16 नवंबर, 2011

ओस से ख्याल



ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
सिर्फ तेरे नाम ...
इन बूंदों की लकीरों को
तुम्हीं पढ़ सकते हो
तो सुकून है -
कोई अफसाना नहीं बनेगा .

.... प्यार में अफसानों का भय नहीं
पर कोई उन पत्तों को चीर दे
यह गवारा नहीं ...

इतिहास गवाह है मेरी ख़ामोशी का
होगा गवाह मेरी ख़ामोशी का
पर ....
अब तुम नहीं कह सकोगे
कि
तुम्हारी ख़ामोशी के आगे मैं क्या कहता !!!

क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
रख दिया है पत्तों पर
छोटे छोटे ओस से ख्याल !

48 टिप्‍पणियां:

  1. वाह दी...
    सचमुच, पांखुरी पर ठहरी हुई सुन्दर, कोमल, चमकती ओस सी रचना.... बहुत सुन्दर...
    सादर....

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  2. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !

    आपके ओस से लिखे ख्याल
    सुंदरता से बता रहें है हाल

    सुन्दर प्रस्तुति से मन मग्न हो रहा है.
    हार्दिक आभार जी.

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  3. इतिहास गवाह है मेरी ख़ामोशी का
    होगा गवाह मेरी ख़ामोशी का
    पर ....
    अब तुम नहीं कह सकोगे
    कि
    तुम्हारी ख़ामोशी के आगे मैं क्या कहता !!!

    बहुत अच्छी लगी यह पंक्तियाँ।

    सादर

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  4. ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
    पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
    सिर्फ तेरे नाम ...
    इन बूंदों की लकीरों को
    तुम्हीं पढ़ सकते हो
    तो सुकून है -
    कोई अफसाना नहीं बनेगा .
    bahu hi sunder khyaal....waah !

    जवाब देंहटाएं
  5. क्षणभंगुर ख़यालों में स्थायी रहने वाले भाव जैसी कविता...

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  6. क्षणभंगुर ख़यालों में स्थायी रहने वाले भाव जैसी कविता...

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  7. बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति!!!

    जवाब देंहटाएं
  8. इन बूंदों की लकीरों को
    तुम्हीं पढ़ सकते हो
    तो सुकून है -
    कोई अफसाना नहीं बनेगा .

    .... प्यार में अफसानों का भय नहीं
    पर कोई उन पत्तों को चीर दे
    यह गवारा नहीं ...
    कहीं गहरे उतरते शब्‍द ...और ये ओस से ख्‍याल नि:शब्‍द ही करते हैं ..।

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  9. प्यार में अफसानों का भय नहीं
    पर कोई उन पत्तों को चीर दे
    यह गवारा नहीं ...

    ओस पर लिखे ख़याल बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  10. बहुत सुंदर ओस से ख्याल ....

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  11. ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
    पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल....बहुत सुन्दर भाव...

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  12. यह छोटी सी बूँद जब वाष्पित हो उड़ेगी, जीवन की महक बरसायेगी।

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  13. पत्तों पर ओस से ख्याल... सुन्दर दृश्य और किसी संवेदनशील हृदय तक ये ओस से ख्याल प्रेषित हो जाएँ तो क्या बात हो!
    सुबह सुबह ओस की बूंद सी यह कविता बड़ी प्यारी लगी!

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  14. बधाई!
    खूबसूरत भावनाएं ,खूबसूरत ख्याल !

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  15. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !
    bahut khoob....

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  16. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !
    itni kalatmak soch......man khush ho gaya.

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  17. बेहद नाजुक अहसास को पिरोया है आपने इस कविता में...

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  18. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !

    ....अद्भुत सोच....बहुत खूब !

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  19. सचमुच,बहुत सुन्दर, कोमल ओस जैसी ठंडक प्रदान करती रचना.... कितने सुन्दर ख्याल हैं मैं तो सोचती ही रह जाती हूँ इन्हें...
    सादर....

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  20. इतना कोमल ख्याल.....ओस सा ख्याल...वाह !!बहुत सुन्दर !!

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  21. कुछ न कह कर भी सब कुछ कह दिया..

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  22. Behtareen...

    Wah, kya khayal hai
    ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
    पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल
    सिर्फ तेरे नाम ...

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  23. कोमल अहसास लिए , सुन्दर सी प्यारी सी रचना के लिए आभार और बधाई ।

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  24. मेरा खयाल है अंतिम पंक्तियों को और अच्छे ढंग से लिखने की आवश्यकता है। 'पत्तों पर'... का दुहराव जम नहीं रहा।

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  25. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !

    .. रस्मी जी आप बहत अच्छा लिखती है
    मैं आपसे बहुत प्रभावित हूँ ...मुझे खुशी है
    कि आपसे जुडी

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  26. ्सच अब कोई क्या कहेगा…………बस ओस को ही ना पी लेगा……………सुन्दर भाव समन्वय्।

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  27. os kee boond
    jab tak
    pighaltee nahee
    chamaktee rahtee
    nirantar
    jeene kaa tareekaa
    sikhaatee

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  28. ओस से लिक्खे ख्याल..हलकी तपिश में गुम हो जाते हैं...

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  29. पत्तों पर रख दिए ओस से छोटे छोटे खयाल ...
    नाजुक एहसासों को थामने के लिए नाजुकी ही चाहिए !

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  30. हल्की तपिश से गुम ? ओस की नमी पत्तों में समा जाती है , ख्याल जज्ब हो जाते हैं ...

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  31. इन बूंदों की लकीरों को
    तुम्हीं पढ़ सकते हो
    तो सुकून है -
    कोई अफसाना नहीं बनेगा .

    .... प्यार में अफसानों का भय नहीं
    पर कोई उन पत्तों को चीर दे
    यह गवारा नहीं ..."

    पत्तों को चीर दे ......यह गवारा नही ,कितनी श्रद्धा, कितना प्रेम,कितना ख्याल ,उस ख्याल का .....अहसास से भरपूर ये रचना,......भाव है,सोच है ,सच यही है .....
    "प्रेम समंदर हो जाये तो हो जाता है निडर ,
    ओस मोती बन चमकती तपिश से बेखबर "

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  32. ओस को शब्द देती ओस सी रचना ।


    अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।

    औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता

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  33. बहुत अच्छा लिखा आपने !
    इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
    अब आपके ब्लॉग को फोलो कर रह हूँ तो आपकी रचनाओं को पड़ने लके लिए ब्लॉग पर आना होता रहगा
    मेरे ब्लॉग पर आये
    manojbijnori12.blogspot.com

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  34. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !

    .... प्यार में अफसानों का भय नहीं
    पर कोई उन पत्तों को चीर दे
    यह गवारा नहीं ..."

    कोमल अहसास लिए रचना

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  35. क्योंकि मैंने लिख दिया है पत्तों पर
    रख दिया है पत्तों पर
    छोटे छोटे ओस से ख्याल !

    .... प्यार में अफसानों का भय नहीं
    पर कोई उन पत्तों को चीर दे
    यह गवारा नहीं ..."

    कोमल अहसास लिए रचना

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  36. ओस की पूंदों से लिखे नाज़ुक से ख्याल ... बहुत ही लाजवाब कल्पना है ...

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  37. बहुत ही खुबसूरत और भावपूर्ण अभिवयक्ति.....

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  38. ओस की बूंदों सी ही बेहद नाज़ुक संवेदनायें और उनकी अभिव्यक्ति ! बहुत ही सुन्दर, शीतल, कोमल रचना ! वाह !

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  39. वाह, सच में ऐसी रचनाएं आपकी ही कलम से निकल सकती हैं। बहुत बढिया

    ओस की बूंदों को ऊँगली पे उठा
    पत्तों पर लिखे हैं मैंने ख्याल

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