वह दिन दूर नहीं,
जब पढ़ी-लिखी लडकियां
'आया' की जगह के लिए अप्लाई करेंगी !
बहुत सारी कंपनियों की तुलना में
एक आया
अधिक कमाने लगी है,
क्योंकि -
उसकी मांग और ज़रूरत बढ़ गई है........
बोनस पॉइंट -
paid leave ,
रहने की सुविधा ,
मेडिकल सुविधा ,
फ्री प्रसाधन सामग्री ,
कपड़ा हर त्यौहार पर !
..........
अचानक गायब होने पर
ज़ोर की डांट भी नहीं,
जब पढ़ी-लिखी लडकियां
'आया' की जगह के लिए अप्लाई करेंगी !
बहुत सारी कंपनियों की तुलना में
एक आया
अधिक कमाने लगी है,
क्योंकि -
उसकी मांग और ज़रूरत बढ़ गई है........
बोनस पॉइंट -
paid leave ,
रहने की सुविधा ,
मेडिकल सुविधा ,
फ्री प्रसाधन सामग्री ,
कपड़ा हर त्यौहार पर !
..........
अचानक गायब होने पर
ज़ोर की डांट भी नहीं,
कभी भी खतरे की घंटी बजा सकती है ,
पैरों तले ज़मीन हटा सकती है !
.......
इतनी सारी सुविधाओं के साथ ,
..... आकर्षक आय ,
कभी भी बढ़वाने का मौका ,
एक्स्ट्रा वर्क - एक्स्ट्रा मनी
और...........
खुशामद की चाशनी !
क्योंकि -
जवाब देंहटाएंउसकी मांग और ज़रूरत बढ़ गई है........
बोनस पॉइंट -
paid leave ,
रहने की सुविधा ,
मेडिकल सुविधा ,
फ्री प्रसाधन सामग्री ,
कपड़ा हर त्यौहार पर !
ati sundar........
जमाना बदल गया है नए ज़माने को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया गया है लेकिन ये जानकर तो दुःख हुआ हर चीज़ को पैसो से तोला जा रहा है चाहें वो माँ के समान किसी आया का आँचल क्यूँ ना हो ...
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha.
जवाब देंहटाएंसब शिक्षण पद्दति का दोष है मासी जी, ये हमें Money multiplication तो सिखाती है लेकिन वास्तविक जीवन जीने की कला नहीं सिखला पाती | Commercial Education इंसान के ego को बढा देता है, परिणाम स्वरुप छोटे छोटे किन्तु महत्वपूर्ण घरलू कार्यो के प्रति या तो हम उदासीन हो जाते है या फिर करते हुए हीनता महसूस करते है, तो जैसा की आपने कहा वाकई वह दिन दूर नहीं जब घरेलु कार्यो के लिए लोग नहीं मिलेंगे और जो मिलेंगे वे So Called पढ़े लिखे लोगो से कही ज्यादा अर्थोपार्जन कर जायेंगे और पढ़े लिखे लोग कुंठाग्रस्त होकर कही के नहीं रह जायेगे |
जवाब देंहटाएंरश्मि जी, हमारे यहां (९९,९%)लोग पढे लिखे हे,यानि आया की नोकरी करने के लिये पहले स्कुल फ़िर ३,से ५ साल का कोर्स, हमे किसी भी काम मे शर्म नही आनी चाहिये,भीख चोरी ओर अन्य गलत कामो से जरुर शर्म करनी चाहिये, मेरे बच्चे ११वी मे हे,ओर कार के लाईसेंस बनबाने के लिये इन्हे पेसा चाहिये, ओर हर शुकर वार को यह घरो मे समाचार पेपर डाल कर आते हे, हमारे यहां मेहनत करने वाले को ज्यादा इजाज्त दी जाती हे, काश मेरे भारत मे भी सभी लोगो के विचार ऎसे हो.
जवाब देंहटाएंआप की कविता बहुत अच्छी लगी,धन्यवाद
आपकी कविता बहुत अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंवाह दी, क्या खूब तरीके से आपने सच्चाई को उभारा है हास्य और विनोदी रंग दे के..
जवाब देंहटाएंऔर अब तो ये सच्चाई भी है, कि स्वीपर की पोस्ट में जब बड़े से बड़े कास्ट के और बी एड, डिप्लोमा करे हुए बेरोजगार लड़के आवेदन कर रहे हैं तो आया की पोस्ट में भी पढ़ी लिखी लड़किया करेंगी.. क्यूँ की सच में जो-जो आपने कहा ऐसा ही हो रहा है आजकल.. और इसे गंभीरता से पहने की बजाये विनोदी स्वभाव में ही पढना चाहिए.. आप अपनी और सबकी समस्या सामने रख रही हैं, किसी का मजाक नहीं उड़ा रही हैं की किसी को बुरा लगे.. और जिसको बुरा लगे उस-से केवल इतना ही कहूँगा की कृपया आप भाव को समझें की क्या क्या परेशानी उठानी पड़ती है पूरी पगार देने के बाद भी जब खुद बर्तन माजने पड़े अक्सर तो ग्रहणी के दिल में ऐसे नहीं तो और कैसे विचार आयेंगे? और हास्य में दिमाग नहीं केवल दिल का इस्तेमाल किया जाता है, क्यों कि एक तो वैसे है हसने का ही वक़्त नहीं बचा हम लोगो के पास, कोई हसाना चाहे भी तो उसका मुह बंद कर देंगे तो कौन हसायेगा फिर? इसलिए इस कविता को पढिये और हासिये दिल खोलकर.. हा हा हा हा हा हा...!!!
raj ji ki bata se mein sahmat hun rashmi ji...
जवाब देंहटाएंpar apka khyaal isaayawali bata pe bahut satik hai....acha likha hai apne lekhan ki dristhi se..
lekin aaya ki ahmiyat bhi to ham sabke karan hi badti hai na aksar..
sabse huda soch pe..hardik badhayee
नया ज़माना ..नई है सोच अच्छी लिखी है कविता
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छ लिखा है ....लोगो की सोच बदल रही है
जवाब देंहटाएंजी सही कहा है आपने, इन आया का मोल तो अपनों से भी ज्यादा हो गया है। अजी, जमाना बदल गया है, बदले हुए जमाने के साथ आपकी ये बदली हुई रचना अच्छी लगी। सुंदर...अति सुंदर।।।।
जवाब देंहटाएंरशिम जी मेरे कहने का भाव मात्र इतना ही था कि कोइ भी काम बुरा,या छोटा बडा नही होता,किसी को बुरा लगे तो माफ़ी चाहता हू
जवाब देंहटाएंआप की कविता बहुत ही सुन्दर लगी,ओर आप की कविता की तारीफ़ करना तो सुरज को रोशनी दिखाने के बराबर हे,आप सच मे बहुत सुन्दर लिखती हे.
अच्छी रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंजिनता मजा काव्य पढ़ने में आया उतना ही टिप्पणी
जवाब देंहटाएंtab sayad "aaya" ko aaya ya servant nahi kaha jayega......unke liye koi naya shabd dhundh liya jayega...........sayad House Helping Executive ya kutchh aise hi shabd.........:P
जवाब देंहटाएंbahut khub!!
aansu mein naa dhundhna hame,
जवाब देंहटाएंhum tumhe aankhon mein mil jaayenge,
tamanna ho agar milne ki to
band aankhon se bhi nazar aaenge.
bahut achcha likhti hain aap.
...Ravi
रचना अच्छी है....रशिम जी
जवाब देंहटाएंबधाई |
bahut sahi likha hai aapne..
जवाब देंहटाएंआया के बहाने आज की नारी का दर्द समझा आपने। शायद कल आया का भी दर्द समझो।
जवाब देंहटाएंइस कविता में मैंने आज की परिस्थिति को दिखाया है,
जवाब देंहटाएंजहाँ समानता की दौड़ में लोग घरेलु कार्य से दूर हो गए हैं,बहुतों को
आता भी नहीं , तो काम करनेवाली की आवश्यकता बढ़ गई है और
पैसा इतना बढ़ गया कि आम लोग देने में असमर्थ हो गए......
तो मैंने एक हास्य प्रस्तुत किया कि अंत में इसी के लिए आवेदन पत्र दिए जायेंगे,
पसंद करने के लिए शुक्रिया.....
hi how ru mam
जवाब देंहटाएंmam plzz send me some good shayari
i am waiting plzz
अचानक गायब होने पर
जवाब देंहटाएंज़ोर की डांट भी नहीं,
कभी भी खतरे की घंटी बजा सकती है ,
पैरों तले ज़मीन हटा सकती है !
बहुत बढ़िया लिखा है...
simply great...naye jamane ke naya bichar aour us par ek garma garam kavita...keep it up..n keep going
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