24 अप्रैल, 2009

कुछ हुआ है !




चाँद झील में उतर
नर्म दूबों पर चलने को आतुर है....
सितारे गलीचों की शक्ल ले
मचल रहे हैं....
ख़्वाबों के मेले ने
गुल खिलाये हैं
कोई गुनगुना रहा है.....................
सुना था,
अम्बर पे अनहोनी
नज़र आती है
आज देखा और
महसूस किया है...........
फूलों की बारिश में
अमृत भी छलका है,
ढोलक की थाप पर
मन ये धड़का है....
धरती का रोम-रोम
गोकुल बन बैठा है !

39 टिप्‍पणियां:

  1. waah kitni maasumiyat hai is lekh me kitne komal bhav se bhare huye hai ,,, bahot hi khubsurati se apnaa hak adaa kiya hai aapne... dhero badhayee aapko...


    arsh

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचा है!! अच्छा लगा पढ़कर!!

    जवाब देंहटाएं
  3. dil mein bahut hi komal se bhaav paida hone lage ye padhkar ...bahut pyari rachna hai aapki

    जवाब देंहटाएं
  4. "ढोलक की थाप पर
    मन ये धड़का है.....
    धरती का रोम-रोम गोकुल बन बैठा है...."
    कुछ तो जरुर हुआ है...पर क्या हुआ है दीदी...!! :)

    जवाब देंहटाएं
  5. फूलों की बारिश में
    अमृत भी छलका है,
    ढोलक की थाप पर
    मन ये धड़का है....
    धरती का रोम-रोम
    गोकुल बन बैठा है !
    waah rom rom jaise nach utha hai,sunder shab bhav se saji hai rachana,man pulkit ho gaya.lajawab

    जवाब देंहटाएं
  6. padhte padhte jaise aakho ke samne jaise sab chal raha ho ek chalchitra ke saman aur khud ko ekdam halka ful samajne lage thee..

    जवाब देंहटाएं
  7. कुछ हुआ है ...!
    कुछ तो जरुर हो ना ही था ...

    चाँद हो ,
    सितारे हो ,
    सुनहरे ख्वाब के मेले हो ,
    ढोलक की थाप पर ,
    तिक - दिनाधीन नाच हो ,

    अमृत को तो बरसना ही था ,
    गुलो को भी खिलना ही था ,
    क्यों की -
    कुछ ना कुछ तो जरुर होना ही था ...!

    खुशियों से भरपूर अभिव्यक्ति ..... Ilu

    जवाब देंहटाएं
  8. खुबसूरत भावाभिव्यक्ति, बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  9. फूलो की बारिश में
    अमृत भी छलका है
    ढोलक की थाप पर
    मन ये धड़का है ...
    धरती का रोम-रोम
    गोकुल बन बैठा है
    ....................बहुत बढ़िया जी .... दिल को छू गया ये

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह...........बहुत सुंदर..........खूबसूरत रचना।

    जवाब देंहटाएं
  11. नमस्कार,
    इसे आप हमारी टिप्पणी समझें या फिर स्वार्थ। यह एक रचनात्मक ब्लाग शब्दकार के लिए किया जा रहा प्रचार है। इस बहाने आपकी लेखन क्षमता से भी परिचित हो सके। हम आपसे आशा करते हैं कि आप इस बात को अन्यथा नहीं लेंगे कि हमने आपकी पोस्ट पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की।
    आपसे अनुरोध है कि आप एक बार रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को देखे। यदि आपको ऐसा लगे कि इस ब्लाग में अपनी रचनायें प्रकाशित कर सहयोग प्रदान करना चाहिए तो आप अवश्य ही रचनायें प्रेषित करें। आपके ऐसा करने से हमें असीम प्रसन्नता होगी तथा जो कदम अकेले उठाया है उसे आप सब लोगों का सहयोग मिलने से बल मिलेगा साथ ही हमें भी प्रोत्साहन प्राप्त होगा। रचनायें आप shabdkar@gmail.com पर भेजिएगा।
    सहयोग करने के लिए अग्रिम आभार।
    कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
    शब्दकार
    रायटोक्रेट कुमारेन्द्र

    जवाब देंहटाएं
  12. कविता अच्छी है लेकिन हर दूसरी तीसरी पंक्ति के पश्चात" है " का प्रयोग खटकता है अतः कविता कहीं तुकांत कहीं अतुकांत लगती है .भाव बहुत अच्छे हैं लेकिन शिल्पगत कमियों की ओर ध्यान देना ज़रूरी है.

    जवाब देंहटाएं
  13. वाकई रश्मि जी, जहां प्राकृतिक चित्रण हो और रचना में आनंद न आये ऐसा हो ही नहीं सकता.
    अच्छा लगा .
    - विजय जबलपुर

    जवाब देंहटाएं
  14. कोमल और सुन्दर भाव की रचना। वाह।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  15. arsh bhai ke blog se abhi abhi aapke blog par pahuncha. aapke profile main jab padha ki aap ka naam poojyaniya pant ji ne kiya thaa to mujhe yaad ho aaya ki kuchh varsh pahle bhai yash malviya ji se mulakat ke samay unhonne apni mataji ke vishay main bataya ki unko mahadevi verma ji ne apni god main khilaya hai. aapke vishaya main padhte hi main oosi duniya main pahunch gaya. aap bahut saubhagyashali hain.
    aapka blog dekha aaap achchha bhi likhti hain. badhaee.
    sanjiv gautam

    जवाब देंहटाएं
  16. धरती के रोम-रोम का गोकुल बन बैठना...उफ़्फ़्फ़ इस पंक्ति पे कुर्बान, मैम

    जवाब देंहटाएं
  17. बहोत खूब

    मेरे ब्लॉग में आप का स्वागत हे
    ब्लोग के जरिये आप जेसे दोस्तों मिले
    अपने आप को खुशकिस्मत मानता हु
    आपका email - id भेजे मेरा id
    raju_1569@yahoo.com

    लिखते रही ये गा

    राजेश - http://raju1569.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  18. जब मन प्रफुल्लित होता है
    तब ऐसी भी रचनाये उत्पन्न होती है आपकी लेखनी से
    साधु साधु
    अत्यंत ही सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  19. rashmi di .. bahut sundar rachna hai man khil uthta hai aapkee rachnao ki taazgi se "chand jheel mein utar narm doobon par chalne ko atur hai" .. ati sundar badhai

    जवाब देंहटाएं
  20. bhavbhini rachna ke liye badhayi sweekarein............bahut sundar .

    जवाब देंहटाएं
  21. चांद झील में उतर
    नर्म दूबों पर चलने को आतुर है
    सितारे गलीचों की शक्ल ले
    मचल रहे हैं
    ख़्वाबों के मेले ने गुल खिलाए हैं
    कोई गुनगुना रहा है
    सुना था,

    क्या बात है। बहुत ख़ूब। बहुत ही अच्छे ख़्याल हैं आपके। पढ़ते समय एक धारा सी बहती हैं भीतर कहीं।

    जवाब देंहटाएं
  22. WAH,,,

    धरती का रोम-रोम गोकुल बन बैठा है...

    जवाब देंहटाएं
  23. I'm speechless..... Is dhara par gopika bankar main to krishnamay ho gai hoon aapki rachna padhkar

    जवाब देंहटाएं
  24. धरती का रोम रोम गोकुल बन बैठा .....बहुत खूबसूरत लिखा है आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  25. धरती का रोम-रोम
    गोकुल बन बैठा है ....

    बहुत खूब !!
    मन की कोमल भावनाओं की मन-भावन
    अठखेलियाँ और उनका काव्यात्मक चित्रण ....
    बधाई ....
    ---मुफलिस---

    जवाब देंहटाएं
  26. Lovely...esp. the last two lines...conveys a feeling of inner delight so beautifully :-)

    जवाब देंहटाएं
  27. ' धरती का रोम रोम गोकुल बन बैठा है ' मन यदि आनंद से भरा हो तो तो समस्त जड़ चेतन नृत्यरत जान पड़ता है रश्मि जी !
    परन्तु उसके लिए आप जैसी अंतर्दृष्टि भी चाहिए ! बहुत अच्छा लिखती है आप ,गहरे डूबकर !

    जवाब देंहटाएं
  28. phoolon ki baarish mein amrit bhi chhalka hai!

    kitne sundar shbdon mein bandha hai...

    'dharati ka rom rom --gokul ban baitha hai!'

    waah!!!!

    adbhut!


    achchee lagi yah kavita.

    जवाब देंहटाएं
  29. अच्छी रचना |

    लेकिन .... या ................ क्या है | इससे क्या प्रभाव पङता है ?
    ... का अथ होता है आगे कुछ है |
    यदि विराम चिन्हों का सही उपयोग हो तो और बल मिलता है रचना को |

    अवनीश तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  30. bahut badhiya.. prakrati ka bahut achcha chitrad kiya hai aapne.

    जवाब देंहटाएं
  31. कविता की एक एक पंक्ति बेजोड़ है | इन पंक्तियों पर विशेष दाद देना चाहूंगा -
    धरती का रोम रोम गोकुल बन बैठा |

    जवाब देंहटाएं
  32. रश्मि जी,
    बहुत ही सुन्दर रचना है, आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  33. फूलों के बारिश में
    अमृत भी छलका है
    ढोलक की थाप पर
    मन ये धड़का है
    धरती का रोम रोम
    गोकुल बन बैठा है.......

    बहुत सुन्दर गीत ....प्रकृति के सIरे सौंदर्य को समेटे हुए .
    हेमंत कुमार

    जवाब देंहटाएं
  34. आपकी हर बात दिल को छु जाती है,
    आपकी हर सास ये साझ केह जाती है.
    कुछ तो बात झरुर है आप मे,
    जो आपकी हर याद मुजे दिवाना बना जाती है...


    कुछ लोग दुनीया मे एसे होते है,
    जीन्हे देखकर फीर से झिन्दगी जीने को दिल चाहता है.
    और कुछ लोग दुनीया मे एसे भी होते है,
    जीन्हे देखकर एक बार फीर से उन पर मरने को दिल चाहता है...

    जवाब देंहटाएं
  35. आपकी हर बात दिल को छु जाती है,
    आपकी हर सास ये साझ केह जाती है.
    कुछ तो बात झरुर है आप मे,
    जो आपकी हर याद मुजे दिवाना बना जाती है...


    कुछ लोग दुनीया मे एसे होते है,
    जीन्हे देखकर फीर से झिन्दगी जीने को दिल चाहता है.
    और कुछ लोग दुनीया मे एसे भी होते है,
    जीन्हे देखकर एक बार फीर से उन पर मरने को दिल चाहता है...

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...