शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
09 जुलाई, 2010
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मन को बहलाने और भरमाने के लिए मैंने कुछ ताखों पर तुम्हारे होने की बुनियाद रख दी । खुद में खुद से बातें करते हुए मैंने उस होने में...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..... मनमोह लिया.....आभार
जवाब देंहटाएंHmm, hmm... soch me hun, kaise kuchh kahun.
जवाब देंहटाएंgyaan fir se, jor se pradipt hua...
pranam
पहले सुना था । पुनः सुनकर आनन्द आ गया ।
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