कहीं कुछ मेरे स्वभाव के विपरीत हुआ
मैंने ओढ़ ली चुप्पी की चादर
जबकि मुझे बोलना था
… मेरा मन बोल भी रहा था
बोलता ही है- समय-असमय
मैं सुनती रहती हूँ !!!
किसी स्पष्टीकरण की ज़रूरत भी नहीं
क्योंकि अपने सच के एक एक धागे को
मैं बखूबी पहचानती हूँ
कोई और समझेगा क्या ?
इतनी खुली समझ होती
तो दोराहे,तिराहे,चौराहे
आपस में उलझते नहीं !
जब दिशा ज्ञान ही भ्रमित हो उठा
तो शिकायत कैसी ?
किससे ?
कुछ नया तो हुआ नहीं है
जो शोर किया जाए !
ऊँगली उठाने का कोई अर्थ नहीं
अपने मन के धरातल को बखूबी देखना ज़रूरी है
कहाँ थी समतल भावनाएँ
कहाँ छोड़ दी गई काई
कहाँ रखे थे बातों के कंकड़
खुद का मुआयना कर लें
कुछ परिवर्तन ले आएँ
इससे खूबसूरत पश्चाताप और कोई नहीं …
परिवर्तन का सूत्र उठाए
खड़ी हूँ रेगिस्तान में
धूल का बवंडर उठता है
तो रास्ते दुविधा में डाल देते हैं
कहाँ से चले थे
कहाँ जाना है - सब गडमड हो जाता है
पर मुझे पहुँचना तो है न तुम तक
बाधाएँ कितनी भी हों
…… मुझे पहुँचना है उस मोड़ पर
जहाँ से अपने से एहसास की खुशबू आती है
....
मुझे खुद पर यकीन है
यकीन है कि मैं पछतावे की अग्नि शांत कर लूँगी
तुम्हारे चेहरे पर एक गाढ़ी मुस्कान दे जाऊँगी
तुम्हें भी यकीन है न ?-
खुद पर यदि यकीन हो तो फिर पश्चाताप कैसा ..!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
Bahut Khub Didi, Eshwar kare vo Muskan awasya aaye...
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, गूगल और 'निराला' - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपका मन आपका है
जवाब देंहटाएंमेरा मन मेरा है
सुन आप भी रही हैं
सुन मैं भी रहा हूँ
अपने मन में
ताज्जुब है आप
कैसे दूसरों के
मन के शोर को
सुन लेती हैं
और लिखते
लिखते शांत
भी कर देती है
बहुत से शोर
बहुत शाँति
के साथ :)
बहुत सुंदर !
"किसी स्पष्टीकरण की ज़रूरत भी नहीं
जवाब देंहटाएंक्योंकि अपने सच के एक एक धागे को
मैं बखूबी पहचानती हूँ
कोई और समझेगा क्या ?"
दीदी, मैं भी हमेशा इसी मंत्र का पालन करता हूँ... मेरे अन्दर का सच मुझे पता है, कोई और समझे न समझे कहकर क्या होगा!! बेहतर है कि समय पर उसे ख़ुद समझ आ जाए! और न भी आए तो वो नासमझ!!
खुद का मुआयना कर लें
कुछ परिवर्तन ले आएँ
इससे खूबसूरत पश्चाताप और कोई नहीं …
और ये बात भी बहुत अच्छी लगी!! कुल मिलाकर एक "निर्मल आनन्द" हमेशा की तरह!!
दी बचपन से एक quote पढ़ा है और बहुत पसंद है -
जवाब देंहटाएंNever explain - your friends do not need it and your enemies will not believe you anyway....
स्पष्टीकरण देना ही है तो सिर्फ स्वयं को !!
बहुत सुन्दर रचना ...
सादर
अनु
बहुत बढ़िया जवाब !!
हटाएंमुझे खुद पर यकीन है
जवाब देंहटाएंयकीन है कि मैं पछतावे की अग्नि शांत कर लूँगी
तुम्हारे चेहरे पर एक गाढ़ी मुस्कान दे जाऊँगी
तुम्हें भी यकीन है न ?-
bahut sunder socha ke saath sunder kavita
badhai
Rachana
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (22-02-2014) को "दुआओं का असर होता है" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1531 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जो अपने मन के सच को पहचानता है वही इतना आत्मविश्वास से भरा हो सकता है ! यकीनन यही भावना और हौसला बना रहा तो चहरे पर एक गाढ़ी मुस्कान का आ जाना तो लाजिमी है ! बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन का सूत्र उठाए
जवाब देंहटाएंखड़ी हूँ रेगिस्तान में
धूल का बवंडर उठता है
तो रास्ते दुविधा में डाल देते हैं ---अति सुन्दर भाव रचना
इसी यकीन पर ही चलती है जिंदगी.. है न..
जवाब देंहटाएंविपरीत परिस्थितियों में चुप रह पाना एक बड़ी ताकत है...
जवाब देंहटाएंयकीन
जवाब देंहटाएंजिंदगी का सबसे बड़ा सच तो यही है कि जो ह्मको समझते हैं उनको समझाने की जरूरत नहीं और जो हमको समझते ही नहीं उनको ह्म किसी भी तरह कुछ भी नहीं समझा सकते .... सादर !
जवाब देंहटाएंजो समझे ही नाही उसे कैसे समझाया जा सकता है इससे अच्छा है चुप रहना तब हो सकता है वो समझ जाए। बेहतरीन भावनाए
जवाब देंहटाएंखुद पर यकीन ही मंजिल तक पहुंचाएगा .... धूल का बवंडर दुविधा में भले ही डाल डे पर शांत होने के बाद मार्ग स्पष्ट भी दिखाई देता है . बेहतरीन अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंखुद का मुआयना कर लें
जवाब देंहटाएंकुछ परिवर्तन ले आएँ
इससे खूबसूरत पश्चाताप और कोई नहीं ….... यकीनन
अपने को यथासंभव समझा लेता हूँ, शेष सब ईश्वर पर।
जवाब देंहटाएंयह यकीन दिला पाने से बेहतर पश्चाताप क्या हो सकता है !
जवाब देंहटाएंइसी यक़ीन की बुनियाद पर .... हर मुश्किल अपने आप संभलकर खड़ी हो जाती है
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती रचना ...
जवाब देंहटाएंउसे तो यकीन है सौ प्रतिशत हम ही अपने यकीन पर यकीन नहीं कर पाते...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबस यही विश्वास ज़रूरी है ......
dil ko chhooti rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen