न प्रसिद्धि टिकती है
न बेनामी ज़िन्दगी
कौन कब तक याद रखता है भला !
राम,रहीम,कृष्ण,कबीर,
सीता,यशोधरा,कैकेयी
सब अपने दृष्टिकोण हैं
बोलो तो अनगिनत बातें
चुप रहो तो नदी है या नहीं
क्या फर्क पड़ता है !
हाँ,
कोई उधर न जाए
तो संदेहास्पद होता है क्षेत्र
संदेह के आगे
विशेषताओं की ज़रूरत क्षीण होती है !
आज तुम शिखर पर हो
तो तुम उदाहरण हो
कल शिखर किसी और का होगा
उदाहरण कोई और होगा !
इतिहास पर उकेरे भी जाओ
तो कौन जाने
कब कैसी विवेचना हो
समय के साथ दृष्टिकोण बदलते हैं
और उनके मायने भी ... !!!
और
जवाब देंहटाएंहर किसी के लिये
उसके पास उसके
अपने मायने होते हैं
लिखा हो किताबों में
कुछ भी
समझा दीजिये आप
कितना भी :)
बहुत सुन्दर ।
उदाहरण तो बदलते ही रहते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
इतिहास
जवाब देंहटाएंयानि कल का सच
विवेचना के साथ
अनुशरण भी आवश्यक है
सादर
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-10-2016) के चर्चा मंच "अर्जुन बिना धनुष तीर, राम नाम की शक्ति" {चर्चा अंक- 2504} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंअहोई अष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ये रो नियम है कायनात का ... इतिहास में कोई विरले हाई होते हैं जो चमकते हैं ... जैसे गूगल के पहले पेज का विज्ञापन ... मायने और दृष्टिकोण बदलाव लाते हैं ...
जवाब देंहटाएंसही कहा
जवाब देंहटाएंसमय के साथ दृष्टिकोण बदलते हैं
जवाब देंहटाएंऔर उनके मायने भी ....स्वभाविक और संभवतः सही भी