मकान में हूँ!
सार्थक रचना, शुभकामनाएं.
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