22 दिसंबर, 2009

नज़्म और रूह !


कभी फुर्सत हो तो आना
करनी हैं कुछ बातें
जानना है
कैसी होती है नज्मों की रातें.....
कैसे कोई नज़्म
रूह बन जाती है
और पूरे दिन,रात की सलवटों में
कैद हो जाती है !
पूरा दिन ना सही
एक पल ही काफी है
प्यार को पढ़ने के लिए
नज़्म से रूह
रूह से नज़्म में बदलने के लिए !


49 टिप्‍पणियां:

  1. kabhi fursat ho to aana
    karni hai kuch bate
    kuch apno ki kuch parayo ki
    kuch nazmo ki kuch choraho ki
    bas fursat milte hi aana
    ..............................rashmi bahut hi achchi n dil ko choo jane wali paktiya hai aapki nazm mai ......... hats off

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  2. rashmi ji ..

    ek pal hii kaafii hai
    pyaar ko padhane ke liye
    najm se ruh
    ruh se najm me badalane ke liye

    1-najm
    2-fir ruh
    3-ruh se najm

    vah ...kitane achchhe se aapane bataya ki
    bhavnaaye shuddh hoti kaise hai

    fir vishuddh ..ek najm ...banati kaese hai

    bahut hi sundar aur sachchi kalpana

    kishor

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  3. कैसे कोई नज्‍म रूह बन जाती है, सच दिल को छूते भावों के साथ सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  4. एक पल ही काफी है
    प्यार को पढने के लिये
    जी हाँ एक एहसास है नज़्म और शायद रूह भी तो एहसास ही है.
    बेहतरीन

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  5. कविता के शब्द हृदय में बहुत कोमलता से असर छोड़ते हैं.

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  6. बिलकुल सच कहा है दी ! कुछ पल ही काफी हैं भावनाएं पढने के लिए.बहुत सुंदर.

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  7. कैसे कोई नज़्म रूह बन जाती है ??

    सुंदर रचना , दार्शनिक अंदाज

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  8. पूरा दिन ना सही
    एक पल ही काफी है
    प्यार को पढ़ने के लिए
    bahut hi khubsurti aapne ruh re nazm ki risate ko batayi hai ....

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  9. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  10. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

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  11. एक पल ही काफी है
    प्यार को पढने के लिए

    अद्भुत पंक्तियाँ हैं...तत्व ज्ञान की बात कह दी आपने थोड़े से शब्दों में...वाह...
    नीरज

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  12. भूली बिसरी यादों की रूह जब लार्वटें बदलती है तो सिलवटें अपने आप कहानी कह देती हैं ......
    बहुत ही नर्म मासूम सी रचना है ......... लाजवाब .........

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  13. बहुत सुंदर भाव लिये है अप की यह रचना. धन्यवाद

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  14. pyar ko ek pal main padhana aur nazma ko ruh main badlna ..ab kya kahu ? sabkuch to kah diya aapne...So...ILu...!

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  15. अच्छे भाव लिए सुन्दर abhivykati शुक्रिया

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  16. नज़्म से रूह और रूह से नज़्म ऐसे ही बनती है ....
    एक ही पल में ...पूरे दिन की फुर्सत की आवश्यकता ही कहाँ ...!!

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  17. कवयित्री का सत्य से साक्षात्कार दिलचस्प है जिसका जरिया रूह और नज़्म के रूप में हाजिर है। बहुत अच्छी रचना।

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  18. ek hi pal kafi hai
    pyar ko padhne ke liye

    behad khoobsoorat bhav...........kab rooh nazm ban jati hai aur kab nazm rooh........pata hi nhi chalta jab pya ka ek kshan koi jee leta hai.

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  19. एक ही पल काफी है प्यार को पढने के लिए ,नज्म को रूह ,और रूह को
    नज्म में बदलने के लिए ! बहुत सुंदर शब्द माला में सुमेरु की तरह
    सार्थक बात कही गई है ! बधाई !

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  20. पूरा दिन न सही
    एक पल ही काफी है
    प्यार को पढने के लिए
    नज़्म से रूह
    रूह से नज़्म में बदलने के लिए

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ कही हैं
    वाक़ई नज़्म किसी रूह का उनवान हो चली है
    अभिवादन .

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  21. Di bahut khubsurat rachna likhi hai aapne.......har rachna ki tarah yah bhee tippaniyon se upar hai...

    Ehsaas!

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  22. sach! ham to fursat se hi aaye hai aapke blog par......1 min bhi nahi laga is nazm ko badne mein...sirf 4 sec mein bola " Wooooow " :-)

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  23. बहुत सही कहा आपने:-

    एक पल ही काफी है प्यार तो पढने के लिए...

    बहुत सुंदर है आपकी नज्म.

    नीलिमा

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  24. वाह....!
    रचना में बहुत ही सरलता से कह दी इतनी गूढ़ बात!

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  25. वाह!
    गागर में सागर भरना शायद इसी को कहते हैं!
    सच है,
    कितना मुश्किल है एक प्यारा सा गीत लिखना
    और कितना आसान है उसे हंसते हुए गुनगुना देना।
    --सुंदर कविता के लिए बधाई स्वीकार करें।

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  26. खुबसूरत नज्म, सच है एक पल ही काफी है, प्यार को पढने के लिए |

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  27. एक पल ही काफी है
    प्यार को पढने के लिये...
    wah bahut khub rachna bahut hridaysparsi hai...
    Par aajke Yuwa varsho sathrahkar bhi apne pyar ko nahi pad pate. :)

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  28. रश्मि दी!
    प्रेम की सुन्दर परिभाषा....एक आध्यात्मिक अभिव्यक्ति...
    एक पल ही काफी है, उसे जानने के लिए, और रूह से नज़्म में बदल जाने के लिए.....

    प्रणाम के साथ शुभकामनायें.....

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  29. "नज़्म से रूह
    रूह से नज़्म में बदलने के लिए !"
    आपकी नज़्म सीधे रूह तक ही पहुंची और दिल से निकला " वाह ! क्या बात है :-) बहुत ख़ूबसूरत "

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  30. मम्मी जी..... बहुत सुंदर कविता.... आपने निशब्द कर दिया है....

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  31. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!!


    वाह!!

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  32. कितनी अजीब बात है ना मैम, छंद-शास्त्र में "नज़्म" का "रूह" का वजन एक ही है।

    सचमुच नज़म से रूह और उल्टा...बस एक पल ही तो काफी है। बहुत खूबसूरत पंक्तियां।

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  33. apke komal bhav hi apki kavitao ki rooh hote hai jo sabd ke roop me nikhar jate hai .bahut khoobsurat

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  34. adiarniya rashmi ji bahut dino baad aapke blog par aaya aur itni saari dil ko choo lene wali rachnaon ko padha ki man praphulit ho gaya... nazm aur ruh ka jo rishta aapne banaya hai koi bhi pyar karne wala usse samajh sakta hai lekin bayan kewal aap kar sakti hain... wakai... pehla pyar yaad aa gaya jab unke eak jhalak se hafton gujar lete the....

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  35. एक ही रचना काफी होती है ,कवि को एक पहचान देने के लिए ,आपकी तोसभी रचनाएँ मुग्ध करती हैं ।

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  36. दीदी को सोचते ही डॉ. बशीर बद्र का एक शे'र कुछ यूं याद आता है-

    गले में उनके ख़ुदा की अजीब बरकत है,
    वो बोलती हैं तो इक रौशनी-सी होती है.

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  37. एक पल ही काफी है प्यार को पढने के लिये बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

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  38. कैसे कोई नज़्म
    रूह बन जाती है

    नज्मों को मिली यही बेचैनी उनमे रूह भर देती है..जिनमे जज्बात का एक प्यासा समन्दर सांस लेता है..और समन्दर की गहराई नापने के लिये तो उसमे गहरे उतरने का जोखिम लेना पड़ता है..ऐसी ही नज्मों को सतह से देख कर उसकी गहराई का अंदाजा नही लगता है..

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  39. bahut khoob..........
    Aaj Kaifi Sahab Yaad aa gaye...... "Rooh bechain hai ik Dil ki aziyat(peeda) kya hai"

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  40. rashmi ji,
    ''bas ek pal kafi hai pyar ko padhne keliye''sab to aapne kah diya kya kahun main, behad umda nazm, badhai sweekaren.

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  41. Ha wahi ek pal hi hai jo Aana jaruri hai
    us pal ka intajar na jane sadiyose hai

    BAHOT HI KHUBSURAT

    Aap mera MERE SAPNE Jarur padhna

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  42. Rashmi ji,
    Aapki panktiyan behadd achhi lagi... Aur tasveeren bhi...Aap ka parichey jaan kar khushi huyee.
    Priya

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  43. Didi, jz mindblowing..hatss off to you!!! kitni gehri baat kitni sehajta se keh di. kalam ki takat hai bas!!

    --Gaurav

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