चाँद तो तुम्हारे शहर भी जाता है,
बातें भी होती होंगी-
कभी बताया चाँद ने
कि,
मैं चकोर हो गई हूँ,
और चाँद में तुम्हे तलाशती हूँ?
....
इस तलाश में रात गुजर जाती है
फिर सारा दिन
रात के इंतज़ार में.....
घर में कहते हैं सब,
मैं 'बावली' हो गई हूँ!
कैसे समझाऊं उन्हें
चकोर बनना कितना कठिन है !
कितना कठिन है,
चाँद को तकते रात गुजारना.....
अब तो -
चकोर भी हतप्रभ है !
चाँद की जगह मुझे निहारता है !
और मेरे इंतज़ार में
चकोरी को भूल गया है.....
क्या कहूँ?
सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो गया है !!!!!!!!
Bahut khubsurat
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से लिखी गयी रचना.. बधाई
जवाब देंहटाएंvery nice. bhut achhe. jari rhe.
जवाब देंहटाएं" सब कुछ उल्टा - पुल्टा हो गया है ....
जवाब देंहटाएंअच्छी संवेदनशील रचना है , रश्मि जी
चलिए ..आज एक ग़ज़ल पोस्ट की है , देखिएगा
जमी है बर्फ बरसों से , ज़रा सी तो पिघल जाए
दुआएं कीजिये कुछ देर को सूरज निकल जाए
किसी के खौफ से कोई ,यहाँ कुछ कह नहीं पाता
मगर सब चाहते तो हैं ,कि ये मौसम बदल जाए
करो श्रृंगार धरती का , इसे इतना हरा कर दो
तबीयत बादलों की आप ही इसपे मचल जाए
अँधेरा रह नहीं सकता ,किसी भी हाल में बिल्कुल
अगर सबकी निगाहों में , सुबह का ख्वाब पल जाए
बहुत ग़मगीन है माहौल ,कुछ ऐसा करो जिस से
तुम्हारा दिल बहल जाए ,हमारा दिल बहल जाए
डॉ उदय 'मणि' कौशिक
शेष ब्लॉग पर पधारें
http://mainsamayhun.blogspot.com
अरे ! ये क्या सब उल्टापुल्टा हो गया जिसे देख रही थी चाँद में वो तो कहीं खो गया
जवाब देंहटाएंअब चकोर मुझे ताकता है अपनी चकोरी समझकर मुझे चंद्रिका बनाना चाहता है
अब मैं करूं क्या बनूं क्या उस जाने वाले का ऐसे ही चाँद को देखकर इन्जार करूं
या बन जाउं चकोरी उस चकोर कि जो हमेशा मेरे साथ रहेगा मेरा साथ देगा किसी
एक कि तो कहे लाउंगी मैं बन जाउं चकोरी और और बसा लूं संसार उस चंद्रलोक में
जहाँ सब होंगे एक नदी एक नाव और चांदनी और पता है वहां होंगी मेरी सखियाँ मेरी अपनी परियाँ ..
घर में कहते हैं सब,
जवाब देंहटाएंमैं 'बावली' हो गई हूँ!
कैसे समझाऊं उन्हें
चकोर बनना कितना कठिन है !
sach kaha didi. Ekdam sach.
Deepak Gogia
Hello Rashmi ji,
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ?
सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो गया है !
Rashmi, aap really bahut achcha likhti hain. shabdon ko chun - chun kar unko sahi jagah fit karti ho app.
i like your creations.
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...Ravi
from- Mere Khwabon me
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/
Very truely said Didi. Aap bahut achha likhti hain.
जवाब देंहटाएंmai aapki tarah shabdon ki dhani to nahi.........isliye jo vichar hai unhe bata nahi sakti itna hi keh sakti hun k bahut khoobsurat........or chand to apne aap hi khoobsurti ka prateek hai........
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा...वाह!
जवाब देंहटाएंWAH, BAHUT KHOOB..!!
जवाब देंहटाएंsundar....
जवाब देंहटाएंkya baat hai chand aur chakor dono ka rista jitna purana hai utna hi khubsurat khayalo wala..door rahke kisi ki chahat kya hoti hai is doino se ye bata achi tarah seekhi ja sakti hai.
जवाब देंहटाएंdil ko chhune wali rachna..kyun ki yahan pyar hai bas pyar
sakhi pyar ke sath
अब तो -
जवाब देंहटाएंचकोर भी हतप्रभ है !
चाँद की जगह मुझे निहारता है !
Kya andaz hai virah ko vyakt karne ka ...bahut khoob !!!
सच ही है विरह की पीड़ा में मन मृग की भांति कभी मन के जंगलों में भटकता है तो कभी आकाश में विचरते चाँद से भी दो बातें करने लगता है.. फिर कोई बावरी कहे या उपहास करे man knha parwaah karta hai;इन बातों को तो वही जाने वही समझे जो इस प्यार की aag को सुलगाता भी रहे usme jalta भी rhe...
जवाब देंहटाएंकविता जब मन का ही hissa हो जाए तो उसकी तारीफ तो बाद बाद में paile तो usse apnapan सा lagne lagne लगता है ...!!!bahot sundar rachna.!!!!
...desh.
बहुत अच्छी रचना है | बहुत सादगी से आपने प्यार को बयाँ किया है |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना है. धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंwakyee...chand bhee garvit hoga...khud uske chakor par.....behad utkrasth ehsaas....sundar kavita di
जवाब देंहटाएं...Ehsaas!
nirala andaaj........!!
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 04- 08 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएंनयी पुरानी हल चल में आज- अपना अपना आनन्द -
चाँद को ढूँढता ...चकोर मन ...बहुत कोमल ...सुंदर एहसास.......!!
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की राह पर चलता ..एक सुंदर,कोमल मन ...और उसके उतने ही कोमल एहसास !!
सुंदर रचना ..
कभी बताया चाँद ने
जवाब देंहटाएंकि,
मैं चकोर हो गई हूँ,
और चाँद में तुम्हे तलाशती हूँ?
और फिर चकोर का ताकना .. बहुत सुन्दर एहसास ..यह उल्टा पुल्टा भी बहुत सुन्दर एहसास है
बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
इश्क का ये सब उल्टा-पुल्टा कर देना ही तो ...खासियत है...
जवाब देंहटाएंनिराले अंदाज़ में अनूठी प्रस्तुति !!
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसब कुछ उल्टा -पुल्टा हो गया ....आपकी रचना तो हमेशा प्रभावित करती हैं ..आभार
जवाब देंहटाएंjabardast soch.
जवाब देंहटाएंगहन अनुभूतियों में कुछ उलटा पुलटा सा लगने लगता है. सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंदी ,बहुत अच्छा लिखा है .... भटका मन शांत हो जाये ऐसा है ..... सादर !
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