25 अगस्त, 2008

आह ! - कृष्ण


जन्म लेते -
काली रात,मूसलाधार बारिश...
एक टोकरी में
बेतरतीबी से कपड़े में लिपटे
बालक कृष्ण,
पिता वसुदेव संग
यमुना को पार करके गोकुल पहुंचे....
यमुना का बढ़ता जल,
-कुछ भी हो सकता था,
पर विधि ने साथ दिया
यमुना का जल शांत हुआ!
कभी पूतना,कभी शेषनाग के हाथ पड़े,
पर होनी ने उनको अद्भुत बना दिया!
कंस का निर्धारित काल बनकर
कृष्ण ने हर मुसीबतों का सामना किया!
लक्ष्य ने -
गोकुल से मथुरा भेजा
बचपन को तज कर
सर झुकाकर
काल के निर्णय को स्वीकार किया !
....
इतनी कठिनाइयों से
भगवान् ही जूझ सकते हैं
इंसानों ने कृष्ण को भगवान् बना दिया....
शक्तिशाली हाथों मे
सुदर्शन चक्र दिया
माथे पर मोर मुकुट
हाथों में बांसुरी -
कृष्ण की पसंद को स्थापित किया....
पर किसी ने नहीं सोचा,
कृष्ण को माँ यशोदा की याद आती है !
यमुना तीरे बैठकर उनकी दृष्टि
दूर-दूर तक जाती है....
मक्खन , गाय , माँ की झिडकियां,
पूरे गोकुल में उधम मचाना
......सब याद आते हैं !
एक कंस के बाद,
कई कंस आए...
इन रास्तों को पार करते-करते
कृष्ण थक चले
परमार्थ में भगवान् तो बने
पर आलोचना के शिकार हुए !
..........
कृष्णपक्ष  की घनघोर बारिश में
जब सारी दुनिया
कृष्ण को पूजती है,
उनका जन्मोत्सव मनाती है.........
कृष्ण गोकुल लौट जाना चाहते हैं !

18 टिप्‍पणियां:

  1. Di....... kya kalpana ki hai sakshat darshan ho gaye Prabhu ke.. Naman hai aapko aur aapki lekhni ko

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  2. इस रचना में जो भाव आपने पिरोये हैं वह बहुत सुंदर है ..कृष्ण क्या सच में ऐसा सोचते होंगे ..यह द्वंद बहुत अच्छे से उभर के आया है आपकी इस रचना में ..बहुत पसंद आई है यह मुझे ..शुक्रिया

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  3. बहुत भावपूर्ण रचना है। पढ़कर आनन्द आया।
    बधाई स्वीकारें।

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  4. वाह...कृष्ण जी के जीवन को इस कविता में खूब समेटा है आपने.

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  5. आपने सही कहा कृष्ण अब थक चुके है,अब तो वो इतने थक चुके है की अब खुद अवतार लेना उनके वश मे नहीं है.......उन्हें अवतार लेने देना या नहीं लेने देना हमलोगों के हाथ मे ही है! द्वापर युग मे उन्होंने एक कंस का संहार करने के लिए अवतार लिया था,मगर इस कलयुग मे तो कंस जैसे कितने है...वैसे इस कलयुग मे तो वो हर साल अवतार लेते है,लेकिन कंस की इतनी संख्या देखकर वो भी घबरा जाते है.......शायद अब उन्हें भी डर लगने लगा है, या एक युग से दुसरे युग की यात्रा कर थक चुके है.....बहुत ही खुबसूरत रचना mam.........

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  6. रशिम जी आप की कविता मन को बहुत ही अच्छी लगी हमेशा की तरह, सुन्दर भाव,
    कृष्ण थक चले
    परमार्थ में भगवान् तो बने
    पर आलोचना के शिकार हुए !
    लेकिन आज कल तो कंसो का ही बोल वाला हे भारत मे.

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  7. अमावस्या की घनघोर बारिश में
    जब सारी दुनिया
    कृष्ण को पूजती है,
    उनका जन्मोत्सव मनाती है.........
    कृष्ण गोकुल लौट जाना चाहते हैं !

    bahut khoob bahut achha

    bahut sanwedansheel bahut pyara

    Anil

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  8. बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना .......

    कृष्ण अब थक चुके है......आपने सही कहा

    बधाई

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  9. Bahut achcha likha hai aapne. Iiswar ki vyaqtigat ichchao per dhyan kiska jata hai, sub aapni jarurate lekar pahuchte hai unke pas. Aapka dhyan gaya, achcha laga.

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  10. रश्मि जी,
    कृष्ण का प्रतीकात्मक महत्व तो है , पर उनकी गलतियों, अवगुणों और कूटनीति -प्रधान राजनीति का ईश्वरीय महिमामंडन इसलिए प्रचलित हुआ क्योंकि वो आदि से अंत तक राज घरानों और राज-काज से जुड़े रहे.
    वह ऐसी युगचेतना का दौर था जब राजा या राजवंश के लोग दैवीय शक्तियों से लैस समझे जाते थे. और मिथक का हकीकी बन जाना इतने युगों में असंभव तो नहीं...
    कठिनाई पर विजय पाकर पूज्य होना हो तो "शास्त्री जी" और " कलाम" सरीखे लोग अवश्य पूजे जाने चाहिए...

    हमारे सारे भगवान राज घरानों में ही क्यों पैदा हुए??????????????????????

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  11. di hamesha ki tarah apneaap main anupam......aapke saral shabd...kaavy bodh aur kharii kharii....shilee ekdam naya sa anubhav karwaati hai...aur aapke leek se hat kar anchhoye se ehsaason ko saahity ke thaal par sajane ka maaddaa atulniy hai.....jo apne aap main aapko aur aapke shabdon ko alag star par bithadeta hai jahaan kisi tulna ya samalochna ka koyee auchity hi nahi.....

    saarthak kavita!

    aur di aapke maadhyam se Dr. RAMJI GIRI ji se kehna chahuna...halanki main itna gyaanee nahi ki tark aur vitark ke aadhaar par aapse kisi vishay par behas karoon fir bhee itna jaroor kahoonga ki bhagwaan ki paribhasha itnee chotti nahi ki sirf raja roopee devtatv aapne shamil kiye...jahan tak ary sanskrati ka gyaan mujhe hai swayam vishnu ke bhee sabhee avtaar raj kul ke nahi rahe...aur krishn ya raam ne bhee apne jeewan kaal main kabhee raaj sukh nahi bhoga.......fir mahadev aur mahapoorush ke beech bada antar hai....aur bhagwaan ka roop to dono se shresth hai fir aapne kisi mahapoorosh ki tulna bhagwaan se ki jo swayam main kayee swaal chod deti hai.....mere mat se "bhagwaan aaraadhy hai...aadhyaatm ke...jabki mahapoorush aadarsh hain jeewaatm ke" dono ki aapas main tulna kaise sambhaw hai....fir bhee ho sakta hoon main galat hoon par maine apne mat rakhhaa hai.....koyee truti ho to shama!.....

    DI Pranaam!
    ... aapka Ehsaas!

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  12. Krishna is still fighting, if you can understand him. He said everything at the beginning of this so called Kaliyuga, in Geeta "I am in every religion as the thread through a string of pearls. Wherever thou seest extraordinary holiness and extraordinary power rising and purifying humanity, know thou that I am there"

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  13. sachmuch krishna gokul lot jana chahte hai..!!!

    nd fully agreed wid savyasachi..!!

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  14. कितने कंस आये कितने हैं और कब तक रहेंगे हर बार एक नया अवतार लेगा कृष्ण बड़ने वाले अत्याचार को रोकने के लिए वो अकेला है अकेला बना दिया गया तुम्हारे डर ने तुम्हारे भय ने तुम कहाँ हो साथ उसके होते तो तुम्ही कृष्ण कहेलाते कोई नया अवतार ना होता कृष्ण के रूप में ......

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 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...