जब दिशाएं खामोश होती हैं
दूर दूर तक
कोई नज़र नहीं आता
तो इच्छा शक्ति
सरगम के बोल तैयार करती है
और हर दिशा से
खुद गाती है ...
कल्पनाशील इन्सान
कितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
कल्पनाशीलता ही मानव को अन्य जीव से अलग करती है . इक्षाशक्ति शायद इच्छा शक्ति होना चाहिए .आभार
जवाब देंहटाएं'कल्पनाशील इंसान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता '
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सत्य वचन ....सुदर रचना
बहुत सुंदर भाव -
जवाब देंहटाएंजन्म जन्मान्तर से जो हमारी आत्मा आत्मसात करती चली आ रही है वो सगुन संस्कारों के रूप से हमारे साए की तरह हमारे साथ साथ चलता है और उसी के रहते हम स्वयं अपना मार्ग चयन करते हैं -
अच्छा या बुरा करना तो अपने हाथ में ही है .
सुंदर रचना .
सत्य वचन ....सुदर रचना
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
एकदम सच !
अद्भूत !
दूर दूर तक
जवाब देंहटाएंकोई नज़र नहीं आता
तो इच्छा शक्ति
सरगम के बोल तैयार करती है
एक सच है यह भी ...हर परिस्थिति में इच्छाशक्ति ही हमारा मार्ग प्रशस्त करती है ...।
कल्पनाशीलता ही शायद हमें इंसान बने रहने के लिए उकसाती रहती है।
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील होना कितना सुखद है ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं** प्रत्येक व्यक्ति में अनेक कल्पनाएं छुपी होती है,जिन्हें जागृत करके ही व्यक्ति का जीवन सफल और सार्थक बन सकता है!!
जवाब देंहटाएंबहुत सच्ची बात कही आप ने रश्मि जी
जवाब देंहटाएंमुझे अपना एक शेर याद आ गया कि
तख्य्युलात की परवाज़ कौन रोक सका
परिन्द जब ये उड़ा फिर कहीं रुका ही नहीं
स्तब्धता अद्भुत विचारों को जन्म देती है।
जवाब देंहटाएंउसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
जवाब देंहटाएंअद्भुत बनना आसन है ..लेकिन कल्पना का प्रयोग सार्थक दिशा में किया जाना चाहिए ...आपका आभार
KUCHH AISEE HI KALPNA KI SHAKTI AAPKE KAVITA KO ANMOL BHI BANATI HAI DI..:)
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा है…………कल्पनाये इंसान को कभी अकेला महसूस होने नही देतीं।
जवाब देंहटाएंsuch me kalpana shakti hame kabhi bhi akele nhi hone deti hai...
जवाब देंहटाएंमनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।
जवाब देंहटाएंkalpnashakti , aatm-shakti hai aur param-shakti yani parmatma ki shakti ka hi swaroop hai ,bahut achha likha hai rashmi ji
जवाब देंहटाएंकल्पनाये हलाकि शास्वत नहीं होती , मगर इंसान होने का सुबूत जरूर है... बेहतरीन शब्दांकन एवं अद्भुत भावनाएं बधाई
जवाब देंहटाएंCongrats on INDIAS CRICKET WORLD CUP VICTORY
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
कल्पना के संसार में अधिक समय तक जीना भी मुश्किल है. जब चीजें हकीकत के धरातल पर आती हैं तो सारे भ्रम तोड़ देती हैं.
सुंदर कविता.
इस नज़्म का सन्देश...इच्छाशक्ति ही इंसान की सबसे बड़ी ताक़त होती है....यही जीने के बहाने ढूंढती है... निराशाओं से उबारती है...बहुत खूब!
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
कल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
...bilkul sach kaha aapne..
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंabsolutely Right! Fantasy ki duniya hi alag hoti hai ...Akelapan bhi rachnatmakta ko janm deta hai...is se khoobsoorat baat kya ho sakti hai
जवाब देंहटाएंसन्देशप्रद रचना केलिए बधाई रश्मि जी.
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
han...han....ekdam man ki baat kah di aapne ....
कल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
बहुत दमदार बात.
umda!!! mubarakbad lijiye dil se!!
जवाब देंहटाएंHmmmm.... ILu..!
जवाब देंहटाएंkalpana..sapne..
जवाब देंहटाएंye sab hi to zindagi ko khoobsurat banate h..
bahut sunder rachna..
हाँ...ये सच है की
जवाब देंहटाएंकल्पनाओं से इंसान जानवर नहीं बनता
पर अधुरा है ये सच
क्योंकि ये भी उतना ही सच है की
कल्पनाओं से इंसान शैतान भी है बनता...
हैवान जैसा है वैसा है
वो ना शैतान बनता ना इंसान बनता
और
ना ही भगवान् बनने की फ़िक्र में है पड़ता...
कल्पनाशीलता ही शायद हमें इंसान बने रहने के लिए उकसाती रहती है... सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता...
रश्मि जी,
ऐसी रचना की कल्पना...
हम तो कायल हो गए आपकी कल्पनाशीलता के.
कल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
bilkul sahi...sundar rachna
sach kha mam...veh insan hi kya jo jivan ki raah mei haar jaye...
जवाब देंहटाएंbahut shoobsurat...aabhar
उसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं !
जवाब देंहटाएंसच कहा .....बहुत सुंदर
हाँ, सही है..
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इंसान कभी तनहा नहीं रहता,
सच है अकेलेपन में भी इंसान की कल्पनाशक्ति संगीत खोज लेती है ...
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
जवाब देंहटाएंकितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता
बिलकुल सही कहा आपने दीदी ... कल्पनशील इंसान का मन कोमल होता है ... उसे जानवर बन्ने से रोकता है
वाह वाह वाह क्या बात अखी है आज तो..गज़ब..
जवाब देंहटाएंbilkul sahi baat :)
जवाब देंहटाएंbahut sundera.........
जवाब देंहटाएंउसकी कल्पनाएँ उसे अदभुत बना देती हैं
जवाब देंहटाएंBahut khoob
क्यों मै खुद को अकेली मानूँ...मै तो खुद में
जवाब देंहटाएंपरिपूर्ण हूँ ....खुद की विचारो की आंधियो में
खुद से चरपरिचित...
Bilkul sahi kaha..bahut khub
जवाब देंहटाएंkalpana ki koi seema nahi hoti.... kisi ko acha va bura uski soch bana beti hai varna hai toh sabhi bhagwaan ke bande... adbhut rachna jo prerna deti hai kuch acha karne ki... kuch acha sochne ki....
जवाब देंहटाएंरश्मि जी बहुत सुन्दर कहा आप ने निम्न बधाई हो छोटी रचना किन्तु भाव भरी
जवाब देंहटाएंकल्पनाशील इन्सान
कितना भी अकेला क्यूँ न हो
जानवर नहीं बनता...
शुक्ल भ्रमर ५
kalpnaa saty jeevan kaa
जवाब देंहटाएंkalpnaa sahaaraa jeevan kaa
kalpnaa bimb hrdya kaa
kalpnaa bin jeevan adhooraa
nirantar bahaana jeene kaa
kalpnaayein hee naye raste dikhaatee
जवाब देंहटाएंnirantar jajbaa aur honslaa banaaye rakhtee
binaa kalpnaaon ke insaan khud mein simat jaayegaa
dheere dheere haad maas kaa putlaa bhar ho jaayegaa