हम किसे आवाज़ देते हैं?
और क्यूँ?
क्या हम में वो दम नहीं,
जो हवाओं के रुख बदल डाले,
सरफरोशी के जज्बातों को नए आयाम दे जाए,
जो -अन्याय की बढती आंधी को मिटा सके...........
अपने हौसले, अपने जज्बे को बाहर लाओ,
भगत सिंह,सुखदेव कहीं और नहीं
तुम सब के दिलों में हैं,
उन्हें बाहर लाओ...........
बम विस्फोट कोई गुफ्तगू नहीं,
दुश्मनों की सोची-समझी चाल है,
उसे निरस्त करो,
ख़ुद का आह्वान करो,
ख़ुद को पहचानो,
भारत की रक्षा करो !...........
और क्यूँ?
क्या हम में वो दम नहीं,
जो हवाओं के रुख बदल डाले,
सरफरोशी के जज्बातों को नए आयाम दे जाए,
जो -अन्याय की बढती आंधी को मिटा सके...........
अपने हौसले, अपने जज्बे को बाहर लाओ,
भगत सिंह,सुखदेव कहीं और नहीं
तुम सब के दिलों में हैं,
उन्हें बाहर लाओ...........
बम विस्फोट कोई गुफ्तगू नहीं,
दुश्मनों की सोची-समझी चाल है,
उसे निरस्त करो,
ख़ुद का आह्वान करो,
ख़ुद को पहचानो,
भारत की रक्षा करो !...........
Ek immandaripurn awahan. Khubsurat.
जवाब देंहटाएंvakai bhut sundar soch ke sath kavitao ki rachana karti hai aap. alag si baat hai rachana me. ati uttam. jari rhe.
जवाब देंहटाएंBAHUT HI ACHHA LAGA PADH KAR,
जवाब देंहटाएंPAR SIRF PADH KAR COMMENT BHEJ DENE SE HI KYA HUM SABKA DAAYITV KHATAM HO JATA HAI?
YAHI SOCHTA REHTA HU KI KAB HOSH ME AAYENGE HUM SAB?
JOSH TO MUJHE DIKH JATA HAI CRICKET MATCH WALE DIN..
PAR HOSH BHI TO DIKHE..
यह आह्वान आवश्य सफल होगा! शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंकाश! यह आह्वान सफल हो।
जवाब देंहटाएंThe picture is sool. Traditional India Culture?
जवाब देंहटाएंbahut himmat detee huyee kavita bahut bahut achha laga padh ke
जवाब देंहटाएंAnil
हमारी संस्कृति के मूल में है-- सहिष्णुता ..और आज वही कमजोरी बन गयी है अति सहिष्णुता के रूप में...
जवाब देंहटाएंbhaut sahi baat kahti hui kavita...ye sab julm mitane ke liye ham sabko milke kaam karna hogaa dushman jo hamme chhipe hai unko dekhna hoga ..pahchanna hogaa aur unko apne se door karna hogaa...
जवाब देंहटाएंbahut acha laga yaisi kavita padke..
कविता माध्यम मात्र है इन पंक्तीयो से आपकी संवेदनशीलता और देशप्रेम के दर्शन होते है !!आभार
जवाब देंहटाएंek kranti apne astitva ko jagane ke liye.....
जवाब देंहटाएंbahut hi prernadayak rachna....
शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं...Ravi
gahri rachna........
जवाब देंहटाएंundar soch
जवाब देंहटाएंबम विस्फोट कोई गुफ्तगू नहीं,
जवाब देंहटाएंदुश्मनों की सोची-समझी चाल है,
बिल्कुल ठीक कहा अपने.. सशक्त रचना
padh liya didi......... badiya hai.....
जवाब देंहटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंbahut khub ek ek sahbdo ko piro diya aapnai aap ko mera parnaam
जवाब देंहटाएंDi Namashkar!
जवाब देंहटाएंek dam sahi kaha, jagna to hame hai, kisi aur ko nahi!
ye dhamako ki gunj hamare antarman ke liye hai,
manavta ki chiktakaar ke liye nahi......
masoom to apne khoon se likh gaye ek aur darindo ki namardangee ki taza ibaarat....
par unke bilakhte bhavishy ki aankhon se behte aansoon..hamari kayarta ko dhone ke liye hai,
un par taras khane ke liye nahi....!!
....aapki kalam shashkt hai di par ham log shanti ke naam par kayar ho gaye....kaash aapke ye shabdon ki goonj har jaroorat mand aankh tak pahunche....
...Apka Ehsaas!
mujhe vishwaas hai swa aahwaan hoga,
जवाब देंहटाएंyah prayaas vyarth nahi jaayega
jee ati uttam
जवाब देंहटाएं