शायराना - सी कोई दस्तक
रूह तक हुई है
ख्यालों की कलम
मन के कैनवास पर
एक खुशनुमा शायरी लिख गई है.............
तुमने दिए थे सफ़ेद कबूतर
उन्हीं का पैगाम तुम्हे खींच लाया है !
मेरे दिल के ख्वाबगाह में
गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
आज तुमने मुझे
शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
मेरी आंखों में नज्मों की
एक नदी भर दी है
मेरे हाथों में
कलम की पतवार दे दी है
जहेनसीब -
अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!
रूह तक हुई है
ख्यालों की कलम
मन के कैनवास पर
एक खुशनुमा शायरी लिख गई है.............
तुमने दिए थे सफ़ेद कबूतर
उन्हीं का पैगाम तुम्हे खींच लाया है !
मेरे दिल के ख्वाबगाह में
गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
आज तुमने मुझे
शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
मेरी आंखों में नज्मों की
एक नदी भर दी है
मेरे हाथों में
कलम की पतवार दे दी है
जहेनसीब -
अब कोई ख्वाहिश नहीं है !!!