20 सितंबर, 2016

बुद्धि का शस्त्र उठाओ




कृष्ण ने कहा,
"अर्जुन उठो
गांडीव उठाओ
अपने धर्म को निभाओ
अन्यथा,
यह सच है
कि मैं यदि तुम्हें गीता सुना सकता हूँ
तो रथ का पहिया उठाकर
सबको परास्त कर सकता हूँ
शस्त्र उठाने का एक मौका तक नहीं दूँगा
यदि मैं अपने 'मैं' पर आ गया
... !!!
पर,हर न्याय के लिए
पात्रता अपनी होती है
ईश्वर सारथि होते हैं
!
अर्जुन,
साथ वो नहीं होता
जो तुम्हें तूफ़ान से बाहर ले आये
सही साथ वह है
जो तुम्हें तूफानों को चीरकर बढ़ना बताये  ...
...
मृत्यु सबकी तय है
डरो या निडर रहो
उसे आना ही है
वक़्त निर्धारित है
आज नहीं तो कल
तो उठो,
व्यक्तिविशेष के लिए नहीं
अन्याय के विरुद्ध शंखनाद करो
शस्त्र उठाओ।

सभा में जो कुछ भी हुआ
क्या वह तर्कसंगत
या न्यायसंगत था ?
पांचाली की चीख
सभा की ख़ामोशी
और तुमसबो का बुत बने रहना
इतिहास के पन्नों को
सुलगते प्रश्नों से रेखांकित करता है
पार्थ
युद्ध का आरम्भ सत्य के लिए होता है
युद्धोपरांत सत्य उजागर होता है
इसलिए उठो
और बुद्धि का शस्त्र उठाओ  ...

15 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. महाभारत एक सबक है मानव जाति के लिए, लेकिन सबक कितने सीख पाते हैं, आज भी यह यह जारी है
    बहुत सुन्दर

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  3. तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय
    युद्धाय कृतनिश्चयः
    So Rise O Son of Kunti To Battle With Resolve ...

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  4. तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय
    युद्धाय कृतनिश्चयः
    So Rise O Son of Kunti To Battle With Resolve ...

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  5. हाँ , बुद्धि का शस्त्र हर युद्ध के लिए आवश्यक एवं प्रभावी जिसे उठाना ही पड़ता है । प्रभावी रचना ।

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  6. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

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  7. शस्त्र अपने अपने रखे हुऐ सम्भाल कर
    कर रहे हैं हम आज मौके की तलाश
    मौका पता नहीं कब आयेगा उठाने का
    जंक लगा शस्त्र भी शायद गल जायेगा ।

    बहुत सुन्दर रचना ।

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  8. कृष्ण ने अर्जुन को वही करने को कहा जिसके लिये वो बना था, जो अर्जुन का स्वधर्म था.. वे ऐसे गुरु थे जो शिष्य को पाने स्तर तक लेकर आए, ण कि स्वयं को शिष्य के स्तर पर लाए जो कि आसान था.

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  9. बुद्धि का शस्त्र ही तार सकता है मानव को इस उहापोह से..टूटते मूल्यों से उबरने का मार्ग दिखा सकता है, किन्तु मात्र बुद्धि नहीं, चाहिए कृष्ण का अपार प्रेम भी..

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  10. इतिहास के पन्नों को टटोलती गहरी रचना ..

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  11. युद्ध का आरम्भ सत्य के लिए होता है
    युद्धोपरांत सत्य उजागर होता है
    इसलिए उठो
    और बुद्धि का शस्त्र उठाओ .

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  12. युद्ध का आरम्भ सत्य के लिए होता है ...आज भी ज़रूरत है सत्य को उजागर करने की . बौद्धिक शस्त्र उठाने ही होंगे ... गहन अभिव्यक्ति

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