29 अगस्त, 2008

जहेनसीब.....


शायराना - सी कोई दस्तक
रूह तक हुई है
ख्यालों की कलम
मन के कैनवास पर
एक खुशनुमा शायरी लिख गई है.............
तुमने दिए थे सफ़ेद कबूतर
उन्हीं का पैगाम तुम्हे खींच लाया है !
मेरे दिल के ख्वाबगाह में
गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
आज तुमने मुझे
शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
मेरी आंखों में नज्मों की
एक नदी भर दी है
मेरे हाथों में
कलम की पतवार दे दी है
जहेनसीब -
अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!

23 टिप्‍पणियां:

  1. itne khushee na do ki phir kuch chah na sakoon
    ansoo aa jayen ankhon men to unse nibha na sakoon

    bas ye sher ban gaya aap ke kalam ko padh ke itnee khoobsoorat likhee hai lafz kafee nahee wahwahee ke liye jab main wah kahoon meree ankhon ke chamak bhee padhnee hogee bahut khoob

    Anil

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  2. मेरी आंखों में नज्मों की
    एक नदी भर दी है
    मेरे हाथों में
    कलम की पतवार दे दी है
    जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!
    बहुत बहुत बहुत सुन्दर

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  3. wah sach kalam ki takat ho haath main to vakai koi khwaish nahi hai.

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  4. bahut sundar rashmi ji gajab ka likha hai, bhagwan aapki kalam ko or peni dhar de

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  5. मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
    आज तुमने मुझे
    शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
    मेरी आंखों में नज्मों की
    एक नदी भर दी है
    मेरे हाथों में
    कलम की पतवार दे दी है
    जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!

    बहुत खूब कहा आपने

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  6. मेरे हाथों में
    कलम की पतवार दे दी है
    जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!

    बढ़िया है रश्मिप्रभा जी... पंत परिवार से जुड़ी कलम की पतवारें.... जरूर और अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी।

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  7. आज तुमने मुझे
    शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
    मेरी आंखों में नज्मों की
    एक नदी भर दी है
    wah rashmi ji, bahut khoob.patwar haath men hai to nadi to paar ho hi jayegi.
    bahut achchha likha hai.
    saadar

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  8. मेरी आंखों में नज्मों की
    एक नदी भर दी है
    मेरे हाथों में
    कलम की पतवार दे दी है
    जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!


    सच कहूँ ............... ये नदी सबकी आँखों में नहीं बहती....
    आप खुशनसीब हैं....ईश्वर इस नदी का जल और भी ज्यादा करता रहे ।


    स-स्नेह
    गीता पंडित

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  9. बहुत अच्छा लिखती हैं आप और आप बहुत ही भाग्यशाली भी है, जो आपका नामन्करण स्वर्गीय सुमित्रानंदन पथ जी ने किया है ....

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  10. BAHUT DIL SE BNA CHITRA CANVAS PE RANG ANOKHE SE DIL KE KAGAZ PE CHADE JAISE.
    ACHA HAI EK KHUSHI KA RANG SHAMIL HO.

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  11. ek dam sahi ehsaas....khushiyon ke pura hone par......mohak kavita.....har baar ki tarah


    ...Ehsaas!

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  12. wonderful mam....मुझे बस यही कहना है की आप एक बहुत ही अच्छी कवयित्री है,और एक अच्छी कवयित्री की खवाहिश ही होती है अच्छी कविताये लिखना.....आप जब इतनी अच्छी कविता लिख ही लेती है ,इतनी अच्छी कविता सोच ही लेती है....तो अब और क्या खवाहिश रहेगी आपकी ?
    'अब कोई खवाहिश नहीं है'...आपकी ये पंक्ति भी यही कह रही है ,जो मैंने कहा ...............एक बहुत ही खूबसूरत रचना

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  13. बहुत ही खुबसूरत...आंखों में नज्मों की नदी....अब कोई ख्वाहिश नहींहै....बहुत ही सुंदर शब्दों का ताना-बना...भावों का सशक्त प्रतिबिम्ब...लिखते रहिये....

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  14. जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!

    ये तो ... क्या बात है !!

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  15. "जहेनसीब -
    अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!"

    बहुत सुन्दर!

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  16. आपकी यह अद्भुत बिम्बों वाली रचना पढ़ कर प्रेम की ये अवधारणा याद आ गयी---
    "मैं एक खडा हुआ पानी थी:एक झील,एक पोखर,एक छोटा ताल,शैवालों से ढका हुआ....तुमने आंधी की तरह आकर मुझे आलोडित कर दिया,मुझमे अनंत आकाश को प्रतिबिबित कर दिया"- अज्ञेय -नदी के द्वीप -में .

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  17. बहुत ही खुशनुमा नज़्म है ....दिल खुश हो गया !!!!!!!!!!!!!

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...