रुक जाओ
रुक भी जाओ
पीछे लौटो
जहाँ हो,
एक बड़ा मिट्टी या सीमेंट का आँगन
लाल पोचाड़े से रंगा घर
बारामदे का पाया
जिससे छुप्पाछुप्पी खेलने की सुविधा हो
मिट्टी से लीपा बर्तन
दो कसी चोटी
हिदायतों की फेहरिस्त
घर से स्कूल
स्कूल से घर लौटने की ताक़ीद
...
बहुत बने हम लड़कों के समान
बक्शो हमें
देखने दो हमें सिर्फ सपने
रखो यह हकीकत अपने पास !
नहीं जाना हमें आगे,
क्या मिला है आगे जाकर ?
दिया है बस पैसों का हिसाब
नहीं दिया
तो हो गया है तलाक !
बच्चों की जिम्मेदारी आज भी हम पर ही है
नौकरी तो सिर्फ तुम करते हो
हम तो तफ़रीह करती हैं !
किसी के साथ हँस लिया
तो चरित्रहीन !
फ़ोटो खिंचवा लिया
तो तौबा तौबा !
और हो गया कोई हादसा
तब तो ...
आओ, वहीं चलें
बाबा के पीछे से बहुत कहने पर झांकें
भईया की किताब छुपकर पढ़ें
मईया से सीखें चुप रहना
दादी की झिड़कियाँ सुनें
"लड़कीजात हो,
ज्यादा खी खी खी खी मत करो,
दुपट्टा लेने का शऊर नहीं ... "
घर के अंदर जो भेदभाव था
उसे ही सह लेंगे
आँगन के पेड़ में रस्सी बाँधकर
सावन का झूला झूल लेंगे
जिससे ब्याह दिया जाएगा
उसके पीछे पीछे
लम्बा घूँघट किए चल देंगे
बाकी से तो सुरक्षित रहेंगे !
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-04-2018) को ) "भूखी गइया कचरा चरती" (चर्चा अंक-2949) पर होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति कर बचाएं अपनी पृथ्वी : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २३ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २३ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में दो अतिथि रचनाकारों आदरणीय सुशील कुमार शर्मा एवं आदरणीया अनीता लागुरी 'अनु' का हार्दिक स्वागत करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बेहद प्यारी सी चाह..काश समय पीछे लौट सकता, अब तो आगे ही जाना होगा, जो पीछे जायेगा उसे बड़ी हिम्मत दिखानी होगी..
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