मेरा दिल कर रहा है
खींच दूँ दीवारों पर
आड़ी तिरछी रेखाएं
उन रेखाओं को छूकर
कोई मेरे मन को पढ़ जाए
समंदर की लहरों तक खींच ले जाए
समंदर से कहे
'शोर को जब्त कैसे करते हैं सीख लो'
समंदर की लहरें कहें -
' इसे मेरी तरह चीखना सीखा दो
वरना धीरे धीरे सारी मिठास ख़त्म हो जाएगी
और खारापन रगों में बहने लगेगा ....
............
मैं चाहती हूँ ... वह कोई
समंदर को मीठा कर जाए !!!
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंगहन भाव ... मन के समंदर से मिठास नहीं जानी चाहिए
जवाब देंहटाएंइसे मेरी तरह चीखना सीखा दो
जवाब देंहटाएंवरना धीरे धीरे सारी मिठास ख़त्म हो जाएगी !
Aabhar....
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंनिशब्द... :) just want to say hats of to you mam.....
जवाब देंहटाएंखारापन कम करने क लिए अन्दर का गुबार निकलते रहना चाहिए...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह .. बेहतरीन काव्य बेहतरीन आकांछा .काश आपकी अभिलाषा पूरी हो
जवाब देंहटाएंसमंदर की लहरें कहें -
जवाब देंहटाएं' इसे मेरी तरह चीखना सीखा दो
वरना धीरे धीरे सारी मिठास ख़त्म हो जाएगी
और खारापन रगों में बहने लगेगा ....
मैं चाहती हूँ ... वह कोई
समंदर को मीठा कर जाए !!!
मन के भावों को दबाकर रखने से तो खारापन ही पैदा होगा इसीलिये कविता रुपी नदी मिठास लिए बहती रहे ...शुभकामनाएं
samunder to khara hi achha lagta hai rashmi , meethi to nadi hoti hai
जवाब देंहटाएंलहरों के चीखते रहने पर भी सागर का खारापन कम ना हुआ... मिठास आएगी भीतर की शांति से
जवाब देंहटाएंवाह दीदी, क्या बेहतरीन कविता है ! पर मैं रजनीश जी से सहमत हूँ ... मिठास मन की शांति से आती है ... नाकि उत्तेजना से ...
जवाब देंहटाएंदिलों में खारापन ना रहे और मिठास भर जाये.
जवाब देंहटाएंमैं चाहती हूँ ... वह कोई
समंदर को मीठा कर जाए !!!
सुंदर विचार सुंदर कविता के माध्यम से. आभार.
रश्मिप्रभा जी..आमीन !
जवाब देंहटाएंअद्भुत अहसासों भरी सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब...कितने गहरे भाव हैं आपकी इस कविता में समंदर और दिल का सामंजस्य
जवाब देंहटाएंखारा होने से तो चीखना शुरू किया समुंदर ने!
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंसमंदर से कहे
जवाब देंहटाएं'शोर को जब्त कैसे करते हैं सीख लो'...
वाह दी! अद्भुत अभिव्यक्ति है...
सादर...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| सार्थक प्रस्तुति . धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंlagta hai bahut sara kshar ikattha ho gaya hai.....agar ab pahunch hi gayi ho samunder k pas to jaldi karo isme pravahit kar do apne kshaar ko aur bacha lo rago me behne se pahle us kharepan ko.
जवाब देंहटाएंसमयानुसार ही समंदर का चीखना और लहरों की चुप्पी ठीक है!
जवाब देंहटाएंकभी कभी चिल्लाने में बुराई नहीं है , मवाद बह जाती है!
सुन्दर अभिव्यक्ति !
मैं चाहती हूँ ... वह कोई
जवाब देंहटाएंसमंदर को मीठा कर जाए !!!
वाह...भावनाओं का एक सार यह भी ...
गहन भावों की सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसमुन्दर जैसा है तभी तो समुन्दर है...हम जैसे हैं तभी तो हम हैं...बस किसी को यह पता नहीं कि वह कैसा है...
जवाब देंहटाएंwaah... bahut sundar...
जवाब देंहटाएंsamandar ke andar mithaas aur ussey cheekhne ki kala seekhna... bahut khoob...
वाह के साथ एक आह भी निकली मन से.काश ये खारापन कोई मिटा पाता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रश्मि जी :)
जवाब देंहटाएंमैं चाहती हूँ ... वह कोई
जवाब देंहटाएंसमंदर को मीठा कर जाए !!! bhaut hi sundar....
zindgi ka kharapan kahan kaun mita paya hai kabhi...zindgi bas yun hin guzar jaati hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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