21 अगस्त, 2008

मुझे लगता है.....


मुझे अक्सर लगता है,
एक तितली सोयी है-
एक लंबे सपने के साथ.....
सपने में,
वह मुझे जी रही है,
यानि मैं - तितली का एक सपना हूँ!
जहाँ उसकी नींद खुली,
सपना ख़त्म....
मैं?
क्या पता,
तितली फिर मुझे कौन सा जन्म देगी
- सपने में !!!!!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. titli kaun sa janam de sapne men aaj to jo kah diya pahale padha he nahee kabhee bas kamal hai

    Anil

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  2. wah kya soch hai.
    maine aksar suna hai ki log sapne men titali dekhte hain aur aap titali ke sapne men hain.
    padh kar aanand aaya.

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  3. सच मे यह जीवन भी तो एक सपना ही हे, पता नही कब यह सपना खत्म हो जाये,
    बहुत ही सुन्दर रचना
    धन्यवाद

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  4. रश्मि जी,,,आपने, अपनी और तितली की कल्पनाओं को बखूभी बयां किया है , सचमुच बहुत सुंदर कविता है...

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  5. सही है जीवन एक क्षणिक स्वप्न के सामान ही है और एक स्वप्न के टूटने पर दुसरे अनजाने स्वप्न के संरचना की प्रक्रिया शुरु हो जाती है |

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  6. तितलियों के सपनों का रंग आपके जैस होता है !!!अद्भुत.....

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  7. "वह मुझे जी राय है,"
    iss lines ko main samajh nahi paya!!
    overall titli ke sapno ke saath apne ko compare karna achha laga!!

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  8. ......मुझे अक्सर लगता है,
    एक तितली सोयी है-
    एक लंबे सपने के साथ.....
    सपने में,
    ....wah!!! in linon me to ek pal ke liye hi sahi...mai kho gaya. fantastic creation...

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  9. आप की कविता वास्तव में सरल शब्दों में गहन अर्थ लिए है
    ईश्वर की निकटता जीवन की सभी चपलताओं को
    त्यागने पर ही संभव है (चपल तितली का सोना)
    तब ईश्वर का सानिंध्य महसूस किया जा सकता है
    जैसे ही मन ने चपलता ग्रहण की वैसे ही
    (जैसे ही तितली की नींद खुली)
    महसूस हुआ कि ईश्वर ने अपने से दूर कर दिया
    (सपना खत्म)
    अब न जाने ईश्वर मेरी भक्ति को किस रूप में
    स्वीकार करे

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  10. मुझे अक्सर लगता है,
    एक तितली सोयी है-
    एक लंबे सपने के साथ.....
    सपने में,
    वह मुझे जी रही है,
    bahut sundar.

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  11. titli ke narm pankho sa najuk likha hai
    acha laga padke

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