17 जुलाई, 2008

आओ तुम्हे चाँद पे ले जाएँ...........


रात रोज आती है,

हर रात नए सपनों की होती है,

या - किसी सपने की अगली कड़ी.....

मैं तो सपने बनाती हूँ

लेती हूँ एक नदी,एक नाव, और एक चांदनी........

...नाव चलाती हूँ गीतों की लय पर,

गीत की धुन पर सितारे चमकते हैं,

परियां मेरी नाव में रात गुजारती हैं...

पेडों की शाखों पर बने घोंसलों से

नन्ही चिडिया देखती है,

कोई व्यवधान नहीं होता,

जब रात का जादू चलता है.....

ब्रह्म-मुहूर्त में जब सूरज

रश्मि रथ पर आता है-

मैं ये सारे सपने अपने

जादुई पोटली में रखती हूँ...

परियां आकर मेरे अन्दर
छुपके बैठ जाती हैं कहीं

उनके पंखों की उर्जा लेकर

मैं सारे दिन उड़ती हूँ,

जब भी कोई ठिठकता है,

मैं मासूम बन जाती हूँ.......

अपनी इस सपनों की दुनिया में मैं अक्सर

नन्हे बच्चों को बुलाती हूँ,

उनकी चमकती आंखों में

जीवन के मतलब पाती हूँ!

गर है आंखों में वो बचपन

तो आओ तुम्हे चाँद पे ले जायें

एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी -

तुम्हारे नाम कर जायें..........................

27 टिप्‍पणियां:

  1. wah..
    ise padhkar wo gazal yaad aa gayi--

    wo kaagaz ki kashti wo barish ka pani..!!
    achhi kavita hai..

    जवाब देंहटाएं
  2. bahut achha likha hai maasi..
    परियां आकर मेरे अन्दर
    छुपके बैठ जाती हैं कहीं
    उनके पंखों की उर्जा लेकर
    मैं सारे दिन उड़ती हूँ,
    nice thinking...

    जवाब देंहटाएं
  3. परियां आकर मेरे अन्दर
    छुपके बैठ जाती हैं कहीं

    उनके पंखों की उर्जा लेकर

    मैं सारे दिन उड़ती हूँ,

    bahut bahut achha likha hai is baar bhee

    Anil

    जवाब देंहटाएं
  4. तो आओ तुम्हे चाँद पे ले जायें

    एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी -

    तुम्हारे नाम कर जायें......................

    सुंदर लिखा है आपने

    जवाब देंहटाएं
  5. Lovely Poem, Please Visit this link I have written one poem on Bachpan

    http://www.allindians.com/blogs/general/320/koi-lauta-do-mera-bachpan

    जवाब देंहटाएं
  6. ->कितनी सुन्दर कितनी प्यारी और कितनी मधुर अभिलाषा है
    इस चाँद पर जाने कि मेरी भी आशा है
    इन सपनो के साथ चलूं आपकी ऊँगली थाम चलूं
    चांदनी कि इस नदी में अपनी नय्या मैं भी पार करूं आपका शैतानु बच्चा [:)]

    जवाब देंहटाएं
  7. गर है आंखों में वो बचपन


    तो आओ तुम्हे चाँद पे ले जायें


    एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी -


    तुम्हारे नाम कर जायें..........................

    bahut khoobsurat....

    जवाब देंहटाएं
  8. bhut sundar raat. ati uttam. achha likh rhi hai. jari rhe.

    जवाब देंहटाएं
  9. अहा...! अति सुंदर रचना है आपकी...आपकी भावनाए अत्यंत उन्नत है...प्रसंशा में शब्द नहीं मिल रहे.... बस इतना... "नहीं मोहताज जेवर का,जिसे खूबी खुदा ने दी... कैसा खुशनुमां लगता है,देखो चाँद बिन गहने..." समर्पित रहिये.. आपकी रचनाये हमेशा पढ़ने का प्रयास करूंगा... धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  10. Di bahut khubsurat kavita.........sapne ko sach kar de wo pari si lagee aap......yahan to main khud ko bhul gaya...na jaane kitni khwahish thee...bas ek main samet li saareen......fir bhee wo ek hi poori na huyee...di aap mera chhand bhee mujhe dila den.....ki wo rutha hai....mujhe le chanle......

    bahut komal ehsaas...

    ...Aapka Ehsaas!

    जवाब देंहटाएं
  11. मुझे कविता सुनकर तुमने ख़ुशी से भर दिया,
    उर्जावान होकर तुंरत मैंने इसे अपनी डायरी में उतार लिया.एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी'अगर कुछ देख सको तो मेरे भी नाम कर दो.
    तुम्हारे अन्दर छुपी परियां मुझे कभी-कभी दिख जाती हैं-वह क्षण होता है
    जब तुम पसीने में भीगी-भीगी उन्मुक्त होकर हंसती हो-मुझे लगता है,मैं हाथ
    बढाकर परियों के पंख छू लेती हूँ!
    ख़ुशी की लहर रोम-रोम से होकर गुजर जाए ऐसा अवसर कम होता है ,
    पर होता है और मैं महसूस करती हूँ. इतनी अच्छी कविता और सोच के लिए प्यार,ढेर सारा प्यार.
    अनेक लोगों ने प्रशस्ति में अपनी राय भेजी है,जिसे सुनते हुए मुझे लगा है सच में तुम पन्त की रश्मि हो . काबुलीवाले की मिन्नी- हमारी मिन्नी....

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहद कोमल, पवित्र भावोँ से सजी कविता पसँद आयी रश्मि जी
    लिखती रहिये ...

    जवाब देंहटाएं
  13. तो आओ तुम्हे चाँद पे ले जायें
    एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी -
    तुम्हारे नाम कर जायें

    कितनी सुमधुरता और शकुन है ?
    शुभकामनाए !

    जवाब देंहटाएं
  14. आपकी जादुई पोटली पर मेरी नज़र है, रश्मि जी...बचाकर रखिए..

    जवाब देंहटाएं
  15. sapna batne wali iss jadugarni ko shreddhye pranam........!! kaash kutchh sapney hamare bhi sach ho jayen!!

    tumhara bhai
    mukesh

    जवाब देंहटाएं
  16. अपनी इस सपनों की दुनिया में मैं अक्सर
    नन्हे बच्चों को बुलाती हूँ,
    उनकी चमकती आंखों में
    जीवन के मतलब पाती हूँ!

    Such pure thoughts! Only possible from heart of a women. Best wishes for more such work. KEEP IT UP and thanks for encouraging me with your comments. It really inspired me a lot.

    जवाब देंहटाएं
  17. Nice !!

    But Achha hota agar aap isme thora rhythm bhi milaa deti..

    Taaki ye ek kavita si lagti...to isme aur bhi nikhaar aa jata...

    Ummeed hai aap samaj gayee, jo main kehna chahta hu...

    जवाब देंहटाएं
  18. behad khoobsoorat ehsaas .........di aapne to chaand ki seir hi kara di...shabd nahi hai di mei kuch nahi kah paaungi...kini pyari hai ye lines..
    परियां आकर मेरे अन्दर
    छुपके बैठ जाती हैं कहीं
    उनके पंखों की उर्जा लेकर
    मैं सारे दिन उड़ती हूँ,

    जवाब देंहटाएं
  19. एक नदी,एक नाव,एक चाँदनी -
    तुम्हारे नाम कर जायें..........................
    अदभुत,अपनी सी लगती कविता, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  20. itne ahsaas..chandani ki baatein....
    mein aur chandani ka sath bhi to puarna hai...phir aap ka is chandki ke sath hona kahin na kahin jod gya....bhaut hi komal se ahsas bhari rachna likhi hai apne...

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...