ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
सिर्फ तेरे नाम ...
इन बूंदों की लकीरों को
तुम्हीं पढ़ सकते हो
तो सुकून है -
कोई अफसाना नहीं बनेगा .
.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ...
इतिहास गवाह है मेरी ख़ामोशी का
होगा गवाह मेरी ख़ामोशी का
पर ....
अब तुम नहीं कह सकोगे
कि
तुम्हारी ख़ामोशी के आगे मैं क्या कहता !!!
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
रख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
वाह दी...
जवाब देंहटाएंसचमुच, पांखुरी पर ठहरी हुई सुन्दर, कोमल, चमकती ओस सी रचना.... बहुत सुन्दर...
सादर....
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
आपके ओस से लिखे ख्याल
सुंदरता से बता रहें है हाल
सुन्दर प्रस्तुति से मन मग्न हो रहा है.
हार्दिक आभार जी.
खूबसूरत कविता एक बार फिर...
जवाब देंहटाएंइतिहास गवाह है मेरी ख़ामोशी का
जवाब देंहटाएंहोगा गवाह मेरी ख़ामोशी का
पर ....
अब तुम नहीं कह सकोगे
कि
तुम्हारी ख़ामोशी के आगे मैं क्या कहता !!!
बहुत अच्छी लगी यह पंक्तियाँ।
सादर
ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
जवाब देंहटाएंपत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
सिर्फ तेरे नाम ...
इन बूंदों की लकीरों को
तुम्हीं पढ़ सकते हो
तो सुकून है -
कोई अफसाना नहीं बनेगा .
bahu hi sunder khyaal....waah !
क्षणभंगुर ख़यालों में स्थायी रहने वाले भाव जैसी कविता...
जवाब देंहटाएंक्षणभंगुर ख़यालों में स्थायी रहने वाले भाव जैसी कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंइन बूंदों की लकीरों को
जवाब देंहटाएंतुम्हीं पढ़ सकते हो
तो सुकून है -
कोई अफसाना नहीं बनेगा .
.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ...
कहीं गहरे उतरते शब्द ...और ये ओस से ख्याल नि:शब्द ही करते हैं ..।
प्यार में अफसानों का भय नहीं
जवाब देंहटाएंपर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ...
ओस पर लिखे ख़याल बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुंदर ओस से ख्याल ....
जवाब देंहटाएंओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
जवाब देंहटाएंपत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल....बहुत सुन्दर भाव...
यह छोटी सी बूँद जब वाष्पित हो उड़ेगी, जीवन की महक बरसायेगी।
जवाब देंहटाएंपत्तों पर ओस से ख्याल... सुन्दर दृश्य और किसी संवेदनशील हृदय तक ये ओस से ख्याल प्रेषित हो जाएँ तो क्या बात हो!
जवाब देंहटाएंसुबह सुबह ओस की बूंद सी यह कविता बड़ी प्यारी लगी!
बधाई!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भावनाएं ,खूबसूरत ख्याल !
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
bahut khoob....
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
itni kalatmak soch......man khush ho gaya.
बेहद नाजुक अहसास को पिरोया है आपने इस कविता में...
जवाब देंहटाएंक्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
....अद्भुत सोच....बहुत खूब !
सचमुच,बहुत सुन्दर, कोमल ओस जैसी ठंडक प्रदान करती रचना.... कितने सुन्दर ख्याल हैं मैं तो सोचती ही रह जाती हूँ इन्हें...
जवाब देंहटाएंसादर....
यह तो ख्यालों की ओस है।
जवाब देंहटाएंइतना कोमल ख्याल.....ओस सा ख्याल...वाह !!बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंकुछ न कह कर भी सब कुछ कह दिया..
जवाब देंहटाएंBehtareen...
जवाब देंहटाएंWah, kya khayal hai
ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
सिर्फ तेरे नाम ...
कोमल अहसास लिए , सुन्दर सी प्यारी सी रचना के लिए आभार और बधाई ।
जवाब देंहटाएंमेरा खयाल है अंतिम पंक्तियों को और अच्छे ढंग से लिखने की आवश्यकता है। 'पत्तों पर'... का दुहराव जम नहीं रहा।
जवाब देंहटाएंक्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
.. रस्मी जी आप बहत अच्छा लिखती है
मैं आपसे बहुत प्रभावित हूँ ...मुझे खुशी है
कि आपसे जुडी
्सच अब कोई क्या कहेगा…………बस ओस को ही ना पी लेगा……………सुन्दर भाव समन्वय्।
जवाब देंहटाएंos kee boond
जवाब देंहटाएंjab tak
pighaltee nahee
chamaktee rahtee
nirantar
jeene kaa tareekaa
sikhaatee
बहुत सुन्दर सृजन!
जवाब देंहटाएंoss ki bundon se likhe khubsusrat khayaal ....
जवाब देंहटाएंओस से लिक्खे ख्याल..हलकी तपिश में गुम हो जाते हैं...
जवाब देंहटाएंपत्तों पर रख दिए ओस से छोटे छोटे खयाल ...
जवाब देंहटाएंनाजुक एहसासों को थामने के लिए नाजुकी ही चाहिए !
os ki boondon se likhna , waah
जवाब देंहटाएंहल्की तपिश से गुम ? ओस की नमी पत्तों में समा जाती है , ख्याल जज्ब हो जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंइन बूंदों की लकीरों को
जवाब देंहटाएंतुम्हीं पढ़ सकते हो
तो सुकून है -
कोई अफसाना नहीं बनेगा .
.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ..."
पत्तों को चीर दे ......यह गवारा नही ,कितनी श्रद्धा, कितना प्रेम,कितना ख्याल ,उस ख्याल का .....अहसास से भरपूर ये रचना,......भाव है,सोच है ,सच यही है .....
"प्रेम समंदर हो जाये तो हो जाता है निडर ,
ओस मोती बन चमकती तपिश से बेखबर "
ओस को शब्द देती ओस सी रचना ।
जवाब देंहटाएंअपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
kahne ko hi jannat hai
जवाब देंहटाएंjahannum hai, jami hai..
haqiqtan aadmi,
aadmi hai
बड़बड़ाना छोड़ दो
sundar bhavnao se saji khubsurat rachana......
जवाब देंहटाएंati sundar....
बहुत अच्छा लिखा आपने !
जवाब देंहटाएंइसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
अब आपके ब्लॉग को फोलो कर रह हूँ तो आपकी रचनाओं को पड़ने लके लिए ब्लॉग पर आना होता रहगा
मेरे ब्लॉग पर आये
manojbijnori12.blogspot.com
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ..."
कोमल अहसास लिए रचना
क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
जवाब देंहटाएंरख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !
.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ..."
कोमल अहसास लिए रचना
ओस की पूंदों से लिखे नाज़ुक से ख्याल ... बहुत ही लाजवाब कल्पना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत और भावपूर्ण अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंओस की बूंदों सी ही बेहद नाज़ुक संवेदनायें और उनकी अभिव्यक्ति ! बहुत ही सुन्दर, शीतल, कोमल रचना ! वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंवाह, सच में ऐसी रचनाएं आपकी ही कलम से निकल सकती हैं। बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
bahut sundar...
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